सुहागिनों ने छलनी से किया चांद का दीदार:करवा से जल पीकर तोड़ा व्रत, मांगी पति की दीर्घायु
संतकबीरनगर में करवा चौथ का पर्व शुक्रवार को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने दिनभर निर्जला व्रत रखा और रात में चांद का दीदार कर अपने पतियों की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना की। इसके बाद चलनी से पति का चेहरा देखकर और करवा से जल पीकर व्रत तोड़ा। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर यह व्रत रखा गया। महिलाओं ने पति की दीर्घायु के लिए यह कठिन व्रत किया। दिनभर निर्जला रहने के बाद शाम को महिलाओं ने सोलह शृंगार कर पूजा की। उन्होंने अपनी थाली में दीपक, मिठाई, करवा (जल का पात्र) और चलनी सजाई। इस दौरान भगवान शिव, पार्वती, गणेश और चंद्रदेव की पूजा की गई और करवा चौथ की कथा सुनी गई। शाम को चांद निकलने का बेसब्री से इंतजार किया गया। रात लगभग 8:05 बजे चांद दिखने पर महिलाओं ने पहले चलनी से चंद्रमा को देखा और फिर उसी चलनी से अपने पति का चेहरा निहारकर व्रत खोला। चलनी में हजारों छोटे-छोटे छेद होते हैं। मान्यता है कि जब महिलाएं इससे चांद को देखती हैं, तो चांद की रोशनी उन छेदों से गुजरकर चमकती है, जो सौभाग्य और दीर्घायु की प्रतीक मानी जाती है। यह भी विश्वास है कि चलनी से चंद्र दर्शन के बाद पति का चेहरा देखने से उनकी आयु में वृद्धि होती है और दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है। करवा चौथ पर चलनी से चंद्रमा और पति के दर्शन करना न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि इसमें श्रद्धा, आस्था और प्रेम का गहरा भाव छिपा है। यह प्रथा पति-पत्नी के बीच अटूट विश्वास और समर्पण का प्रतीक है, जिसका निर्वहन महिलाओं ने पूरी निष्ठा के साथ किया।
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