बीच सत्र में शिक्षकों की वापसी से मचा हड़कंप:यूपी में बच्चों की पढ़ाई पर संकट; सरप्लस समायोजन के तीन माह बाद जारी हुए आदेश; हाई कोर्ट पहुंचा मामला
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के समायोजन और स्थानांतरण को लेकर एक बार फिर विवाद गहराने लगा है। विभाग की ओर से तीन महीने पहले किए गए समायोजन के बाद अब अचानक शिक्षकों को उनके मूल विद्यालयों में वापस भेजने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इससे प्रदेशभर में हजारों शिक्षक मानसिक तनाव में हैं, जबकि बच्चों की पढ़ाई पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। 26 जून 2025 को जारी शासनादेश के तहत शिक्षकों का अंतरजनपदीय समायोजन महानिदेशक स्कूल शिक्षा के निर्देशों के अनुसार किया गया था। इसके बाद जुलाई के पहले सप्ताह तक सभी शिक्षकों ने अपने नए विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण कर लिया था। पूरी प्रक्रिया में शिक्षकों की सरप्लस सूची तैयार कर यह सुनिश्चित किया गया था कि जिन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है, वहां पर्याप्त स्टाफ पहुंचे और शिक्षण व्यवस्था सुचारू रूप से चले। नए विद्यालयों में तीन माह से कार्यरत, अब वापसी के आदेश प्रदेश के विभिन्न जिलों में समायोजित शिक्षक पिछले तीन महीनों से नए विद्यालयों में नियमित रूप से शिक्षण कार्य कर रहे हैं। कई शिक्षक तो अपने परिवारों सहित नए स्थानों पर स्थानांतरित भी हो गए। अधिकांश ने अपने बच्चों का एडमिशन भी नए विद्यालयों में करा दिया है।लेकिन अब कुछ जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) द्वारा इन शिक्षकों को उनके मूल विद्यालयों में वापस भेजने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। यह कदम महानिदेशक द्वारा दिए गए पूर्व निर्देशों के विपरीत माना जा रहा है, जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि सभी शिक्षकों को कार्यमुक्त कराकर नए विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण कराया जाए। शिक्षकों में भारी रोष, कहा- बीच सत्र में शिक्षा व्यवस्था चरमराएगी बीएसए के आदेशों के बाद शिक्षकों में गहरी नाराजगी है। कई जिलों में शिक्षकों ने इसे “बीच सत्र में अराजक निर्णय” करार दिया है। उनका कहना है कि तीन महीने से नई जगहों पर पढ़ाई सुचारू रूप से चल रही है, ऐसे में अचानक वापसी से शिक्षा व्यवस्था चरमरा जाएगी।शिक्षकों का यह भी कहना है कि यह प्रक्रिया महानिदेशक और सचिव के निर्देशों के अनुरूप पूरी पारदर्शिता से की गई थी। अब बीच सत्र में बदलाव से न सिर्फ शिक्षण कार्य बाधित होगा बल्कि उनके परिवारों और बच्चों की शिक्षा पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा। कई शिक्षक निर्वाचन कार्य में भी तैनात, BLO पर असर की आशंका कई समायोजित शिक्षक वर्तमान में अपने नए विद्यालयों पर BLO (Booth Level Officer) के रूप में भी कार्यरत हैं। ऐसे में उनकी वापसी से निर्वाचन कार्य प्रभावित होने की आशंका है। शिक्षकों का कहना है कि विभागीय आदेशों का पालन करते हुए उन्होंने नए विद्यालयों में निष्ठापूर्वक कार्य किया है, अब उन्हें अनुचित रूप से परेशान किया जा रहा है। मामला न्यायालय में विचाराधीन, कार्रवाई रोकने की अपील शिक्षक संगठनों ने इस मुद्दे पर महानिदेशक, स्कूल शिक्षा को ज्ञापन भेजा है। उनका कहना है कि समायोजन प्रक्रिया माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए न्यायालय के निर्णय आने तक किसी भी शिक्षक को मूल विद्यालय वापस भेजना उचित नहीं होगा।उन्होंने मांग की है कि जब तक अदालत से आदेश नहीं आता, तब तक बीएसए द्वारा जारी सभी वापसी आदेशों पर रोक लगाई जाए। साथ ही, यदि आवश्यक हो तो “समायोजन थर्ड प्रक्रिया” शुरू कर खाली पदों पर शिक्षकों को समायोजित किया जाए ताकि किसी भी विद्यालय में शिक्षण कार्य प्रभावित न हो। ‘सरप्लस सूची अब भी लंबी, शिक्षकों को वापस भेजना अनुचित’ शिक्षक संगठनों का कहना है कि समायोजन की दो चरणों की प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद प्रदेश के कई जिलों में अभी भी सरप्लस शिक्षकों की संख्या अधिक है। ऐसे में पुराने विद्यालयों में वापसी का आदेश तर्कसंगत नहीं है।एक शिक्षक नेता ने कहा “हमने विभागीय आदेशों का पालन करते हुए तीन महीने पहले नई जगहों पर कार्यभार ग्रहण किया। अब बीच सत्र में हमें वापस भेजना शिक्षा और शिक्षकों दोनों के साथ अन्याय है।”
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