शरद पूर्णिमा पर बांके बिहारी मंदिर में दर्शनों पर असमंजस:सेवायत ने कहा श्रृंगार भोग में गर्भ गृह में ही कराएँगे दर्शन, कमेटी कर रही अपील पर विचार
प्रसिद्ध ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में शरद पूर्णिमा पर्व पर व्यवस्थाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी एवं मंदिर सेवायतों के बीच विवाद बढ़ता जा रही है। शरद पूर्णिमा पर मंदिर की परंपरा का हवाला देते हुए सुबह श्रृंगार आरती सेवायत गौरव गोस्वामी ने ठाकुर जी को जगमोहन में विराजित करवाने से स्पष्ट इनकार कर दिया है। मंदिर हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी अब इस मामले को लेकर विचार कर रही है। सेवायत ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस भगवान बांके बिहारी मंदिर के शयन भोग सेवाधिकारी गौरव गोस्वामी ने शनिवार को एक पत्रकार वार्ता में बताया कि शरद पूर्णिमा पर परंपरानुसार ठाकुर जी रात में चंद्रमा की धवल चांदनी में जगमोहन में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। श्रीमद्भागवत में भी उल्लेख है भगवान श्रीकृष्ण ने वंशी वट पर शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की धवल चांदनी में महारास किया था। ऐसे में ठाकुरजी को रात में चंद्रमा की रोशनी में ही जगमोहन में दर्शन की परंपरा चली आई है और सुबह श्रंगार व राजभोग सेवा के दौरान ठाकुरजी गर्भगृह में भक्तों को दर्शन देते हैं। इसी परंपरा को इस बार भी निभाया जाएगा। 2023 में की गयी थी यह व्यवस्था गौरव गोस्वामी ने बताया वह परंपरा के अनुसार शयन भोग की सेवा के बाद शरद पूर्णिमा की सुबह श्रृंगार आरती की सेवा भी वह ठाकुरजी को गर्भ गृह में विराजमान करवाकर ही करेंगे।गौरव गोस्वामी ने कहा कि 2023 में भी मंदिर प्रबंधन ने यही हालात बनाए थे और उन्होंने ठाकुरजी की श्रृंगार आरती गर्भ गृह में की थी, लेकिन प्रबंधन ने जगमोहन में आसन लगा दिए। इसके कारण सुबह श्रृंगार आरती और राजभोग सेवा के दौरान भक्तों को गर्भ गृह में विराजित ठाकुरजी के दर्शन सुलभ नहीं हो सके थे। सेवायत ने की अपील सेवाधिकारी गौरव गोस्वामी ने मंदिर हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी से अपील की है कि मंदिर की सेवा पूजा में प्राचीन परंपराओं का ध्यान रखते हुए शरद पूर्णिमा के दिन गर्भ गृह में दर्शन की ही व्यवस्था रखी जाए। मंदिर में ठाकुर जी सुबह गर्भ गृह में दर्शन देंगे तो जगमोहन में बेरिकेडिंग करवाई जाए। ताकि राजभोग सेवा में मंदिर की प्राचीन परंपरा बरकरार रखी जा सके।
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