मुरादाबाद में ‘मुलायम सिंह की कोठी’ पर विवाद:31 साल पहले 250रु में अलॉट हुई, शासन ने खाली करने का नोटिस दिया, अखिलेश हाईकोर्ट पहुंचे
मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा इस्तेमाल की जा रही ‘मुलायम सिंह की कोठी’ को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। कोठी को खाली कराने के जिला प्रशासन के आदेश के खिलाफ अब सपा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यह रिट सपा जिलाध्यक्ष जयवीर यादव की ओर से दाखिल की गई है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर सरकार पर सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में उन्होंने कहा था, अगर मुरादाबाद में सपा कार्यालय (मुलायम सिंह की कोठी) पर अधिकारी बुलडोज़र लेकर पहुंचे, तो भाजपा के स्मारक भी महफूज़ नहीं रहेंगे।
जबकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा,सरकारी संपत्तियों पर कब्जा करना सपा की आदत रही है। अखिलेश वही दोहरा रहे हैं। कोठी तो उन्हें खाली करनी ही पड़ेगी। सबसे पहले देखिए कोठी की 3 तस्वीरें पहले कोठी के बारे में जानिए यह कोठी मुरादाबाद के सिविल लाइंस क्षेत्र में स्थित है, जिसे 13 जुलाई 1994 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नाम पर आवंटित किया गया था। यह लगभग 954 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है और नगर निगम की नजूल संपत्ति है, जिसका मालिकाना हक राज्य सरकार के पास है।
आवंटन के समय इसका मासिक किराया 250 रुपए तय किया गया था। कोठी में अब समाजवादी पार्टी का जिला कार्यालय संचालित हो रहा है। उद्घाटन के समय इसमें मुलायम सिंह यादव, नगर विकास मंत्री रमाशंकर कौशिक और स्थानीय सपा नेताओं के नाम अंकित हैं।
हालांकि, नगर निगम का कहना है कि पिछले एक साल से किराया जमा नहीं किया गया है और नियमों के मुताबिक किसी भी सरकारी संपत्ति को अधिकतम 15 साल तक ही किराए पर दिया जा सकता है, जबकि सपा पिछले 31 साल से इसका उपयोग कर रही है। किसी दूसरे के नाम ट्रांसफर नहीं कराया गया आवंटन मुरादाबाद प्रशासन की ओर से सपा को 31 जुलाई को जारी नोटिस में कहा गया है कि इस कोठी का आवंटन मुलायम सिंह यादव के नाम पर हुआ था। उनकी डेथ हो चुकी है। इसके बाद सपा की ओर से कोठी का आवंटन किसी और के नाम पर ट्रांसफर नहीं कराया गया है। कोठी का किराया भी जमा नहीं किया गया है। इसलिए आवंटन को निरस्त कर दिया गया है। क्या कहता है प्रशासन?
प्रशासन की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि सरकारी योजनाओं और अधिकारियों के आवास के लिए भूमि की आवश्यकता है। वर्तमान परिस्थितियों में यह भवन शासकीय उपयोग के लिए जरूरी हो गया है। एडीएम (वित्त) की ओर से सपा जिलाध्यक्ष को नोटिस भेजकर 30 दिन के भीतर कोठी खाली कर प्रशासन को कब्जा सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन नोटिस देने के 2 महीने बाद भी अभी तक कब्जा नहीं छोड़ा गया है। प्रशासन ने रद्द किया आवंटन
मुरादाबाद के जिलाधिकारी अनुज सिंह ने इस कोठी का आवंटन रद्द कर दिया है। प्रशासन का कहना है कि नियमों के अनुसार कोई भी सरकारी कोठी अधिकतम 15 वर्षों तक ही किराए पर दी जा सकती है, जबकि सपा 31 सालों से इस कोठी पर काबिज है।
प्रशासन ने पहले सपा को एक महीने की मोहलत दी थी, लेकिन कोठी खाली न करने पर अब नगर निगम को दो सप्ताह में कब्जा लेने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने हाईकोर्ट का रुख किया। सपा ने कोर्ट में याचिका दाखिल की
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मामले में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की गई है। उन्होंने कहा कि कोठी के अंदर सपा कार्यालय का संचालन हो रहा है, जहां मुलायम सिंह यादव की तस्वीर के साथ आजम खां, अखिलेश यादव और धर्मेंद्र यादव की तस्वीरें लगी हुई हैं। DM बोले- 15 साल किराए का प्रावधान
डीएम अनुज सिंह ने कहा, नगर निगम की संपत्तियों को अधिकतम 15 वर्षों के लिए किराए पर देने का प्रावधान है। वर्तमान में कई सरकारी परियोजनाओं के लिए भवनों की आवश्यकता है। ऐसे में कोठी को खाली कराना जरूरी है। नियमों के अनुसार नगर निगम को कब्जा लेने के निर्देश दिए गए हैं। कोठी से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें
स्थान: कोठी नंबर-4, सिविल लाइंस, मुरादाबाद (PTC-2 के सामने)
आवंटन तिथि: 13 जुलाई 1994
क्षेत्रफल: 953.71 वर्ग मीटर
स्थिति: नगर निगम की नजूल संपत्ति
मौजूदा उपयोग: सपा जिला कार्यालय
किराया: 250 रुपए प्रति माह (वर्तमान में बकाया)
आवंटन की अवधि: अधिकतम 15 वर्ष (31 वर्षों से कब्जा) …………………… पढ़ें ये भी जरूरी खबर… अलीगढ़ में TVS शोरूम मालिक की हत्या:बस पर चढ़ते समय बरसाईं गोलियां, परिजनों का हंगामा, पिता बोले- महामंडलेश्वर ने मरवाया अलीगढ़ में शुक्रवार देर रात टीवीएस शोरूम मालिक की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। बाइक से आए दो बदमाशों ने शोरूम मालिक अभिषेक गुप्ता ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं और मौके से फरार हो गए। वारदात को उस वक्त अंजाम दिया गया, जब वह अपने पिता और चचेरे भाई के साथ गांव जाने के लिए बस पर सवार हो रहे थे। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। घटना की जानकारी मिलते ही अस्पताल पहुंचे परिजनों ने जमकर हंगामा किया। उन्होंने हत्या के लिए महामंडलेश्वर डॉ. अन्नपूर्णा भारती उर्फ पूजा शकुन पांडेय और उनके पति अशोक पांडेय को जिम्मेदार ठहराया। फिलहाल हमलावरों की पहचान नहीं हो पाई है। पढ़ें पूरी खबर…
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