भगवान बुद्ध का शांति-करुणा और मानवता का संदेश:रूस पहुंचे डिप्टी सीएम केशव मौर्य, माता ग्रीन तारा देवी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर किया नमन

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों को लेकर रूस के काल्मिया गणराज्य की राजधानी एलिस्ता पहुंचे। रविवार को रूस के काल्मिकिया गणराज्य के एलिस्ता शहर में निर्माणाधीन भगवान बुद्ध पार्क में माता ग्रीन तारा देवी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। उन्होंने मंदिर एवं पार्क निर्माण की प्रगति की जानकारी प्राप्त करते हुए करुणा और ज्ञान की अधिष्ठात्री मां ग्रीन तारा से सभी के जीवन में समृद्धि और मंगलमय ऊर्जा की प्रार्थना की। उपमुख्यमंत्री शनिवार को एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को लेकर रूस के काल्मिकिया गणराज्य की राजधानी एलिस्ता पहुंचे। वहां उनका और उनके प्रतिनिधिमंडल का भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने एलिस्ता स्थित गोल्डन एबोड ऑफ शाक्यमुनि बुद्ध मंदिर परिसर में भगवान बुद्ध के पवित्र पिपरहवा अवशेषों को प्रदर्शनी के लिए स्थापित किया और उपस्थित लोगों को संबोधित किया। अब पढ़िए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने क्या कहा…
उपमुख्यमंत्री मौर्य ने कहा- भगवान बुद्ध का शांति, करुणा और मानवता का संदेश सम्पूर्ण विश्व के लिए प्रेरणादायी है। रूस में पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी से भारत और रूस के सांस्कृतिक व राजनैतिक रिश्तों में और गहराई आएगी। भारत से विशेष विमान द्वारा लाए गए पवित्र अवशेषों के साथ वरिष्ठ भारतीय भिक्षु भी रूस गए हैं। यह आठ दिवसीय प्रदर्शनी 11 से 18 अक्टूबर 2025 तक राजधानी एलिस्ता में आयोजित की जा रही है। उपमुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल के दौरान शाक्य संप्रदाय के प्रमुख, परम पावन 43वें शाक्य त्रिज़िन रिनपोछे द्वारा दिए जाने वाले उपदेश और प्रवचन शामिल हैं। मंगोलियाई धार्मिक ग्रंथ के 108 खंड
इसके अलावा पवित्र ‘कंजूर’- मंगोलियाई धार्मिक ग्रंथ के 108 खंड, जिन्हें तिब्बती भाषा से अनुवादित किया गया, नौ बौद्ध संस्थानों और एक विश्वविद्यालय को भेंट किए जाएंगे। यह प्रदर्शनी भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC), राष्ट्रीय संग्रहालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के सहयोग से आयोजित की गई है। एलिस्ता के मुख्य बौद्ध मठ, गेडेन शेडुप चोइकोरलिंग मठ, जिसे “शाक्यमुनि बुद्ध का स्वर्णिम निवास” भी कहा जाता है, में अवशेषों को स्थापित किया गया। यह मठ एक प्रमुख तिब्बती बौद्ध केंद्र है, जिसे 1996 में जनता के लिए खोला गया था। साथ ही, केंद्रीय बौद्ध आध्यात्मिक प्रशासन और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के बीच समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। भारत और रूस के संबंध लंबे समय से मजबूत
उपमुख्यमंत्री ने बताया- ये अवशेष उत्तर प्रदेश के पिपरहवा से प्राप्त हुए हैं, जो प्राचीन कपिलवस्तु नगरी से जुड़े हैं। यह अवशेष पुरातात्विक दृष्टि से प्रमाणित हैं और वैश्विक बौद्ध समुदाय के लिए अत्यंत पूजनीय हैं। काल्मिकिया क्षेत्र में बौद्ध धर्म संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा- भारत और रूस के संबंध लंबे समय से मजबूत हैं। आज का यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ करेगा। यह प्रदर्शनी भारत को बौद्ध धर्म की जन्मभूमि और परंपरा का संरक्षक स्थापित करने में मदद करेगी। साथ ही, वैश्विक शांति और सद्भाव को भी मजबूत करेगी। दुनिया को भारत ने बुद्ध दिया, युद्ध नहीं दिया
मौर्य ने कहा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने विश्व में अपनी संस्कृति और सभ्यता का मान बढ़ाया है। संयुक्त राष्ट्र महासंघ में पीएम मोदी ने कहा था कि दुनिया को भारत ने बुद्ध दिया, युद्ध नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान बुद्ध का दर्शन आस्था के साथ-साथ तर्क, अनुभव और आचरण पर आधारित जीवन शैली है, जो आज भी मानव समाज के लिए सह-अस्तित्व और मानवीय संवेदनाओं का सशक्त संदेश देता है। मौर्य ने कहा- सम्राट अशोक ने जिस बौद्ध धारा से दक्षिण पूर्व और मध्य एशिया को आलोकित किया, आज उसी विरासत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक मंच पर आगे बढ़ा रहे हैं। पिपरहवा से प्राप्त अवशेष न केवल तथागत की स्मृति हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना से भी जुड़े हैं। आज के परिप्रेक्ष्य में भगवान बुद्ध का संदेश और भी प्रासंगिक है, जो पूरे विश्व में शांति, करुणा और सह-अस्तित्व का मार्ग दिखाता है।

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