बिजली निगम में साइबर सेल ने शुरू की जांच:2 सहायक अभियंताओं का निलंबन वापस हो चुका है; जल्द पता लगेगा गलती किसकी
बिजली निगम में मीटर बदलने के मामले में रिजेक्टेड केस अप्रूव किए जाने के मामले की साइबर सेल ने जांच शुरू कर दी है। इस जांच में यह बात पता लगाई जाएगी कि रिजेक्ट किए गए केस को अप्रूव करने में अधिशासी अभियंताओं का हाथ या सही में साइबर फ्राड किया गया है। अधिशासी अभियंताओं का ईमेल इसका राज खोलेगा। पुराने और प्रीपेड मीटर बदलने का काम प्रदेश में जीनस कंपनी कर रही है। मीटर बदलने के बाद आखिरी चरण में क्वालिटी चेक (QC-3) अप्रूव करना होता है। इसमें बदले गए मीटर से रीडिंग आदि का मिलान करने के बाद परीक्षण खंड अप्रूव करता है, उसके बाद ही मीटर बदलने की प्रक्रिया पूरी मानी जाती है और कंपनी को इसके अनुसार भुगतान होता है। गोरखपुर व बस्ती मंडल में एक ही दिन में 3700 से अधिक रिजेक्टेड केस अप्रूव कर दिए गए थे। जिसमें से 3000 से अधिक केस केवल गोरखपुर जोन प्रथम के हैं। एमडी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने इस मामले में इस जोन के 3 एक्सईएन एवं 2 सहायक अभियंता मीटर को निलंबित कर दिया था। बाद में यह बात सामने आयी कि सहायक अभियंताओं की आईडी से अप्रूवल नहीं हुआ है। इसके बाद दोनों सहायक अभियंताओं का निलंबन वापस हो गया। अब जानिए क्या गड़बड़ी हुई मीटर बदलने के मामले में जनवरी 2025 से ही कई मामले पेंडिंग थे। इनका QC-3 अप्रूवल नहीं किया गया था। लगातार मामले पेंडिंग दिखाने से समीक्षा में कंपनी के अधिकारी जवाब नहीं दे पा रहे थे। इसके बाद 17 सितंबर को शाम 6 बजे से 18 सितंबर सुबह 6 बजे के बीच बड़े पैमाने पर QC-3 के रिजेक्टेड केस अप्रूव कर दिए गए। ये अप्रूवल अधिशासी अभियंताओं की आईडी से हुआ। दूसरे दिन जब अभियंताओं को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने उच्च अधिकारियों को इस बात की सूचना दी। साथ ही जीनस कंपनी को भी पत्र लिखकर बताया गया कि उन्होंने ये अप्रूवल नहीं किए हैं। उनकी आईडी हैक कर अप्रूवल किया गया है। शुरू में नहीं दर्ज हुई थी एफआईआर इस मामले की जानकारी होने के बाद अधिशासी अभियंताओं की ओर से एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। यही कारण है कि उनकी भूमिका को संदिग्ध मान लिया गया। हालांकि अभियंताओं का कहना है कि उन्होंने उच्च अधिकारियों को इस बात की जानकारी दे दी थी। उन्हें लगा कि बिजली निगम इस मामले में एफआईआर कराएगा क्योंकि मामला पूरे प्रदेश से जुड़ा है। हालांकि निलंबन के बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई है और साइबर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। पासवर्ड बदलने से पहले नहीं आया मेल आईडी व पासवर्ड कंपनी की ओर से ही मुहैया कराया जाता है। जब भी पासवर्ड बदला जाता है, तो उसका मैसेज ई मेल पर भेजा जाता है। अभियंताओं का दावा है कि उन्हें ऐसा कोई मेल प्राप्त नहीं हुआ था। अब साइबल सेल इस मामले में सच्चाई का पता लगा रही है। इस मामले में आईपी एड्रेस का पता भी लगाया जा रहा है। अन्य जिलों के अधिशासी अभियंताओं ने अप्रूवल करने की बात मानी अन्य जिलों के अधिशासी अभियंताओं ने अपनी आईडी से अप्रूवल करने की बात मानी है। गोरखपुर के अधिशासी अभियंताओं ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि उन्होंने अप्रूवल किया है। नतीजा यह हुआ कि अन्य किसी जिले में इस तरह की कार्रवाई नहीं हुई। केवल गोरखपुर के अभियंताओं पर यह कार्रवाई की गई है। इसके बाद कंपनी को बचाने के आरोप भी लगने लगे हैं।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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