CJI पर हमले के विरोध में अधिवक्ताओं का प्रदर्शन:इसे न्यायपालिका पर सीधा हमला बताया, उच्च स्तरीय जांच की मांग
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के ऊपर अदालत के भीतर हुए कायराने हमले के विरोध में आज अधिवक्ता मंच इलाहाबाद ने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन कर अपना आक्रोश जताया। मंच ने इस घटना को सिर्फ एक व्यक्तिगत हमले के रूप में नहीं, बल्कि भारत के संवैधानिक ढांचे, न्यायपालिका और कानून के शासन पर हमला करार दिया। अधिवक्ता मंच ने कहा कि अदालत के भीतर किसी भी व्यक्ति द्वारा मुख्य न्यायाधीश पर जूता उछालना न सिर्फ न्यायिक मर्यादा का उल्लंघन है बल्कि यह संवैधानिक लोकतंत्र के लिए भी खतरनाक संकेत है। मंच के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि यह घटनाक्रम सत्ताधारी दल की जातिवादी और सांप्रदायिक नीतियों से उपजे वातावरण का परिणाम है, जिसमें बड़े से बड़े पदों पर बैठे व्यक्ति भी धार्मिक और जातीय उन्माद का शिकार बन रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि केवल हमलावर को दोषी ठहराना अपर्याप्त होगा, क्योंकि सोशल मीडिया पर कुछ व्यक्तियों ने खुलेआम उत्तेजक भाषण दिए और हिंसा की सीधी प्रेरणा प्रदान की। मंच ने विशेष रूप से सोशल मीडिया पर सक्रिय कथावाचक अनिरुद्धाचार्य और यूट्यूबर अजीत भारती का नाम लेते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियों ने उन्मादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा दिया। अधिवक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने घटना के बाद तत्काल एफआईआर दर्ज नहीं की, जिससे आरोप है कि प्राथमिक जांच में देरी ने ऐसे तत्वों को प्रोत्साहन दिया। अधिवक्ता मंच ने मांग की है कि इस घटना की उच्च स्तरीय, निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच हो, ताकि न केवल आरोपित का सही ढंग से बुराई का निर्धारण हो सके बल्कि किसी भी तरह के साजिशी तंत्र की भी पड़ताल की जा सके। मंच ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कदम आवश्यक हैं। प्रदर्शन में शामिल अधिवक्ताओं ने सरकारी और पुलिस अधिकारियों से शीघ्र कार्रवाई की अपील की तथा यह चेतावनी भी दी कि यदि त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई नहीं हुई तो आगामी कानूनी और लोकतान्त्रिक कदम उठाए जाएंगे। तत्काल और प्रभावी कार्रवाई।
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