राष्ट्रीय जनजातीय गौरव सेमिनार का शुभारंभ:गौतम बुद्ध डिग्री कॉलेज में बिरसा मुंडा के जीवन पर चर्चा

गौतम बुद्ध डिग्री कॉलेज, गौरी रोड, सरोजनी नगर में दो दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय गौरव सेमिनार का शुभारंभ हुआ। इसका मुख्य विषय लोक नायक बिरसा मुंडा का जीवन और योगदान था। सेमिनार में वक्ताओं ने बिरसा मुंडा को भारतीय जनजातीय चेतना का प्रतीक और स्वतंत्रता संग्राम का अग्रदूत बताया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ ‘उलगुलान’ जैसे ऐतिहासिक आंदोलन का नेतृत्व किया था। लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के विभागाध्यक्ष, प्रो. दिनेश कुमार मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा केवल स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता भी थे। प्रो. कुमार ने बताया कि ‘धरती आबा’ के रूप में उन्होंने आदिवासी समाज को संगठित किया, भूमि अधिकारों की रक्षा की और ‘बिरसायत’ धर्म की स्थापना की। इस धर्म ने अंधविश्वास, शराबखोरी और सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया। जल, जंगल और ज़मीन की रक्षा जीवन का उद्देश्य कॉलेज के प्रबंधक सोमिल कुशवाहा ने बिरसा मुंडा के जीवन को आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बताया। सहायक प्रोफेसर डॉ. रश्मि श्रीवास्तव ने उनके महिला सशक्तिकरण और जनजातीय उत्थान के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्यों के बारे में बताया। आई.जी.एन.टी.यू के चेयर रिसर्च फेलो डॉ. ज्ञान प्रकाश पटेल मुख्य वक्ता थे। उन्होंने बिरसा मुंडा को जनजातीय अस्मिता के प्रहरी कहा।डॉ. पटेल ने बताया कि वे स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और मातृभाषा के पोषक थे, जिन्होंने जल, जंगल और ज़मीन की रक्षा को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया। बिरसा मुंडा के विचार आदिवासी विकास के लिए मार्गदर्शक गिरी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के डॉ. के. एस. राव ने कहा कि बिरसा मुंडा ने प्रकृति और संस्कृति की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। कार्यक्रम की संयोजिका और गौतम बुद्ध डिग्री कॉलेज की प्राचार्या डॉ. रश्मि शर्मा ने बताया कि बिरसा मुंडा के विचार आज भी ग्रामीण और आदिवासी विकास के लिए मार्गदर्शक हैं। सेमिनार में कई शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। उत्कृष्ट शोध पत्रों को सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर डॉ. सुमन गुप्ता, डॉ. अपर्णा मिश्रा, ए.के. श्रीवास्तव, डॉ. मनमीत कौर, डॉ. वंदना, डॉ. नीलू शर्मा सहित ममता डिग्री कॉलेज बाराबंकी और अन्य संस्थानों के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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