22 साल बाद रुकैया को 5 लाख की मदद:आगरा की रहने वाली रुकैया है एसिड अटैक सर्वाइवर, बहन के देवर ने डाला था चेहरे पर तेजाब

आगरा की एसिड अटैक सर्वाइवर को 22 साल की लड़ाई के बाद सरकार से पांच लाख रुपए का मुआवजा मिलने के आदेश हुए हैं। रुकैया अब आरोपी को सजा दिलाने में जुटी हुई है।
रुकैया वर्ष 2002 में बड़ी बहन इशरत जहां की ससुराल तुर्कमान गेट, कोतवाली अलीगढ़ गई थी। वह उस समय 14 वर्ष की थी। बहन का देवर उससे एकतरफा प्यार करने लगा। शादी का प्रस्ताव दिया लेकिन रुकैया ने इंकार कर दिया। बौखलाकर उसने रुकैया पर तेज़ाब डाल दिया जिससे उसका चेहरा बुरी तरह जल गया। रुकैया की 12 सर्जरी हुईं।
उस समय बड़ी बहन का घर बिगड़ने के डर से परिजनों के दबाव में मुकदमा दर्ज नहीं कराया। कुछ साल बाद भाई ने न्याय दिलाने के लिए मुकदमा दर्ज कराने की कोशिश की। पुलिस ने कई साल पुराना मामला होने का हवाला देते हुए कार्रवाई नहीं की। इसी बीच रुकैया ने छांव फाउंडेशन द्वारा संचालित शीरोज हैंग आउट कैफे पर काम करना शुरू किया। दो साल पूर्व तत्कालीन एडीजी (वर्तमान डीजीपी) राजीव कृष्ण शीरोज हैंग आउट कैफे में गए थे। तब वह उनसे मिली। उन्हें अपनी आप बीती सुनाई। इसके बाद मामला तत्कालीन पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह के संज्ञान में आने के बाद आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
रुकैया मुकदमे की पैरवी नहीं कर पा रही थी। सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने मामले की पैरवी शुरू की। आगरा और अलीगढ़ प्रशासन से कई बार बात की। जिसके बाद सरकार से उसे पांच लाख रुपए का मुआवजा मिला। रुकैया का कहना है कि 22 साल बाद उसे सरकार की तरफ से मदद मिली है। अभी भी हाईकोर्ट में पैरवी हो रही है। रुकैया का कहना है कि आरोपी को सजा दिलाने तक पैरवी जारी रहेगी।

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