यूपी में जिस ड्रोन चोर का शोर, वो कितना सच:मुंहनोचवा के डर से 7 की जान गईं; चोटीकटवा-मंकीमैन इन्हीं दिनों में क्यों आते?
यूपी में ड्रोन चोर का चारों तरफ शोर है। पुलिस फोन कॉल पर चक्कर लगा रही। खौफ में गांव वाले रातभर पहरा दे रहे। आसमान में लाल-हरी लाइट दिखते ही लाठी-डंडे लेकर दौड़ रहे हैं। जो मिलता है, उसकी बेरहमी से पीटते हैं। रायबरेली में इसी पिटाई में एक युवक की जान चली गई। पश्चिमी यूपी से शुरू हुआ ड्रोन चोर का यह खौफ पूर्वांचल के सभी जिलों में सिर चढ़कर बोल रहा। यह पहली बार नहीं, जब लोग लाठी-डंडे लेकर सड़कों पर हैं। इसके पहले चोटीकटवा, मुंहनोचवा और लकड़सुंघवा ने लोगों की नींद हराम कर दी थी। मुंहनोचवा का डर इतना था कि छत से कूदने की वजह से 7 लोगों की जान चली गई थी। इस बार संडे बिग स्टोरी में पढ़िए ड्रोन चोर कितना सही है? मुंहनोचवा, चोटीकटवा केस में क्या-क्या हुआ? अभी और उस समय के अफसर क्या कहते हैं? साइकोलॉजी क्या कहती है? क्या ये अफवाह ही है या कुछ और? विदेश में भी इस तरह की घटनाएं होती हैं? सबसे पहले इस स्लाइड से समझिए 4 घटनाएं… कबूतर-पतंग में LED लाइट बांधकर डराने के लिए उड़ाया, लोग ड्रोन समझ बैठे
मुजफ्फरनगर के ककरोली थाना क्षेत्र के गांवों में लोग आसमान में उड़ते ड्रोन से डरे हुए थे। रातभर में लाठी-डंडे लेकर पहरा दे रहे थे। पुलिस को बार-बार शिकायत कर रहे थे। अफसरों ने टीम बनाई। मुखबिर लगाए गए कि क्या हो रहा है? पता चला 2 युवक शोएब और शाकिब कबूतरों के पैर में लाल-हरे रंग की एलईडी बांधकर रात में उड़ा देते हैं। पुलिस ने 30 जुलाई को कबूतरों के साथ दोनों को पकड़ा। दोनों ने पुलिस को बताया कि मस्ती के लिए ऐसा कर रहे थे। लोग पहले से डरे हुए थे और कबूतर को ड्रोन समझकर और डरने लगे। इसमें उन्हें मजा आता था। जौनपुर के मड़ियाहूं क्षेत्र में 29 सितंबर को 3 लोगों की ग्रामीणों ने जमकर पिटाई कर दी। वे पतंग में लाल-हरी एलईडी बांधकर उड़ा रहे थे। तीनों को पुलिस के हवाले कर दिया। अब उन घटनाओं को पढ़िए, जो ड्रोन चोर जैसी ही फैलीं 1- जब फैला ‘मुंहनोचवा’ का आतंक: ‘उड़ने वाली चीज’… जिसके अंदर जलती थी लाइट
साल था- 2002। जून की तपती रात में मऊ के एक गांव में परिवार छत पर सो रहा था। लाइट नहीं थी, अचानक आसमान पर उड़ती एक चीज दिखी। उसमें नीली और लाल लाइट रह-रहकर जल रही थी। परिवार ने शोर मचाना शुरू किया और सीढ़ियों पर दौड़ लगा दी। फिर वह परिवार छत पर नहीं सोया। यह खौफ था मुंहनोचवा का। बलिया और गाजीपुर से शुरू हुआ मुंहनोचवा का डर यूपी और बिहार में फैल गया। जैसे ही शाम होती, गलियां सुनसान हो जातीं। अखबारों में हर दिन खबरें छपतीं, लेकिन कोई भी यह नहीं बता पाता था कि आखिर मुंहनोचवा है कौन- इंसान, मशीन या एलियन? कोई कहता, पाकिस्तान से उड़कर आया कीड़ा है। जून की तपती रातों में गांवों की छतें सूनी पड़ गई थीं। लोग अंधेरा होते ही घरों में कैद हो जाते थे। दिन में बच्चों के बाहर निकलने पर पाबंदी थी। हर रोज किसी न किसी के मुंह से एक ही बात सुनाई देती- फलां गांव में मुंहनोचवा ने हमला कर दिया। लोगों का दावा था कि यह एक चमकदार चीज है। इसके अंदर लाल, पीली, नीली और हरी लाइटें जलती हैं। रात के अंधेरे में यह आता और किसी का मुंह नोचकर भाग जाता। डर का आलम ये था कि गांवों में लोग रातभर चौकसी करते। कई जगहों पर टीमें बनाई गईं, जो बारी-बारी से पहरा देतीं। अगर गांव में कोई अनजान व्यक्ति दिख जाए, तो उसकी तलाशी ली जाती। अफवाह थी कि मुंहनोचवा को बाहरी लोग ऑपरेट कर रहे हैं। लोगों की पिटाई होती। मुंहनोचवा के डर से छत से कूदने से 7 लोगों की मौत हुई थी। मिला क्या…
लखनऊ के बाहरी इलाकों से मुंहनोचवा के हमलों की खबरें आने लगीं। तभी राज्य सरकार ने पुलिस को उन्हें पकड़ने के निर्देश दिए। पुलिस को कई जगहों पर कई चीजें मिलीं। मोहनलालगंज में बैटरी से चलने वाले नीले बल्बों वाला एक गैस का गुब्बारा था। बहराइच में उन्होंने 3 इंच के एक कीड़े को मार गिराया। सआदतगंज में मुंहनोचवा एक नीली पतंग निकली। सेना के रडार और आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की एक टीम को भी काम पर लगाया गया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वैज्ञानिकों का मानना था कि मुंहनोचवा कुछ और नहीं, बल्कि बॉल लाइटनिंग है। यह बिजली का एक दुर्लभ, गतिशील रूप है, जो बारिश के अंत में गायब हो जाता है। उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बताते हैं कि साल 2002 में वाराणसी और आसपास के गांवों में एक अजीब दहशत फैल गई थी। लोगों का कहना था कि आसमान से नीली और लाल रोशनी वाली कोई वस्तु आती है। लोगों के चेहरे पर चोट पहुंचा देती है। इसी कारण इसे “मुंहनोचवा” नाम दिया गया। दरअसल, मई-जून की गर्मियों में गांवों के लोग घरों के बाहर सोते हैं। उस समय अज्ञात वस्तु को लेकर फैली दहशत इतनी बढ़ गई कि कई जगहों पर लोग भ्रम में दूसरों की पिटाई तक करने लगे। इस अफवाह में कुछ लोग घायल हुए और कुछ की मौत भी हो गई। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह मुंहनोचवा के बारे में कहा जाता था कि वह बाहर सोए हुए लोगों का चेहरा नोच लेता है। अफवाह थी कि वह आधा आदमी और आधा बंदर जैसा दिखता है। लोग डर के कारण रात भर लाठी-डंडा लेकर जागते थे। जांच में सामने आया कि यह सब महज अफवाह थी। कुछ शरारती तत्व गैस के गुब्बारों में चीजें बांधकर उड़ाते थे और उसे मुंहनोचवा बताया जाता था। विक्रम सिंह के मुताबिक, उस समय वह यूपी में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर थे। उन्होंने बताया कि लोग मिट्टी का तेल लगाकर गुलेल से खेतों में फेंकते थे। यहां तक कि लोग साधुओं और योगियों को शक के आधार पर पकड़कर मारने लगे थे। 2- चोटीकटवा: डर ऐसा कि लोग रात भर जागते रहे, नींबू-मिर्ची लटकाई
साल- 2017 के अगस्त महीने में दिल्ली, एनसीआर, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के गांवों से लेकर शहरों तक एक अजीब सी अफवाह ने लोगों को डरा दिया था। कहा जाने लगा- रात में कोई महिलाओं की चोटी काट रहा है! कुछ ही दिनों में ये बात जंगल की आग की तरह फैल गई। लोगों ने शक के आधार पर कई जगह निर्दोषों को पीट दिया। आगरा में तो अफवाह के शक में एक बुजुर्ग महिला की हत्या तक कर दी गई। आरोप था- वही महिलाओं की चोटी काटती है। अफवाहों ने लोगों को इतना डरा दिया था कि गांवों में पहरा लगाया जाने लगा। घरों के बाहर नींबू-मिर्ची लटकाई गईं। दीवारों पर हल्दी के हाथों के छाप लगाए गए। महिलाएं शाम ढलते ही घरों में कैद हो जातीं। उस समय के अफसर कहते हैं कि इसकी आड़ में कई लोगों ने दुश्मनी निकाली। जिनसे झगड़े थे, उनके बाल काटकर चोटीकटवा का नाम दे दिया गया। हर अफवाह निकली झूठी, लेकिन खौफ रहा बरकरार
पुलिस और प्रशासन की जांच में सभी दावे निराधार निकले। किसी के पास कोई सबूत नहीं मिला। धीरे-धीरे जांच और जागरूकता के बाद ये अफवाह शांत हो गई। पूर्व डीजीपी सुखलान सिंह कहते हैं- चोटी कटवा कांड में भी बहुत बाद में पता चला कि एक लड़का कंबल ओढ़कर लोगों के बाल काट देता था। अफवाह फैलने के बाद यह मामला बड़ा रूप ले बैठा। 3- लकड़सुंघवा-जिसने पूरे बिहार-पूर्वांचल के बच्चों की मुस्कान छीन ली थी
बिहार और पूर्वांचल के गांवों में 90 के दशक में एक नाम लोगों की जुबान पर चढ़ गया- लकड़सुंघवा। कहा जाने लगा कि दोपहर में एक रहस्यमयी गैंग घूमती है, जो बच्चों को लकड़ी सुंघाकर बेहोश कर अपहरण कर ले जाती है। डर इतना बढ़ा कि दोपहर के बाद बच्चों का बाहर निकलना पूरी तरह बंद कर दिया गया। खासतौर पर मई-जून के महीनों में लोग बच्चों को घरों में कैद कर लेते थे। लकड़सुंघवा को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित थीं। कोई कहता था- यह गिरोह लकड़ी सुंघाकर बच्चे को बेहोश करता है। कुछ लोगों का दावा था- लकड़ी की गंध से बच्चा उसके वश में आ जाता और खुद उसके साथ चल पड़ता। कई गांवों में इस डर से अजनबियों से बातचीत तक बंद हो गई थी। हर बाहरी पर शक, साधु को पीटकर मार डाला गया
अफवाहों का असर इतना गहरा था कि गांव में आने वाले हर बाहरी व्यक्ति को लकड़सुंघवा समझ लिया जाता। साल- 1991 में बिहार के औरंगाबाद जिले के ओबरा गांव में तो शक के आधार पर गांववालों ने एक साधु की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। किसी ने कभी लकड़सुंघवा को देखा नहीं। लेकिन, अफवाहों ने इतना जोर पकड़ा कि हर गांव में डर, शक और हिंसा का माहौल बन गया। 4- मंकी मैन: गाजियाबाद से मंकी मैन की दहशत फैली
रिटायर्ड आईजी आरके चतुर्वेदी बताते है कि साल 2001 की बात है उस वक्त मैं एसपी सिटी गाजियाबाद था। गाजियाबाद में विजयनगर पड़ता है। वहीं से एक अफवाह की शुरुआत हुई। काला बंदर उर्फ मंकी मैन की। साल 2001 की गर्मियों के दौरान कई महीने तक देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर में मंकी मैन का खौफ था। यहां तक कि तथाकथित रूप से कुछ लोगों पर मंकी मैन ने हमला भी किया था। यहां तक कि लोगों ने अपने शरीर पर मंकी मैन के पंजे के निशान तक दिखाए थे। उस वक्त कुछ लोगों ने ये दावा किया कि उन्होंने मंकी मैन को देखा भी है। उन लोगों ने बताया था कि मंकी मैन की लंबाई 4 फीट थी। इसके साथ सारे बदन पर काले घने बाल थे और चेहरा हेलमेट से ढंका हुआ था। कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा था कि मंकी मैन के हाथ पर मेटल के पंजे लगे होते थे। कुछ लोगों ने यहां तक दावा किया था कि वह इस मेटल के पंजे से ही लोगों पर हमले करता था। वहीं, शिकायतें बढ़ने पर जांच की गई तो पीड़ितों के शरीर पर नाखून से खरोंचने के निशान मिलते थे। नंदग्राम क्षेत्र में अचानक अफवाह फैल गई कि एक काले बंदर ने युवक की उंगली काट ली। लोग दहशत में आ गए। लेकिन, जब जांच की गई तो सच्चाई कुछ और निकली। दरअसल, दो भाई एक साथ सो रहे थे। नींद में एक भाई का हाथ दूसरे भाई के मुंह पर चला गया। जल्दी-जल्दी में दोनों के बीच धक्का-मुक्की हो गई। इस दौरान एक भाई का हाथ दरवाजे में फंस गया और उसकी उंगली कट गई। जांच में साफ हुआ कि उंगली बंदर ने नहीं, बल्कि दरवाजे में फंसने से कटी है। ऐसा ही कुछ हुआ जब कुछ शरारती लोगों ने यूवी रेज होती है रेड कलर की लाइट वो एक दूसरे के घरों में आंखों पर छत पर जलाना शुरू कर दिया था और अफवाह फैला दी थी की मंकी मैन आया है। जब हर तरफ ये मामला फैलने लगा तो सीनियर्स के साथ मिलकर ये तय हुआ की जो शिकायत करेगा उसको शांति भंग करने के जुर्म में 151 में थाने में बंद कर देंगे। हुआ यू की दो तीन दिन में अफवाह भी बंद और शिकायतें भी बंद हो गईं। कुछ इसी तरह जुलाई-2015 में सिलबट्टे वाली बुढ़िया की अफवाह फैली थी। इसमें अफवाह थी कि सिलबट्टे से कोई कुटाई कर देता है या पत्थर का रंग बदल जाता है। इससे लोगों में दहशत थी। यह खौफ पश्चिमी यूपी, दिल्ली-एनसीआर में ज्यादा था। ड्रोन चोर: अब तक कुछ नहीं मिला, 100 से ज्यादा की पिटाई, 1 की मौत
पश्चिमी यूपी के सहारनपुर-बरेली के गांवों अचानक शिकायतें आने लगीं कि रात को ड्रोन उड़ रहे हैं। ये ड्रोन चोर उड़ा रहे हैं। इससे रेकी करते हैं और फिर गांवों में चोरी होती है। धीरे-धीरे यह बातें आसपास के जिलों में फैल गई और ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर रात भर पहरा देने लगे। पुलिस लोगों को बताती रही कि ये नदियों का सर्वे चल रहा है। कुछ ड्रोंस एजेंसियों के हो सकते हैं, चोरी वाला एंगल नहीं है। लेकिन, लोग मानने को तैयार नहीं हुए। ग्रामीणों को रात में कोई अनजान व्यक्ति मिलता तो उसकी पिटाई कर देते। पुलिस से भी झड़पें हुईं। दो महीने के अंदर ही यह अफवाह पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक के जिलों में फैल गई। इस समय पूर्वांचल के जौनपुर, प्रयागराज, मऊ जैसे जिलों में अफवाह है कि ड्रोन से चोर आ रहे हैं और चोरी कर रहे हैं। 4 दिन पहले रायबरेली में एक व्यक्ति की ड्रोन चोर के शक में पीट-पीटकर कर दी गई। अब तक 100 से ज्यादा मारपीट के मामले सामने आ चुके हैं। रोजाना 200 से ज्यादा शिकायतें पुलिस कंट्रोल रूम पहुंच रही हैं। अकेले जौनपुर में 12 से 12 शिकायतें आ रही हैं। पुलिस बैठकें कर रही है, अनाउसमेंट कर रही है कि ड्रोन चोर नहीं होते हैं, लेकिन लोग नहीं मान रहे। लाल-नीली-पीली और हरी बत्ती आसमान पर देखते ही दौड़ पड़ रहे हैं। मुजफ्फरनगर में पुलिस ने 2 लोगों को पकड़ा, जो कबूतर के पैरों में एलईडी लाइट बांधकर उड़ा रहे थे। लोगों को इससे डरा रहे थे। इसी तरह जौनपुर में 3 लोग पतंग में एलईडी लाइट बांधकर उड़ाने पर ग्रामीणों ने पीटा था। जो पुलिस को ड्रोन मिले हैं, वो खिलौने वाले हैं। न की रेकी वाले हैं। ये आदमी का वजन तो दूर की बात है, 1 किलो वजन भी उठाकर नहीं उड़ सकते। ये अफवाह फैली क्यों
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बताते हैं- आज भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिलती है। जैसे हाल में ड्रोन को लेकर गांवों में अफवाहें फैलीं। सरकार ने नदियों का सर्वे करवाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया। लेकिन लोगों ने इसे डर और रहस्य से जोड़कर अफवाह बना लिया। असल में यह सब अंधविश्वास और संदेहजनक मानसिकता का परिणाम है। एक अफवाह फैलती है, लोग उसे सच मान लेते हैं। फिर उसके पीछे पड़ जाते हैं। धीरे-धीरे यह लोगों के लिए मनोरंजन और चर्चा का साधन भी बन जाता है। पूर्व डीजीपी एके जैन बताते हैं कि वे 2001 में आईजी जोन बनारस थे, तब मुंहनोचवा की अफवाह फैली थी। पेड़ पर लाइट जली हुई दिखाई दी, लेकिन कोई जानवर या इंसान नहीं मिला। यह कुछ लोगों का भ्रम था। असल में ऐसा कुछ नहीं हुआ। ये तरह-तरह की अफवाहें भारत में समय-समय पर होती रहती हैं। 1994 में जब वे एसएसपी गाजियाबाद थे, तब भी ऐसी अफवाहें थीं। कोई छत पर आता है, लंबी छलांग लगाता है और चोटी काट देता है। मिर्जापुर में भी ऐसी अफवाहें फैल चुकी थीं और काफी दहशत मची थी। पुलिस पेट्रोलिंग करती थी, जिससे इलाके में भय न फैले और बेकसूर लोगों को पकड़ा जाता था। आज भी ड्रोन चोरी जैसी खबरें पूरी तरह अफवाह हैं। समझिए: ये सभी अफवाहें और इनकी टाइमिंग एक जैसी, जून से अक्टूबर के बीच
मुंहनोचवा से लेकर ड्रोन चोर और दूसरी बड़ी अफवाहों की टाइमिंग भी लगभग एक जैसी ही है। ये सभी अफवाहें जून से लेकर अक्टूबर के बीच ही फैली हैं। एक निश्चित समय में शुरू होती हैं, दो-तीन महीने रहती हैं। फिर अपने-आप खत्म हो जाती हैं। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह इसकी वजह भी बताते हैं। वो कहते हैं- गांवों में जब फसल कट जाती थी। लोगों के पास कोई काम नहीं होता था, तो इस तरह की अफवाहें फैलती थीं। रायबरेली से शुरू हुई मुंहनोचवा की दहशत पूर्वी यूपी से लेकर पश्चिमी यूपी तक फैल गई। उस समय सोशल मीडिया का उतना प्रचलन नहीं था। इसलिए लोग ही एक गांव से दूसरे गांव अफवाहें पहुंचाते थे। आज भी यही स्थिति देखने को मिलती है। ड्रोन चोरी को लेकर फैली अफवाह पूरी तरह झूठी है। विक्रम सिंह कहते हैं कि इतने लोग काबिल होते तो सिलिकॉन वैली में नौकरी कर रहे होते। असल में लोग सिर्फ अफवाह फैला रहे हैं और दूसरों को भरमा रहे हैं। साइकैट्रिस्ट प्रो. प्रियंका गौतम कहती हैं- साइकोलॉजिकली लोग सोचते हैं कि ये चीजें सच में होती हैं, लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं होता। मुंहनोचवा और मंकी मैन जैसी बातें भी इसी तरह हैं। ये सिर्फ लोगों की मान्यताओं और मिथक हैं, वास्तविकता में कुछ नहीं। गोरखपुर के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. अमित कुमार शाही कहते हैं- कोई अफवाह उड़ी और मास हिस्टीरिया की तरह फैल गई। लोग इसे विश्वास मान बैठे। ज्यादातर बातें अफवाहें थीं, फिर भी लोग कुछ चीजों पर यकीन करने लगे। एक व्यक्ति किसी डरावनी बात को साझा करता है। जैसे-जैसे यह समूह में फैलती है, लोग इसे सच मानने लगते हैं। यह मास हिस्टीरिया कहलाता है। मुंहनोचवा और चोटी कटवा इसी का उदाहरण हैं। अब सुनिए, उन पुलिस अफसरों की, जो इनकी जांच कर रहे
जौनपुर के सीओ शुभम वर्मा ने बताया कि ये अफवाहें हैं। कुछ जगहों पर लोगों को लग रहा है कि ड्रोन से रेकी की जा रही है, लेकिन ऐसा नहीं है। रेकी करने वाले ड्रोन हाई टेक्नोलॉजी के होते हैं। इतनी आसानी से उपलब्ध भी नहीं हैं। अभी तक पुलिस की तरफ से 14 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। दो लोगों को पकड़ा है, जिनके पास खिलौने वाला ड्रोन बरामद हुआ था। लोगों को डराने की नीयत से ये काम किया जा रहा था। जो खिलौना मिला है, उसकी क्षमता नहीं है कि उनसे रेकी की जा सके। एक केस ऐसा आया था, जिसमें एक पतंग मिली थी। इसमें नीली रंग की एलईडी लाइट लगी थी। जब वो लोग उड़ा रहे थे, तो लोगों को लग रहा था कि ड्रोन उड़ रहा है। अफवाह फैलाने के मामले बढ़े…
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में गलत खबर और अफवाह फैलाने के मामले में 2022 में कुल 858 मामले दर्ज किए गए थे। 2023 में यह संख्या बढ़कर 1,087 हो गई, जो 26.7% की वृद्धि दर्शाती है। साल 2021 में 42% की कमी आई है। जबकि 2019 में फेक खबर फैलाने के 486, 2020 में 1527 और 2021 में 882 मामले सामने आए। साल 2021 में सबसे ज्यादा मामले तेलंगाना में दर्ज किए। यहां 218 केस सामने आए. तमिलनाडु में 140, मध्यप्रदेश में 129, उत्तर प्रदेश में 82 और पांचवें नंबर पर महाराष्ट्र में 66 मामले दर्ज किए गए। ………….. ये खबर भी पढ़ें… राजा भैया के हथियारों के जखीरे का VIDEO देखिए:दशहरे पर पूजा के बाद बोले-सारे शस्त्र हमारे; मेज पर सजाए 200 से ज्यादा हथियार विधायक राजा भैया ने दशहरे पर पत्नी भानवी सिंह को जवाब दिया। उन्होंने कुंडा के अपने बेंती महल में अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की। कहा- शस्त्र सारे हमारे हैं। जो हमारा है वो समर्थकों का है और जो समर्थकों का है वो हमारा है। राजा भैया के शस्त्र पूजन की वीडियो और तस्वीरें सामने आई हैं। करीब 200 से ज्यादा देशी-विदेशी हथियारों को टेबल पर सजाया गया है। हथियारों में पिस्टल, रिवॉल्वर, 12 बोर की बंदूक, राइफल और थर्टी कारबाइन शामिल हैं। हर साल दशहरे पर राजा भैया अपने शस्त्रागार में रखें हथियारों की पूजा करते हैं। उनकी पत्नी के हथियारों के वीडियो सोशल मीडिया पर डालने की वजह से इस बार मामला सुर्खियों में है। पढ़िए पूरी खबर…
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