46 साल से मुस्लिम परिवार बना रहा रावण का पुतला:पिता की मौत के बाद बेटे ने संभाली विरासत

संभल के मोहल्ला किला मियां सराय में एक मुस्लिम परिवार पिछले 46 सालों से रावण और मेघनाद के पुतले बनाने की परंपरा को निभा रहा है। शाहिद हुसैन के परिवार ने इस कला को जीवित रखा है। अब उनके बेटे आसिफ हुसैन इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। आसिफ हुसैन बताया कि उनके पिता शाहिद हुसैन ने दशकों तक रावण और मेघनाद के पुतले बनाए। परिवार के सभी सदस्य इस कार्य में सहयोग करते थे। तीन साल पहले शाहिद हुसैन के निधन के बाद, परिवार ने इस परंपरा को जारी रखने का फैसला किया। अब आसिफ स्वयं परिवार और मजदूरों की मदद से हर साल इन पुतलों का निर्माण करवाते हैं। पुतला बनाने का काम दशहरे से लगभग डेढ़ महीने पहले शुरू हो जाता है। बांस, कपड़ा, कागज, गोंद और रंगों का उपयोग करके रावण और मेघनाद के पुतलों को आकार दिया जाता है। आसिफ के अनुसार, यह एक मेहनत और लगन का काम है। जिसमें पहले डिजाइन तैयार होता है। फिर ढांचा बनाया जाता है। अंत में रंग-रोगन कर उन्हें आकर्षक रूप दिया जाता है। इस वर्ष भी आसिफ ने रावण और मेघनाद के 15 से 20 पुतले तैयार किए हैं। इन पुतलों को संभल के अलावा हजरतनगर गढ़ी, बहजोई, हयातनगर, खासपुर, सौंधन और मुरादाबाद जिले के कुंदरकी तक भेजा गया है। दशहरे के दिन हजारों लोगों की उपस्थिति में इन पुतलों का दहन किया जाएगा। आसिफ हुसैन इस कार्य को केवल एक रोजगार नहीं मानते, बल्कि इसे अपने पिता की छोड़ी हुई धरोहर बताते हैं। उनका कहना है कि जब तक संभव होगा, वे इस परंपरा को जीवित रखेंगे। शाहिद हुसैन के परिवार द्वारा दशकों से निभाई जा रही यह परंपरा आज भी पूरे जिले में एक मिसाल बनी हुई है।

Curated by DNI Team | Source: https://ift.tt/bWl4xTq