सीतापुर में आतंक का पर्याय बना बाघ पकड़ा गया:22 अगस्त को किसान को बनाया था शिकार,15 दिन पहले पकड़ी थी बाघिन

सीतापुर के महोली विकासखंड के नरनी गांव में आतंक का पर्याय बने बाघ को आखिरकार वन विभाग की टीम ने रविवार देर रात ट्रेंकुलाइज कर पिंजरे में कैद कर लिया। पिछले कई महीनों से इलाके में बाघ की दहशत बनी हुई थी। 20 सितंबर को बाघिन के पकड़े जाने के 15 दिन बाद फिर बाघ को पकड़ा गया है। बाघ की दहशत से ग्रामीणों की नींद हराम थी और खेतों में काम करने से भी लोग डर रहे थे। वन विभाग की टीम ने कमांड सेंटर से लगातार निगरानी करते हुए इस बाघ को पकड़ने में सफलता हासिल की। 3 तस्वीरों में देखिए बाघ का रेस्क्यू… डीएफओ नवीन खंडेलवान ने बताया कि पकड़े गए बाघ की उम्र करीब छह साल है और उसका वजन लगभग 220 किलो है। उन्होंने बताया कि रविवार शाम को बाघ की लोकेशन उसी जगह के करीब दिखी, जहां पंद्रह दिन पहले एक बाघिन को पकड़ा गया था। यह जगह नरनी गांव के पास है और दोनों घटनास्थलों की दूरी महज 200 मीटर है। दुधवा टाइगर रिजर्व की टीम के विशेषज्ञ डॉक्टर दया ने मचान पर बैठकर बाघ को सफलतापूर्वक ट्रेंकुलाइज किया। वन विभाग ने बाघ को पिंजरे में बंद कर मुख्यालय स्थित बाल वनोद्यान कार्यालय में रखा है। डीएफओ ने बताया कि वाइल्ड लाइफ विभाग और अन्य जरूरी एजेंसियों से अनुमति लेने के बाद ही बाघ को किसी सुरक्षित जगह पर छोड़ा जाएगा। इससे पहले पकड़ी गई बाघिन को गोरखपुर जू भेजा गया था। ग्रामीणों का कहना है कि इलाके में अभी भी बाघ और बाघिन के दो शावक मौजूद हैं। इस वजह से दहशत पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। वन विभाग भी इस संभावना को नकार नहीं रहा है और निगरानी लगातार जारी रखने की बात कह रहा है। गौरतलब है कि नरनी गांव में 22 अगस्त को बाघ ने किसान के बेटे शुभम दीक्षित को अपना शिकार बना लिया था। इस घटना के बाद से ही वन विभाग की कई टीमें इलाके में डेरा डाले हुए थीं और गांववाले बाघ को पकड़ने की मांग रहे है। शावकों की मौजूदगी से ग्रामीणों में अभी दहशत कायम है।

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