वाराणसी में लुटेरी दुल्हन गिरोह का भंडाफोड़:गिरोह के 4 आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार,फेसबुक से शुरू हुई थी साजिश
वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक बड़े ठगी गिरोह का खुलासा किया है, जिसमें शादी का झांसा देकर लोगों से धोखाधड़ी की जा रही थी। इस गिरोह की खास बात यह थी कि यह खुद को वैवाहिक दलाल और दुल्हन के रूप में प्रस्तुत कर भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसाता था। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है — नीरज पांडेय, पप्पू शुक्ला, सोनम पांडेय और अंगूरा देवी। ये सभी आरोपी प्रयागराज के रहने वाले बताए जा रहे हैं। फेसबुक से शुरू हुई साजिश लंका थाना प्रभारी राजकुमार शर्मा के अनुसार, इस ठगी कांड की शुरुआत सोशल मीडिया से हुई। शिकायतकर्ता श्याम लाल शर्मा ने पुलिस को बताया कि फेसबुक के जरिए उनकी सरवन शर्मा नामक व्यक्ति से पहचान हुई, जिसने खुद को वैवाहिक दलाल बताया। उसने श्याम लाल से संपर्क कर उनके पुत्र मनीष की शादी तय कराने की बात कही और उन्हें वाराणसी बुलाया। श्याम लाल के अनुसार, सरवन ने उन्हें वाराणसी आकर लंका क्षेत्र के एक होटल में ठहराया। वहीं पर कथित ‘दुल्हन’ और उसके परिजन भी पहुंचे। शादी के नाम पर एक 50 रुपये के स्टांप पेपर पर इकरारनामा तैयार किया गया, जिसमें शादी की शर्तें और सहमति दर्शाई गईं। लेकिन असल में यह एक बड़ी ठगी की साजिश थी। फर्जी दस्तावेज और नकली दुल्हन पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज तैयार किए थे। इनकी मदद से वे खुद को लड़की पक्ष के सदस्य दिखाते थे। एक महिला को दुल्हन बनाकर शादी करवाई जाती, और फिर शादी की रस्में पूरी होने के कुछ समय बाद यह ‘नवविवाहिता’ अपने कथित परिजनों के साथ घर से गायब हो जाती। पुलिस ने यह भी बताया कि इस गिरोह ने अब तक कई लोगों को इसी तरह शिकार बनाया है। ठगी का यह तरीका न केवल भावनात्मक रूप से धोखा देने वाला था, बल्कि आर्थिक नुकसान भी पहुंचा रहा था। पुलिस की पूछताछ जारी लंका थाना पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे लगातार पूछताछ की जा रही है। पुलिस का कहना है कि गिरोह में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। साथ ही इस बात की भी जांच की जा रही है कि कितने लोगों को अब तक इस गिरोह ने ठगा है। फिलहाल गिरफ्तार चारों आरोपियों के खिलाफ लंका थाने में विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है। पुलिस का मानना है कि यह गिरोह एक सुनियोजित नेटवर्क के तहत काम कर रहा था और सोशल मीडिया के जरिए नए शिकार ढूंढता था।
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