शिक्षक श्यामलाल निषाद के समर्थन में प्रदर्शन:बहाली और केस खत्म करने की उठाई मांग, FIR के बाद हुए थे निलंबित

सुलतानपुर में शिक्षक श्यामलाल निषाद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने और उनके निलंबन के विरोध में ‘मछुआ कल्याण संस्थान’ ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। संस्थान ने जिलाधिकारी को संबोधित एक ज्ञापन एसडीएम बिपिन द्विवेदी को सौंपा, जिसमें निलंबन रद्द करने और सेवा में बहाली की मांग की गई है। संस्थान के अनुसार, यह मामला 2 अक्टूबर का है। उस दिन ग्राम अमरेमऊ, करौंदी कला स्थित बौद्ध विहार में सम्राट अशोक जयंती कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस दौरान शिक्षक श्यामलाल निषाद ने सामाजिक सुधार की भावना से प्रेरित होकर ‘संविधान विरोधी, आरक्षण विरोधी और आपराधिक प्रवृत्ति के बाबाओं’ के खिलाफ टिप्पणी की थी। संस्थान का तर्क है कि निषाद का यह वक्तव्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A(h) के तहत वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सुधारवादी विचारों को बढ़ावा देने की नागरिक जिम्मेदारी के अनुरूप था। हालांकि, संस्थान का आरोप है कि इस वक्तव्य को तोड़-मरोड़कर राजनीतिक लाभ के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों और कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा करौंदी कला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। संस्थान इसे अनुच्छेद 19 (1) (a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन मानता है। मछुआ कल्याण संस्थान ने बताया कि श्यामलाल निषाद एक सम्मानित नागरिक और शिक्षक हैं। उनके अनुसार, निषाद सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और उनके वक्तव्य का उद्देश्य किसी विशेष धर्म का अपमान करना नहीं था, बल्कि सामाजिक कुरीतियों के प्रति जन जागरूकता फैलाना था। संस्थान ने जिलाधिकारी से मांग की है कि शिक्षक श्यामलाल निषाद के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी तत्काल निरस्त की जाए। साथ ही, उनका निलंबन आदेश रद्द कर उन्हें सेवा में बहाल किया जाए। संस्थान ने संबंधित अधिकारियों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग की निष्पक्ष जांच कराने और संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व वैज्ञानिक सोच को संरक्षित करने की भी मांग की है। संस्थान ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र संज्ञान लेकर आवश्यक कार्रवाई नहीं की गई, तो वे लोकतांत्रिक और विधिसम्मत तरीकों से आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। यह ज्ञापन अधिवक्ता नरेंद्र कुमार निषाद द्वारा जिलाधिकारी को सौंपा गया।

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