NH-233 प्रभावित किसान आवासीय दर पर मुआवजा मांग रहे:डीएम बोले- नियमानुसार भुगतान हुआ; मामला सुप्रीम कोर्ट में
अंबेडकरनगर में राष्ट्रीय राजमार्ग 233 से प्रभावित किसानों ने आवासीय दर पर मुआवजे की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट स्थित एनएच कार्यालय पर प्रदर्शन किया। इस मामले पर जिलाधिकारी ने बताया कि प्रभावित किसानों को नियमानुसार मुआवजा दिया जा चुका है। जो किसान असंतुष्ट हैं, उन्होंने उच्चतम न्यायालय में अपील की है, जिसकी सुनवाई अगले माह 7 अक्टूबर को होनी है। किसानों की मुख्य मांग है कि उनकी अधिग्रहित की गई 0.5 हेक्टेयर भूमि का मुआवजा गैर-कृषि दर से दिया जाए। जिलाधिकारी अनुपम शुक्ला ने बताया कि कुछ समय पहले प्रशासन और किसानों के बीच एक बैठक हुई थी। इसमें किसानों द्वारा बताई गई कुछ भुगतान संबंधी शिकायतों का समाधान किया गया था। एक महिला किसान की जमीन अधिग्रहण में जाने के बाद उनके बेटे को टांडा तहसील से पट्टा भी दिलाया गया।जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत भूमि का अधिग्रहण किया जाता है। इसके अंतर्गत गजट जारी होता है और सर्किल रेट का दो या चार गुना भुगतान किया जाता है। सर्किल रेट सड़क के किनारे, ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी और कृषि भूमि के लिए अलग-अलग निर्धारित होते हैं, और भुगतान उसी के अनुसार होता है। उन्होंने कहा कि किसानों की वर्तमान मांग गजट के प्रावधानों से मेल नहीं खाती, जिसके कारण वे मुआवजे को लेकर असंतुष्ट हैं। जब किसान असंतुष्ट होते हैं तो उनके पास यह अधिकार होता है कि वह मजिस्ट्रेट के यहां अपील कर सकते है। डीएम ने बताया कि किसानों के द्वारा इस मामले को लेकर 1300 केस जिला अधिकारी के यहां किया गया था जिसमें से 1000 केस निस्तारित हो चुके हैं। अभी करीब 300 केस डीएम कोर्ट में है उनका भी निस्तारित किया जा रहा है, जो 1000 केस निस्तारित किए गए थे। उसकी अपील आज की डेट में सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। वह राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण बनाम राम प्यारे के नाम से है, जिसकी सुनवाई 7 अक्टूबर को है। डीएम ने किसानों से अपील की वह सुप्रीम कोर्ट में अपनी उचित पैरवी करें और अपनी बात रखें। उन्होंने कहा कि कलेक्ट्रेट में धरना प्रदर्शन करना न सिर्फ कानून व्यवस्था का उल्लंघन है, बल्कि अपनी बात यहां रखने का कोई औचित्य नहीं है।
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