मायावती का वही पुराना तेवर, वैसी ही भीड़:अखिलेश सबसे अधिक निशाने पर क्यों? समर्थक बोले- चंद्रशेखर दलितों को लड़ा रहे
बसपा प्रमुख मायावती गुरुवार को आकाश आनंद के साथ मंच पर आईं तो पूरा कांशीराम स्मारक स्थल उनके जयकारों से गूंज उठा। क्रीम कलर के सलवार-सूट में अक्सर नजर आने वाली मायावती ने जिस तरीके से सपा, भाजपा व कांग्रेस को निशाने पर रखा, उससे साफ है कि वह अपने पुराने तेवरों में लौट आई हैं। उत्साह से सराबोर बसपा कार्यकर्ताओं को कभी एकजुटता का संदेश दिया तो कभी उन्हें विपक्षी दलों के जाल में फंसने से आगाह करती नजर आईं। भतीजे आकाश आनंद की तारीफ करते हुए उन्होंने संकेतों में कार्यकर्ताओं को ये संदेश भी दे दिया कि वही बसपा के भविष्य होंगे। मायावती ने मंच से सतीश चंद्र मिश्रा, उमाशंकर सिंह, विश्वनाथ पाल की तारीफ कर 2007 के फार्मूले पर आगे बढ़ने की रणनीति भी बता दी। ये भी साफ कर दिया कि वे इस बार भी बिना गठबंधन के अकेले विधानसभा चुनाव में उतरेंगी। पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यक (PDA) का नारा बुलंद कर 2024 में दलित वोट बटोरने वाली सपा और उसके मुखिया अखिलेश यादव पर जब-जब मायावती ने सियासी तीर छोड़े, भीड़ के उत्साह और नारों के साथ उठने वाले शोर ये साफ बता रहे थे कि मायावती को वो किस अंदाज में देखना चाहते हैं? क्या मायावती की उम्मीद के मुताबिक भीड़ पहुंची? मायावती के भाषण के क्या राजनीतिक मायने निकले? पढ़िए ये रिपोर्ट… कांशीराम स्मारक पर बुधवार रात से ही भीड़ का जमा होना शुरू हो गया था। सुबह ठीक 9.13 बजे जैसे ही बसपा सुप्रीमो मायावती की इंट्री हुई, भीड़ का जोश दोगुना हो चुका था। मैदान में चारों ओर लहरा रहे नीले झंडे की तरह समर्थकों का उत्साह भी हिलोरे मार रहा था। मायावती ने कुल 1.07 घंटे का लिखा हुआ भाषण पढ़ा। मायावती से पहले सिर्फ भतीजे आकाश आनंद का संबोधन हुआ। आकाश ने जैसे ही माइक थामा, भीड़ से आवाज आई कि बहन मायावती और आकाश, जिंदाबाद-जिंदाबाद। आकाश तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं। आकाश के बाद सीधे मायावती का संबोधन ये दिखाता है कि पार्टी में नंबर दो की हैसियत मायावती के बाद अब उनके भतीजे आकाश की स्थापित हो चुकी है। दलितों की एकमात्र स्थापित चेहरा मायावती ही : बसपा ने इस कार्यक्रम के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया था, लेकिन पार्टी के लोगों की ओर से किए जा रहे दावे में 5 लाख लोगों के आने की बात कही जा रही थी। इस दावे के मुताबिक तो भीड़ नहीं पहुंच पाई, लेकिन ढाई से तीन लाख के लगभग पहुंचे समर्थकों ने बसपा के पुराने दिनों की याद दिला दी। भीड़ जुटाकर मायावती ये सियासी संदेश देने में सफल रहीं कि दलितों की एकमात्र स्थापित चेहरा वहीं हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या दलित युवकों की थी, जिसके कुछ समय से चंद्रशेखर के साथ जुड़ने की बात कही जा रही थी। आकाश आनंद की भूमिका स्पष्ट की : कई वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में सिर्फ आकाश आनंद को बोलने का मौका दिया गया। मायावती ने अपने भाषण में कहा- आकाश एक बार फिर पार्टी मूवमेंट से जुड़ चुके हैं, यह शुभ संकेत है। मुझे पता है कि आकाश को आप लोग कितना पसंद कर रहे हैं। आकाश भी आपके बीच ज्यादा से ज्यादा वक्त देंगे। कांशीराम ने जिस तरह अपनी देखरेख में मुझे आगे बढ़ाया था, उसी तरह मैंने भी आकाश आनंद को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। मुझे विश्वास है कि आकाश को आप मेरी तरह ही प्यार और समर्थन देंगे। वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद कासिम कहते हैं- पार्टी में वापसी के बाद पहली बार मायावती ने किसी सार्वजनिक मंच पर उनके बारे में ऐसी बात कही। सिर्फ उन्हें बोलने का मौका देने से साफ है कि वही नंबर दो के नेता बसपा में हैं। बसपा समर्थकों में भी आकाश का क्रेज दिखा। स्पष्ट घोषणा न करके भी मायावती ने संकेतों में उन्हें अपना उत्तराधिकारी बताया। साथ ही अब यूपी में आकाश अधिक सक्रिय दिखेंगे। सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर ही आगे बढ़ेगी पार्टी : पहली बार मंच पर प्रमुख चेहरों को तवज्जो देने की रणनीति पर चलते हुए मायावती ने स्पष्ट कर दिया कि वह 2007 के आजमाए फॉर्मूले पर आगे बढेंगी। मायावती ने मंच से सतीश चंद्र मिश्रा का ये कहते हुए तारीफ की कि वह मीडिया के साथ-साथ पार्टी से ब्राह्मणों के जोड़ने का काम कर रहे हैं। उनके बेटे कपिल मिश्रा ने मेडिकल कैम्प लगाकर कार्यकर्ताओं की सेवा कर रहे हैं। मतलब साफ है कि पार्टी में जिस तरीके से मायावती और सतीश चंद्र मिश्रा की बॉन्डिंग दिखती है। भविष्य में वैसी ही बॉन्डिंग आकाश और कपिल मिश्रा की दिख सकती है। मायावती ने इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह और ओबीसी में अति पिछड़े पाल समाज से आने वाले प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल की तारीफ की। इसके साथ मंच पर तीन मुस्लिम, चार दलित, एक-एक ओबीसी, ब्राह्मण व ठाकुर चेहरे को जगह देकर 65 प्रतिशत आबादी को साधने की कोशिश की है। 2007 में इसी सोशल इंजीनियरिंग के बलबूते बसपा को पहली बार बहुमत मिला था। 2027 में बिना गठबंधन के चुनाव लड़ेंगी मायावती : मायावती ने समर्थकों के बीच ऐलान किया कि 2027 में वह बिना किसी गठबंधन के अकेले मैदान में उतरेंगी और पांचवीं बार सूबे में सरकार बनाकर सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के नारे को चरितार्थ करेंगी। समर्थकों का जोश बढ़ाते हुए मायावती ने इसकी वजह भी बताई। कहा- गठबंधन करके चुनाव लड़ने से वोट प्रतिशत भी गिर जाता है और समय से पहले सरकार भी। जैसे 1993 में सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था तो 67 सीटें जीत पाई। 1996 में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा तो फिर से 67 सीटें जीतीं। जब 2002 में बसपा अकेले चुनाव में उतरी तो उसके 98 विधायक और दो हमारे बागी जीते जो, बाद में वे पार्टी से जुड़ गए थे। सूबे में तीन बार गठबंधन कर सरकार बनाई, लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। यही कारण है कि हमारी पार्टी ने निर्णय लिया है कि 2027 में भी 2007 की तर्ज पर बिना गठबंधन के अकेले ही चुनाव लड़ेगी। पीडीए की हवा निकालने सपा पर साधा निशाना : 2019 में सपा के साथ गठबंधन में लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी बसपा ने सबसे अधिक निशाना साधा। सपा ने PDA का नारा देकर 2024 लोकसभा में दलितों का बड़ा समर्थन प्राप्त किया था। सपा ने भी कांशीराम पुण्यतिथि पर पूरे प्रदेश में कार्यक्रम रखकर दलितों को आकर्षित करने में जुटे हैं। खिसकते जनाधार को बचाने और फिर से अपनी ताकत बटोरने के लिए ही मायावती ने सपा पर सबसे अधिक हमला बोला। मायावती ने समर्थकों को सपा की हकीकत बता कर ये संदेश देने की कोशिश भी की कि उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सत्ता के लिए ही सपा PDA की रट लगा रही है। जब सत्ता में होती है तो PDA को भूल जाती है। 2012 में सपा सरकार में दलित चिंतकों के नाम पर बने जिलों और प्रतिष्ठानों के नाम बदलने, कांशीराम स्मारक और अम्बेडकर पार्क जैसे स्थलों के रख-रखाव की राशि का दूसरे मद में खर्च करने का आरोप लगाते हुए उनकी कथनी-करनी का अंतर साफ किया। अब पढ़िए समर्थकों पर मायावती के इस कार्यक्रम का कैसा असर दिखा ——————- ये खबर भी पढ़िए:- मायावती बोलीं- सपा दोगली पार्टी, योगी की तारीफ की:आजम खान की जॉइनिंग की अटकलों पर कहा- मैं किसी से छिपकर नहीं मिलती बसपा सुप्रीमो मायावती ने 9 साल बाद लखनऊ में शक्ति प्रदर्शन किया। वह पुराने तेवर में नजर आईं। भतीजे आकाश के साथ मंच पर पहुंचीं और हाथ हिलाकर समर्थकों का अभिवादन किया। उन्होंने मंच से सीएम योगी की तारीफ की और सपा को दोगला बताया। इस पर अखिलेश यादव पलटवार किया है। X पर लिखा- क्योंकि उनकी अंदरूनी साठ-गांठ जारी है, इसीलिए वो ज़ुल्म करने वालों की आभारी हैं। पढ़ें पूरी खबर…
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