लोन जमा करने बाद भी प्रॉपर्टी खाली करने का नोटिस:सहारनपुर में पीड़ित बोला-कोर्ट के माध्यम से कराया था पैसा जमा, भूमाफियाओं से मिलीभगत का आरोप
सहारनपुर में एक व्यापारी ने एक बैंक पर साजिश का प्रॉपर्टी हड़पने का आरोप लगाया है। आरोप है कि बैंक कुछ भूमाफियाओं के साथ मिलकर उनको नोटिस भेज रहा है। जबकि डेढ़ साल पहले लोन की रकम को कोर्ट के माध्यम से चुका दिया था। जिसका बैंक ने नो-ड्यूज भी दिया है। आरोप है कि बैंक ने कोर्ट में झूठे साक्ष्य पेश कर नोटिस दिलाया है। जबकि प्रॉपर्टी पहले ही बेच दी थी। पीड़ित ने डीएम और एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर जांच कराने की मांग की है। थाना मंडी क्षेत्र की सम्राट विक्रम कॉलोनी निवासी इस्तखार अहमद ने डीएम को एक प्रार्थना पत्र देकर दिल्ली रोड स्थित एक बैंक के कुछ कर्मचारियों पर भू-माफियाओं के साथ मिलकर साजिश रचने का गंभीर आरोप लगाया है। प्रार्थना पत्र देकर बताया कि उन्होंने अपनी फर्म फेमस स्पोर्ट्स के नाम से 26 लाख रुपए का लोन लिया था। कोरोना काल के दौरान ऋण खाता एनपीए हो गया था, जिसके बाद उन्होंने किस्तों में राशि जमा कराना शुरू कर दिया। आरोप है कि बावजूद इसके, बैंक ने उनकी संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी। पीड़ित ने बताया कि इस कार्रवाई के खिलाफ उन्होंने डीआरटी कोर्ट देहरादून में याचिका दायर की। जहां कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना। इस्तखार अहमद ने कोर्ट के आदेश के अनुसार पूरा भुगतान बैंक में जमा करा दिया। जिसके बाद नीलामी प्रक्रिया निरस्त कर दी गई। बैंक द्वारा उन्हें नो-ड्यूज प्रमाणपत्र भी दिया। आरोप है कि इसके बाद बैंक के कुछ कर्मचारी, जो भू-माफियाओं से मिले हुए हैं, ने षड्यंत्र के तहत सुप्रीम कोर्ट में झूठी याचिका दाखिल करवाई। जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया। लेकिन, भू-माफियाओं ने दोबारा बैंक से मिलीभगत कर हाईकोर्ट में गलत तथ्यों के आधार पर याचिका दाखिल की। जिसके बाद कोर्ट से संपत्ति कब्जा दिलाने का आदेश पारित करा लिए। पीड़ित ने बताया कि इस पूरे मामले में साजिश है और सत्य तथ्यों को छिपाकर उन्हें फंसाने की कोशिश की गई है। उन्होंने मांग की है कि इस प्रकरण की जांच कराई जाए। उनके विरुद्ध जारी कार्यवाही को तुरंत रोकने की कार्रवाई की जाए। उन्होंने डीएम से मामले की गंभीरता को देखते हुए भू-माफियाओं और बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से की जा रही अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है। जिससे उनकी संपत्ति को हड़पने के प्रयासों को नाकाम किया जा सके।
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