मुरादाबाद सिविल लाइंस में 17000 वर्ग मीटर नजूल लैंड ‘गायब’:CM योगी से शिकायत पर खुला राज, अधिकारी मामले को दबाने में लगे
मुरादाबाद के सिविल लाइंस एरिया में अरबों रुपए कीमत वाली 4.95 एकड़ नजूल लैंड ‘गायब’ हो गई है। अधिकारियों को इस जमीन को ढूंढने में अब तक करीब तीन महीने हो चुके हैं, लेकिन यह पता नहीं चल पाया कि यह जमीन आखिर कहां गई। अब सवाल उठता है कि जिन अधिकारियों पर इस जमीन के संरक्षण की जिम्मेदारी थी, वे इस दौरान क्या कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार, सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से अरबों रुपए की यह जमीन पिछले कुछ सालों में किश्तों में ठिकाने लगाई गई। पूरा मामला शहर के पॉश एरिया सिविल लाइंस से जुड़ा है। सरकारी रिकॉर्ड में इसे ग्राम छावनी के नाम से पहचाना जाता है। इसी ग्राम छावनी में नजूल लैंड का भूखंड संख्या 470 रिकॉर्ड में दर्ज है। इस भूखंड का रकबा 4.95 एकड़ है। इसमें 2714 वर्ग मीटर भूमि फ्री होल्ड है, जबकि बाकी 17,318 वर्ग मीटर नजूल भूमि है। नियमों के अनुसार, इस 17,318 वर्ग मीटर नजूल भूमि पर सरकारी कब्जा होना चाहिए था। लेकिन मौके पर अवैध रूप से बड़ी-बड़ी इमारतें बना दी गईं और कुछ निर्माण अभी भी जारी हैं।
अब विस्तार से पढ़िए नजूल लैंड को खुर्दबुर्द करने की पूरी कहानी.. दशकों पहले भागीरथी उर्फ कुट्टी के नाम हुआ था पट्टा
सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि सिविल लाइंस के ग्राम छावनी में नजूल भूखंड संख्या 470 का पट्टा भागीरथी उर्फ कुट्टी पुत्री मीर खां के नाम पर आवासीय प्रयोजन के लिए हुआ था। पट्टा धारक की मौत के बाद इस पट्टे को उनके वारिसों के नाम पर दर्ज कर दिया गया। नियमों की बात करें तो जिलाधिकारी की अनुमति के बगैर ये नामांतरण संभव नहीं था। लेकिन रिकॉर्ड पर डीएम या शासन की परमिशन नहीं है। जाहिर है पट्टे को अवैध रूप से नामांतरण किया गया। इतना ही नहीं बाद में इसे दूसरे लोगों को बेच भी दिया गया। जो कि पूरी तरह से गैरकानूनी है। महज 2714 वर्ग मीटर भूमि फ्रीहोल्ड, बाकी 17318 वर्ग मीटर नजूल लैंड
मुख्यमंत्री को हुई एक शिकायत के बाद जब स्थानीय अफसरों ने रिकॉर्ड खंगाला तो पता चला कि सिविल लाइंस में ग्राम छावनी के नजूल भूखंड संख्या 470(पुराना प्लॉट नंबर – 129) ग्राम छावनी का कुल रकबा 4.95 एकड़ है। वर्ग मीटर की बात करें तो यह भूमि करीब 20032 वर्ग मीटर बैठती है। इस भूखंड में से मात्र 2714 वर्ग मीटर भूमि फ्रीहोल्ड है। बाकी कि 17318 वर्ग मीटर भूमि नजूल की भूमि है। जिस पर प्रशासन का कब्जा होना चाहिए। CM से शिकायत के बाद सामने आया मामला
ये मामला उस वक्त सामने आया जब करीब 3 महीने पहले आशुतोष अग्रवाल नाम के एक व्यक्ति ने पूरे प्रकरण की IGRS शिकायत करने के साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय को भी मामले की शिकायत भेजी। इसके बाद जब जांच स्थानीय अधिकारियों तक पहुंची तो हड़कंप मचा। नजूल भूखंड संख्या 470 की तलाश शुरू हुई। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि नजूल भूखंड संख्या 470 पर बहुमंजिला DMR हॉस्पिटल बन रहा है। DM ने वीसी को दिए स्वीकृति निरस्त करने के निर्देश मामला सामने आने के बाद जिलाधिकारी अनुज सिंह ने मुरादाबाद विकास प्राधिकरण और नगर निगम के अधिकारियों को एक आदेश जारी किया। डीएम ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि नजूल रजिस्टर पर इस भूमि की किसी भी प्रकार की बिक्री, नामांतरण आदि के संबंध में शासन का कोई आदेश अंकित नहीं है। इससे साफ है कि मौजूदा समय में फ्री होल्ड हुई भूमि के अतिरिक्त बाकी की 17318 वर्ग मीटर भूमि पर किसी भी प्रकार का निर्माण करना अनुचित है।
डीएम ने वीसी एमडीए को निर्देश दिए कि वह नजूल भूखंड संख्या-470 पर दी गई निर्माण की अनुमति का अवलोकन करें और यदि फ्री होल्ड एरिया के अतिरिक्त किसी हिस्से पर निर्माण हाे रहा है तो उसकी स्वीकृति निरस्त करके शासकीय हित में भूमि को संरक्षित करें। दरअसल डॉ. मंजेश राठी का DMR हॉस्पिटल भी नजूल लैंड संख्या 470 पर ही बन रहा है। DMR फ्री होल्ड लैंड पर तो बाकी 17000 वर्ग मीटर जमीन कहां ? अर्से से सरकारी तंत्र और नजूल लैंड पर कब्जा करने वाले लोग पूरा खेल फ्री होल्ड हिस्से के नाम पर खेलते चले आ रहे हैं। जब कभी भी इन मामलों की शिकायत होती है तो शिकायत वाले निर्माण को फ्री होल्ड लैंड (2714 वर्ग मीटर) पर दर्शा दिया जाता है। ताजा मामले में भी यही कवायद चल रही है। DMR के कंस्ट्रक्शन एरिया को फ्री होल्ड वाले हिस्से पर दर्शाकर मामले को मैनेज करने की तैयारी चल रही हैं। एक महीने से ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी एमडीए, नगर निगम और नजूल डिपार्टमेंट इस प्रकरण की जांच पूरी नहीं कर सके हैं। सूत्रों का कहना है कि लंबी जांच के बहाने मामले को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी है। सवाल ये है कि अगर DMR का कंस्ट्रक्शन फ्री होल्ड लैंड एरिया 2714 वर्ग मीटर में हो भी रहा है तो इस भूखंड की बाकी की 17318 वर्ग मीटर लैंड आखिर कहां है? उसे चिन्हित करके प्रशासन उस पर कब्जा क्यों नहीं ले रहा है? दूसरा सवाल ये है कि DMR का निर्माण जिस भूखंड में हो रहा है उसका साइज 2714 वर्ग मीटर नहीं बल्कि करीब 6000 वर्ग मीटर है। बाकी हिस्से में पहले से निर्माण है। अधिकारी फ्री होल्ड एरिया छोड़कर बाकी भूखंड पर कब्जा क्यों नहीं ले रहे हैं ? ऐसे कई सवाल हैं जो अधिकारियों की नीयत और भूमिका पर सवाल खड़े कर रहे हैं। फ्री होल्ड लैंड आवासीय उपयोग के लिए, हॉस्पिटल कैसे बन गया ? अगर ये बात मान भी ली जाए कि DMR का कंस्ट्रक्शन फ्री होल्ड लैंड पर है तो भी ये दो कारणों से अवैध है। पहला ये कि ये नजूल की ये भूमि आवासीय उपयोग के लिए फ्री होल्ड की गई थी। आवासीय भूखंड पर बहुमंजिला अस्पताल के निर्माण की परमिशन प्राधिकरण ने आखिर किन नियमों के तहत दी ? इस बिल्डिंग के निर्माण के लिए करीब 30 फीट गहरा बेसमेंट खोदकर उसमें पार्किंग बनाई गई है। रिहाइशी इलाके में इतने गहरे बेसमेंट की इजाजत आखिर कैसे ? नजूल लैंड के अवैध नामांतरण और अवैध रूप से बिक्री का मामला भी अपने आप में सवाल खड़े कर रहा है। सरकार का आदेश-नजूल लैंड,शत्रु संपत्ति कब्जे में ले प्रशासन 2008 के पहले नजूल लैंड के फ्री होल्ड कराने का विकल्प था। लेकिन 2008 के बाद सरकार ने इस पर रोक लगा दी है। अब किसी भी नजूल लैंड को फ्री होल्ड नहीं कराया जा सकता। सरकार ने आदेश दिया है कि सभी शत्रु संपत्ति और नजूल लैंड को प्रशासन अपने कब्जे में ले और उनको संरक्षित करे। लेकिन मुरादाबाद में सिविल लाइंस एरिया में नजूल की 17000 वर्ग मीटर भूमि मिसिंग है। प्रशासन इसे खोजने में नाकाम है या फिर खोजना ही नहीं चाहता।क्योंकि इस जमीन पर रसूखदार कब्जा जमाए बैठे हैं।
मामला सिर्फ DMR हॉस्पिटल तक नहीं सिमटा है। DMR का प्लॉट साइज महज 6000 वर्ग मीटर है। जाहिर इस नजूल लैंड का बाकी का 14000 वर्ग मीटर हिस्सा बाकी आसपास की इमारतों में दबा है। सूत्रों का कहना है कि PMS स्कूल में भी नजूल की लैंड का बड़ा हिस्सा है। लेकिन अधिकारियों का रवैय्या देख लगता नहीं कि इस सरकारी जमीन को लेकर ब्यूरोक्रेसी बहुत ज्यादा फिक्रमंद है। VC ने कहा-मामले में जांच चल रही है
पिछले 15 दिन के अंतराल पर हमने मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष IAS अनुभव सिंह से 2 बार इस प्रकरण में कार्रवाई के संबंध में जानकारी की। उन्होंने कहा कि मामले में जांच चल रही है। प्राधिकरण के साथ ही रेवेन्यू डिपार्टमेंट भी मामले की जांच कर रहा है। DM ने कहा-मामले में जांच के आदेश दिए
इस मामले में जिलाधिकारी अनुज सिंह का कहना है कि नजूल, प्राधिकरण और निगम को मामले में जांच करके सरकारी भूमि को संरक्षित करने के निर्देश दिए गए हैं। एमडीए वीसी से कहा गया है कि यदि भूखंड संख्या 470 में फ्री होल्ड एरिया के अलावा किसी हिस्से पर निर्माण की अनुमति दी गई है तो उसे निरस्त कर दिया जाए।
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