माफिया अतीक के बेटे से खौफ में झांसी के जेलर:बोले- प्रमोशन में थोड़ा समय बचा, मुझे बवाल से दूर ही रखा जाए

‘जिस बदमाश (अली अहमद) से परेशान होकर 400 km दूर ट्रांसफर कराया, वो यहां झांसी जेल में भी आ गया। मैं तो कह दूंगा कि मुझे उसकी बैरक का चार्ज न दिया जाए।’ ये कहना है झांसी जेल के जेलर अंजनी कुमार गुप्ता का। 1 अक्टूबर को अली अहमद प्रयागराज की नैनी जेल से झांसी जेल में शिफ्ट किया गया है। तब से जेलर अंजनी कुमार गुप्ता खौफ में और परेशान हैं। ‘दैनिक भास्कर’ से मोबाइल पर बात करते हुए उन्होंने अपनी परेशान जाहिर की। वे कहते हैं- मेरे प्रमोशन में थोड़ा समय बचा है, वो बस ठीक से कट जाए। मुझे इस बवाल से दूर ही रखा जाए। इसके चक्कर में ही मेरा तबादला हुआ था। दरअसल, जेलर अंजनी कुमार गुप्ता जून, 2025 में सुर्खियों में आए थे, तब नैनी जेल में अतीक अहमद के बेटे अली की बैरक में 1100 रुपए मिले थे। अली को हाई सिक्योरिटी बैरक में शिफ्ट किया गया। इस कैश कांड की जांच में जेलर अंजनी कुमार गुप्ता का नाम सामने आया था। वो उस वक्त अली की बैरक की सिक्योरिटी देखते थे। इसके बाद जुलाई, 2025 में अंजनी कुमार गुप्ता को झांसी जेल ट्रांसफर कर दिया गया था। सबसे खास बात ये है कि झांसी जेल में अली को जिस बैरक में रखा गया है, उसके इंचार्ज एक बार फिर अंजनी कुमार गुप्ता ही हैं। पढ़िए रिपोर्ट… जुलाई, 2024 में अंजनी कुमार गुप्ता नैनी सेंट्रल जेल में तैनात हुए थे। उन्हें तीन गेट के अंदर बनी बैरक यानि फांसी घर वाली हाई सिक्योरिटी सेल का इंचार्ज बनाया गया था। इसमें अली को कड़ी सुरक्षा और CCTV की निगरानी में रखा गया था। इसके बाद से वह अली की बैरक खुलवाने से लेकर बंद करने के बीच तक की पूरी जिम्मेदारी उठाते थे। अली की मुलाकात से लेकर उसके आने वाले सामानों की भी पूरी जानकारी अंजनी गुप्ता को होती थी। अधिवक्ता मुलाकात के बाद मिला था कैश
16 जून को नैनी सेंट्रल जेल में अली अहमद के लिए एक पार्सल आया। उसी दिन अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने अली से मुलाकात की थी। अली अपनी सेल में कैश गिनते हुए CCTV में मुख्यालय कंट्रोल रूम से देखा गया था। उस पार्सल पर उसकी बुआ यानि अतीक अहमद की बहन शाहीन परवीन का नाम लिखा हुआ था। बुआ के नाम से पार्सल फ्लिप कार्ट से भेजा गया था। उस वक्त अली जिस बैरक में रहता था, उसके विंग के इंचार्ज डिप्टी जेलर अंजनी कुमार गुप्ता थे। अली के सेल की पूरी जिम्मेदारी निभा रहे थे, मगर उनकी एक चूक से कैश कांड हो गया। अली नैनी जेल में 3 साल बंद रहा
अली नैनी सेंट्रल जेल की हाई सिक्योरिटी सेल में 3 साल से बंद था। पहले सिर्फ अधिवक्ता मुलाकात के लिए आते थे। अधिवक्ता यासिर अहमद ने कुल 8 मुलाकात की। अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने एक मुलाकात की थी। अली के भाई अबान ने पांच और बुआ परवीन कुरैशी ने एक मुलाकात की थी। मगर पिछले 3 महीने में भाई अबान ने 9 मुलाकात अली से किए थे। जिसमें वो लोग लंबी–लंबी बातचीत करते थे। माना गया कि दोनों मिलकर कोई साजिश कर सकते हैं, इसलिए अली की जेल बदलकर उसको झांसी भेजा गया। वरिष्ठ जेल अधीक्षक विजय विक्रम के अनुरोध पर मंजूरी
अली अहमद के सेंट्रल जेल से झांसी ट्रांसफर किए जाने के पीछे मौजूदा वरिष्ठ अधीक्षक विजय विक्रम सिंह का एक लेटर है। रंग बहादुर पटेल के जाने के बाद चार्ज लेते जुलाई माह में डीजी जेल पीसी मीणा को पत्र लिखकर अली की जेल बदले जाने के लिए अनुरोध किया था। जिसमें लिखा गया कि अली के कारण जेल में काफी परेशानियां बढ़ रही हैं। जिसको लेकर डीजी ने निरीक्षण किया था और शासन को पत्र भेजा था। जिसपर शासन ने मंजूरी देते हुए यह आदेश जारी किया और अली को झांसी जेल शिफ्ट करा दिया। इस मामले में वरिष्ठ जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह ने कहा- जेल में अली की वजह से काफी परेशानियां बढ़ी थी। सुरक्षा को लेकर अली की जेल बदले जाने के लिए जेल मुख्यालय में पत्र भेजा गया था। जिस पर शासन ने संस्तुति दे दी। एडिशनल आईजी जेल धर्मेंद्र कुमार कहते हैं- जेल से किसी भी अधिकारी या बंदी का ट्रांसफर करना उच्चाधिकारियों का निर्णय होता है। कब, किसे, कहां भेजना है? यह मुख्यालय तय करता है। रही बात अली और जेलर अंजनी गुप्ता के एक ही जेल में ट्रांसफर करने का, तो यह भी उच्चाधिकारियों का ही निर्णय है। अली गिड़गिड़ाया, बोला- योगी जी, जो होना था, हो गया
1 अक्टूबर को अली अहमद प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल से झांसी जेल में शिफ्ट किया गया था। तब उसने मीडिया से कहा- मैं तो दिल्ली में लॉ कर रहा था। फर्जी मुकदमे लगाकर मुझे जेल भेज दिया गया। जेल में रहते हुए मेरे ऊपर 8 मुकदमे लगा दिए गए। अली ने अपनी जान को खतरा बताया। कहा- ये मेरा अल्लाह जानता है कि यहां सुरक्षित रहेंगे कि नहीं? मुख्यमंत्रीजी से यही कहना है कि जो होना था, वो हो गया। लेकिन सरकार के नाम पर कुछ लोग मुझे अन्यथा परेशान कर रहे हैं, उनसे हमें बचा लीजिए। मुझे बेवजह सताया जा रहा है। मुझे रास्ते में पानी पीने तक नहीं दिया गया। प्रयागराज में 24 फरवरी, 2023 को उमेश पाल की हत्या के बाद सीएम योगी ने विधानसभा में कहा था कि माफिया को मिट्‌टी में मिला देंगे। 15 अप्रैल, 2023 को प्रयागराज के अस्पताल में मेडिकल के लिए ले जाते वक्त अली के पिता अतीक अहमद और चाचा अशरफ की हत्या कर दी गई थी। अली की मां शाइस्ता परवीन फरार है। भाई का भी एनकाउंटर हो चुका है। 38 महीने से नैनी जेल में था अली
अली नैनी जेल में 38 महीने से बंद था। उसने 30 जुलाई, 2022 को प्रयागराज कोर्ट में सरेंडर किया था। गिरफ्तारी के बाद पहली बार अली मीडिया से बात कर पाया था। पुलिसवालों ने भी इतनी ढिलाई बरती कि वह अपनी बात मीडिया के सामने रख सके। अली ने सिर पर कैप लगा रखी थी। चेहरे पर अपने पिता की तरह मूछें बढ़ा ली है। झांसी जेल काफी संवेदनशील मानी जाती है। यहां माफिया मुख्तार अंसारी लंबे समय तक बंद रहा है, बाद में उसकी बांदा जेल में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। मुख्तार का कभी राइट हैंड रहा मुन्ना बजरंगी भी इस जेल में बंद रहा था। झांसी जेल से बागपत उसे शिफ्ट किया गया था, वहां उसकी हत्या कर दी गई थी। …….. यह भी पढ़ें : लखनऊ में बेटे ने पेचकस से मां की हत्या की, एविएटेर गेम में 24 हजार रुपए हारा, गहने चुराते हुए मां ने देख लिया था लखनऊ में मां की हत्या के बाद से फरार बेटे को पुलिस ने फतेहपुर जिले से गिरफ्तार कर लिया। वह हत्या के तीन दिन बाद रविवार को प्रयागराज में ट्रेस हुआ था। सोमवार को पुलिस उसे लेकर लखनऊ पहुंची, यहां हत्याकांड का खुलासा किया। पुलिस ने बताया कि आरोपी निखिल ऑनलाइन गेम ‘एविएटर’ का आदी है। पढ़िए पूरी खबर…

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