संघ भवन मामले में कोर्ट ने BHU से मांगा जवाब:जज बोले- वादी को उपलब्ध कराई जाए जवाब कॉपी, 29 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भवन को फिर से संचालित कराने से जुड़े मामले में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की अदालत में सुनवाई हुई। वादी प्रमील पांडेय के अधिवक्ताओं ने अदालत को अवगत कराया कि अब तक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई लिखित जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस पर न्यायालय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय को निर्देशित किया कि आगामी तिथि तक अपना जवाब दाखिल करें और उसकी एक प्रति वादी या उनके अधिवक्ता को 29 सितंबर उपलब्ध करा दी जाए। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 अक्टूबर 2025 की तारीख तय की है। वादी बोले- 1931 में बना था संघ भवन
वादी प्रमील पांडेय, जो सुंदरपुर स्थित कौशलेश नगर कॉलोनी के निवासी हैं, ने यह वाद दायर किया है। उनकी मांग है कि बीएचयू परिसर में पूर्व में स्थापित संघ भवन को पुनः संचालित किया जाए और वहां किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न न किया जाए। प्रमील का दावा है कि विश्वविद्यालय में आरएसएस की शाखा की शुरुआत वर्ष 1931 में हुई थी। इसके कुछ वर्षों बाद महामना पं. मदन मोहन मालवीय की पहल पर वर्ष 1937-38 में दो कमरों का स्थायी संघ भवन भी तैयार कराया गया था। उस समय के कुलपति राजा ज्वाला प्रसाद के प्रयासों से यह भवन बना था। 1976 में गिरवाने का लगा आरोप वादी पक्ष के अनुसार, यह भवन लंबे समय तक सक्रिय रहा, लेकिन इमरजेंसी काल के दौरान 22 फरवरी 1976 को तत्कालीन कुलपति कालूलाल श्रीमाली के कार्यकाल में प्रशासन ने रातों-रात इसे गिरवा दिया। इसके बाद से संघ भवन का अस्तित्व समाप्त हो गया। प्रमील का कहना है कि यह ऐतिहासिक भवन न केवल संघ के लिए, बल्कि बीएचयू की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर का हिस्सा था, जिसे बिना किसी उचित कारण के ध्वस्त किया गया। फिलहाल अदालत ने विश्वविद्यालय को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वह अपना जवाब समय पर दाखिल करे।
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