सुनीता पटेल ने महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर:पर्स बनाकर समाज में स्थापित की नई पहचान

जौनपुर में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहा है। इसके तहत महिलाएं आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन रही हैं और समाज में अपनी पहचान बना रही हैं। थाना लाइन बाज़ार क्षेत्र के मतापुर निवासी सुनीता पटेल इसका एक प्रमुख उदाहरण हैं। सुनीता पटेल पहले एक कॉलेज में निजी शिक्षिका थीं, जहाँ उन्हें लगभग तीन हज़ार रुपए मिलते थे। एक सहकर्मी महिला ने उन्हें स्वयं सहायता समूह के बारे में बताया। जानकारी जुटाने के बाद, सुनीता ने दस महिलाओं को जोड़कर अपना एक समूह बनाया। समूह के माध्यम से उन्हें बैंक से एक लाख रुपए का ऋण आसानी से मिल गया। इस राशि से सभी महिलाओं ने मिलकर पर्स बनाने का एक छोटा कारखाना शुरू किया। वर्तमान में, वे एक महीने में लगभग 15 से 20 हज़ार रुपए कमा लेती हैं। उनके द्वारा बनाए गए पर्स बाज़ार में थोक में 90 रुपए और फुटकर में 140 से 200 रुपए या उससे अधिक में बिकते हैं। त्योहारों के मौसम में इनकी मांग बढ़ गई है, खासकर सोने-चांदी के दुकानदारों से अधिक ऑर्डर मिल रहे हैं। पर्स बनाने का कच्चा माल मछली शहर, लखनऊ और बड़ी मात्रा में दिल्ली से भी प्राप्त किया जाता है। सुनीता पटेल ने प्रधानमंत्री मोदी के महिला सशक्तिकरण के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि पहले महिलाओं को कम वेतन पर अधिक मेहनत करनी पड़ती थी। मोदी जी ने स्वरोजगार के जो अवसर दिए हैं, उनसे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं और उन्हें किसी पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है।

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