हाईकोर्ट में हरिशंकरी पौधारोपण पर संगोष्ठी:पर्यावरण संरक्षण में महत्व पर हुई चर्चा, न्यायाधीशों ने किया पौधरोपण

लखनऊ के महामना सभागार, हाईकोर्ट में पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन में हरिशंकरी पौधारोपण के महत्व पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पंडित एस. चंद्रा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया मुख्य अतिथि थे, जबकि न्यायमूर्ति राजीव सिंह, न्यायमूर्ति एस.क्यू.एच रिजवी और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव श्रीवास्तव ‘राजा’ ने किया। अजय कुमार सिंह ‘राज’ समन्वयक, सौरभशुक्ला सह-समन्वयक, रामेंद्र त्रिपाठी संयोजक और दिलीप पांडेय सह-संयोजक थे। पौधरोपण जीवन के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया ने अपने संबोधन में कहा कि पौधरोपण केवल पर्यावरण को जीवन नहीं देता, बल्कि यह जीवन के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक भी है। उन्होंने पीपल, पाकड़ और बरगद जैसे हरिशंकरी पौधों के पर्यावरणीय महत्व पर प्रकाश डाला, बताया कि ये वृक्ष ऑक्सीजन, जल संचय, छाया और जैव विविधता संरक्षण में सहायक हैं। विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति राजीव सिंह, न्यायमूर्ति एस. क्यू.एच रिजवी और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने वृक्षारोपण को सबसे बड़ा पुण्य कार्य बताया। उन्होंने कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों को जीवन देता है। न्यायाधीशों ने जोर देकर कहा कि ऐसा कार्य करें जिससे समाज आपको याद रखे, और वृक्षारोपण इसका सबसे सुंदर माध्यम है। हरिशंकरी वृक्ष प्रकृति त्रिवेणी संगम अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पंडित एस. चंद्रा ने हरिशंकरी वृक्षारोपण की आवश्यकता पर चर्चा की, उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग बताया। सामाजिक कार्यकर्ता बृजेंद्र पाल सिंह ने हरिशंकरी वृक्षों को प्रकृति का त्रिवेणी संगम कहा। कार्यक्रम समन्वयक अजय कुमार सिंह ‘राज’ ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने अधिवक्ता समाज से आह्वान किया कि सभी एक पौधा लगाएं और उसे संरक्षित रखें। इस अवसर पर उपस्थित न्यायमूर्तिगणों ने पीपल, पाकड़ और बरगद के पौधों का रोपण किया। गंगा सेवक एवं कवि के. के राय ने सभी को ‘पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ’ का संकल्प दिलाया। संगोष्ठी के अंत में, सभी उपस्थित अधिवक्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण और हरिशंकरी परंपरा को एक जन-आंदोलन बनाने का संकल्प लिया।

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