25 साल बाद कोर्ट मोहर्रिर को तीन साल की सजा:फर्जी हस्ताक्षर कर की थी बचने की कोशिश, अदालत ने सुनाई जेल की सजा
एक दौर में अदालत में न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा रहे कोर्ट मोहर्रिर जुगल किशोर को आखिरकार 25 साल पुराने एक गंभीर मामले में अदालत ने दोषी ठहराया है। तत्कालीन एडीजे के फर्जी हस्ताक्षर कर खुद को बचाने की कोशिश करने वाले आरोपी को स्पेशल सीजेएम अचल प्रताप सिंह ने तीन साल की कैद और तीन हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई, मामला 1999 का है। जब आरोपी ने अदालत में एक फर्जी पत्र दाखिल किया था, जिसे बाद में जांच में गलत पाया गया। क्या है पूरा मामला? फिरोजाबाद के ग्राम रूपधनु, थाना नारखी निवासी जुगल किशोर वर्ष 1999 में आगरा की एक अदालत में कोर्ट मोहर्रिर के पद पर तैनात था। उस समय एडीजे-6 रामनाथ की अदालत में विचाराधीन बंदियों की पेशी में लापरवाही को लेकर तत्कालीन सीओ हरीपर्वत अनंत देव ने जांच शुरू की। 24 मई 1999 को बंदियों को पेश न किए जाने पर एडीजे ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए। जांच के दौरान कोर्ट मोहर्रिर जुगल किशोर ने एक पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें लिखा था कि कर्मचारियों की कोई गलती नहीं है और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई आवश्यक नहीं। पत्र पर एडीजे रामनाथ के हस्ताक्षर थे। लेकिन संदेह होने पर जब रामनाथ, जो तब तक बिजनौर ट्रांसफर हो चुके थे, से संपर्क किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यह हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। फर्जीवाड़ा पकड़ में आया, मुकदमा दर्ज 11 जुलाई 1999 को एडीजे रामनाथ ने पुष्टि की कि पत्र में किए गए हस्ताक्षर फर्जी हैं और जुगल किशोर ने खुद को बचाने के लिए धोखाधड़ी की है। इसके बाद सीओ अनंत देव ने थाना न्यू आगरा में IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 468 (जालसाजी) के तहत मुकदमा दर्ज कराया। अदालत ने क्या कहा मामले में अभियोजन पक्ष ने सीओ अनंत देव, स्टेनो बच्चू सिंह, पेशकार छुट्टन सिंह और चरन सिंह की गवाही कराई। पत्रावली, एडीजे रामनाथ का बयान और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर स्पेशल सीजेएम अचल प्रताप सिंह ने आरोपी को धारा 420 में दोषमुक्त, लेकिन धारा 468 (फर्जी दस्तावेज तैयार करना) में दोषी माना। आरोपी की ओर से कहा गया कि वह गंभीर किडनी रोग से पीड़ित है, नियमित डायलिसिस पर है और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। इसके बावजूद अदालत ने दोष की गंभीरता को देखते हुए तीन साल कैद और तीन हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
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