MNNIT में ST प्रोफेसर का विवादास्पद निलंबन:जातीय भेदभाव की शिकायत के बाद कार्रवाई, प्रोफेसर ने लगाए गंभीर आरोप
प्रयागराज स्थित मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान एक बार फिर विवादों में है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ एम वेंकटेश नाइक जो अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं,उन्होंने अपने निलंबन को जाति-आधारित भेदभाव और प्रताड़ना का नतीजा बताया है। डॉ नाइक वर्ष 2012 में MNNIT से जुड़े थे और 2019 में असिस्टेंट प्रोफेसर ग्रेड-1 बने। उनकी पदोन्नति 2022 से लंबित है। उनका आरोप है कि उन्हें लगातार व्यवस्थित रूप से परेशान किया गया। पहले पीएचडी छात्रों का आवंटन रोका गया, फिर पदोन्नति और चयन प्रक्रियाओं में उपेक्षित किया गया। अगस्त में उन्होंने जातीय भेदभाव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसके बाद उनके खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई तेज हो गई। डॉ नाइक का कहना है कि 15 सितंबर को विभागीय बैठक में उनके पीएचडी छात्रों का आवंटन रद्द करने की कोशिश की गई। जब उन्होंने विरोध किया, तो बैठक की कार्यवाही में मनगढ़ंत बातें जोड़ दी गईं। जैसे कि वे बैठक को छुपकर रिकॉर्ड कर रहे थे। इसके बाद विभागीय संकाय ने एक सामूहिक पत्र बनाकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिस पर 23 शिक्षकों ने हस्ताक्षर किए। उनके अनुसार, यह सब एक सोची-समझी रणनीति थी ताकि एकमात्र ST संकाय सदस्य को अलग-थलग किया जा सके। नाइक का आरोप है कि रजिस्टार डॉ अंबक कुमार राय, इंचार्ज डायरेक्टर डॉ एम एम गोरे और निदेशक प्रो आर एस वर्मा की साठगांठ से 19 सितंबर को उनका निलंबन कर दिया गया। यह आदेश बिना किसी निष्पक्ष जांच और बिना बचाव का अवसर दिए जारी किया गया। उन्होंने NCST राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायत भी दर्ज की, लेकिन आयोग से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। डॉ नाइक का कहना है कि यह निलंबन संस्थान में ST संकाय की भागीदारी रोकने और उनकी आवाज दबाने की कोशिश है। उनकी मांग है कि निलंबन आदेश तुरंत रद्द किया जाए, भेदभाव के दोषियों पर कार्रवाई हो और उन्हें पेशेवर जिम्मेदारियों के साथ सम्मान लौटाया जाए। डॉ नाइक ने संबंधित मंत्रालयों से हस्तक्षेप की अपील की है और कहा है कि यदि NCST भी मदद नहीं करेगा, तो इस अन्याय को कौन रोकेगा।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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