रामनगर की रामलीला में रावण-जटायु का हुआ युद्ध:लक्ष्मण ने काटी सूर्पणखा की नाक, श्रोताओं ने लगाएं जयकारे
वाराणसी में गंगा किनारे जिस तुलसी घाट पर गोस्वामी जी ने राम चरित मानस लिखी उसके दूसरे छोर पर रामनगर के पांच किलोमीटर के दायरे में प्रभु श्रीराम के जीवन चरित्र का मंचन हो रहा है। विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला को देखने के लिए एक महीने तक साधु संत और आम लोग अपनी पूरी तैयारी के साथ रामनगर के अलग-अलग स्थान पर मौजूद रहते हैं। देखें तस्वीर… ठीक 5 बजे शुरू हो जाती है लीला शाम 5 बजे से देर रात तक इस रामलीला का आयोजन किया जाता है। 240 साल पुरानी परंपरा के अनुसार आज भी इस रामलीला में किसी प्रकार की आधुनिक व्यवस्था का इस्तेमाल नहीं किया जाता। मिट्टी के तेल वाले लैंप और लाउडस्पीकर के बिना ही इस खास रामलीला का आयोजन होता है फिलहाल लीला के 17वें दिन की लीला को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ में इजाफा दिखा। चुप रहो…की आवाज सुनते ही शांत हो जाते हैं श्रोता शाम को हाथी पर सवार होकर लीला स्थल पर जैसे ही काशी राजपरिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह कार से उतरकर हाथी से मंचन स्थल तक पहुंचे तो जोर से एक आवाज आती है। चुप रहो…..और फिर शुरू होता है लीला। 17वें दिन की लीला में प्रमुख रूप से शूर्पणखा-नासिका छेदन, खरदूषण वध, श्री जानकी जी का हरण और रावण व गिद्धराज जटायु के बीच युद्ध जैसे महत्वपूर्ण प्रसंग मंचित किए गए। मंचन अरण्यकांड के दोहा 16:3 से लेकर दोहा 29:4 तक का था, जिसमें दर्शकों ने हर भाव और संवेदना का भरपूर आनंद लिया। जटायु और रावण का युद्ध हुआ रामनगर की रामलीला का मंच पंचवटी मैदान में सजीवता और कलात्मकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। कलाकारों ने अपने अभिनय और संवाद कौशल से लीला को जीवंत कर दिया। विशेष रूप से जटायु और रावण के युद्ध के दृश्य ने दर्शकों का मन मोह लिया और पूरे मैदान में तालियों की गूंज सुनाई दी।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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