सीतापुर में पकड़ा गया आदमखोर बाघ:युवक को शिकार बनाने के 44 दिन बाद हुआ ट्रेंकुलाइज, वन विभाग को मिली सफलता
सीतापुर के महोली इलाके के नरनी गांव में एक आदमखोर बाघ को रविवार शाम करीब 7 बजे ट्रेंकुलाइज कर पिंजरे में कैद कर लिया गया। यह कार्रवाई सौरभ दीक्षित की मौत के 44 दिन बाद और वन विभाग का छठा पाड़ा खाने के 48 घंटे बाद हुई। बहराइच से लौटे बायोलॉजिस्ट डॉ. दया ने डीएफओ की अगुवाई में इस बाघ को बेहोश किया। इसे इलसिया पार्क ले जाया जा रहा है। वन विभाग इसे एक बड़ी उपलब्धि मान रहा है। यह सफलता एक बाघिन को पकड़े जाने के 15 दिन बाद मिली है। 20 सितंबर को बाघिन को ट्रेंकुलाइज किए जाने के बाद, इस बाघ ने अपने शावकों के साथ अपना ठिकाना बदल लिया था। इसके पगचिह्न पसिगवां से सीतारामपुर के जंगल तक मिल रहे थे। 29 सितंबर को बाघ नरनी गांव में लौट आया था। टाइगर एक्सपर्ट की टीम ने ड्रोन कैमरे से उसे झाबर के निकट एक खेत में देखा। इसके बाद झाबर के पास पेड़ पर नया मचान बनाकर तीन पिंजरे लगाए गए और एक पाड़ा बांधा गया। बाघ ने पाड़ा खाया और खेत में छिप गया, लेकिन टीम उसे ट्रेंकुलाइज नहीं कर पाई। शुक्रवार को बाघ ने वन विभाग के छठे पाड़े का शिकार किया, जिससे टाइगर रिजर्व को फिर असफलता मिली थी। शनिवार को बहराइच से लौटने के बाद बायोलॉजिस्ट डॉ. दया ने ड्रोन कैमरे से बाघ की लगातार निगरानी की। इसके बाद उन्होंने खेत में एक नया पाड़ा बांधा। रविवार शाम करीब 7 बजे जैसे ही बाघ पाड़े के पास पहुंचा और उसका शिकार करने लगा, डॉ. दया ने उसे ट्रेंकुलाइज कर दिया। इसके बाद उसे पिंजरे में कैद कर इलसिया पार्क भेज दिया गया। डीएफओ नवीन खंडेलवाल ने बताया कि नरनी गांव में कड़ी मशक्कत के बाद बाघ को ट्रेंकुलाइज किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले एक बाघिन को भी ट्रेंकुलाइज किया गया था। शावकों को पकड़ने का प्रयास जारी रहेगा। महोली क्षेत्र में ‘ऑपरेशन टाइगर’ अभी भी जारी रहेगा, क्योंकि इलाके में दो शावकों सहित कई और बाघों के होने की संभावना है।
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