बुढ़िया माई मंदिर में अंगारों पर चले पुजारी; VIDEO:चमत्कार देख सैकड़ों भक्तों ने जयकारे लगाए, CM योगी ने भी लिया था आशीर्वाद
गोरखपुर में बुधवार शारदीय नवरात्रि के दिन बुढ़िया माई मंदिर में 600 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन किया गया। यहां के पुजारी हाथ में जलता खप्पर लेकर आग पर चले। यह चमत्कार देखने के लिए सैकड़ों भक्तों की वहां भीड़ लग गई। सभी ने जलते अंगारे पर चलने वाले पुजारी का पैर छूकर आशीर्वाद लिया। बीते 22 सितंबर को नवरात्रि के पहले दिन सीएम योगी आदित्यनाथ भी बुढ़िया माई मंदिर जाकर मां का आशीर्वाद लिया। इसके बाद बुढ़िया माई मंदिर के सुंदरीकरण के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। कुसम्ही जंगल में स्थित बुढ़िया माई मंदिर में शारदीय नवरात्रि के दौरान एक अनोखी परंपरा का निर्वहन किया गया। मंदिर के पुजारी रंजीत निषाद ने दोपहर के समय बुढ़िया माई की पूजा-अर्चना की। इसके बाद हाथ में खप्पर लेकर आग पर चले। इस दौरान वहां खड़े भक्त बुढ़िया माई का जयकारा लगा रहे थे। पुजारी रंजीत निषाद ने बताया- यह परंपरा मंदिर की स्थापना से ही चली आ रही है। पहले मेरे पिता स्वर्गीय रामदेव निषाद भी इस परंपरा का पालन करते थे। बुढ़िया माई मंदिर का इतिहास पुजारी रंजीत निषाद ने बताया- बुढ़िया माई मंदिर लगभग 600 साल पुराना है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां जो भी भक्त सच्चे हृदय से शीश नवाता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। पहले मंदिर के आसपास के क्षेत्र में थारु जाति के लोग रहते थे, जो जंगल में ही तीन पिंड बनाकर वनदेवी की पूजा-अर्चना करते थे। नवरात्रि के दौरान मेले जैसा माहौल नवरात्रि के दौरान बुढ़िया माई मंदिर में मेले जैसा माहौल रहता है। यहां भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं और पुजन-अर्चन कर मन्नत मांगते हैं। इस धरोहर के संरक्षण को लेकर शासन भी गंभीर है और पर्यटन विभाग को इसके संरक्षण और सुंदरीकरण की जिम्मेदारी दी गई है। पुजारी की अग्नि परीक्षा बुढ़िया माई मंदिर के पुजारी रंजीत निषाद नवरात्रि के दौरान अग्नि परीक्षा देते हैं। वह हर नवरात्रि में हाथ में खप्पर लेकर आग पर चलते हैं और लोग बुढ़िया माता का जयकारा लगाते हैं। यह परंपरा मंदिर की स्थापना से ही चली आ रही है और पुजारी के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। मंदिर में आने वाले की नहीं होती अकाल मृत्यु बुढ़िया माई मंदिर की विशेषता है कि यहां भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे हृदय से यहां आकर माता की पूजा करता है। उसकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है। माता अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करती हैं।
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