बिजनौर में तेंदुए का खौफ, रातभर पहरा दे रहे गांववाले:14 दिन में चार को बनाया शिकार, पीलीभीत-कानपुर से बुलाए एक्सपर्ट

एक हाथ में टॉर्च, दूसरे हाथ में डंडा। निगाहें खेतों पर। मुस्तैदी बिल्कुल बॉर्डर सिक्योरिटी जैसी। रात के सन्नाटे को चीरती टॉर्च की रोशनी और जमीन पर पटकते भारी-भरकम डंडों की गूंज किसी क्रिमिनल से निपटने के लिए नहीं, बल्कि तेंदुए को खदेड़ने के लिए है। ये दृश्य बिजनौर जिले के बीरू वाला गांव का है। रात के 9 बजे युवाओं की टोली लाठी-डंडों के साथ पहरा दे रही है। महिलाओं से लेकर बच्चे तक पूरी-पूरी रात जाग रहे। सभी में तेंदुए का खौफ है। रोजाना खेतों में तेंदुआ देखा जा रहा। 14 दिन में 4 लोगों के मारे जाने से सभी खौफजदा हैं। अकेले बीरूवाला नहीं, आसपास के ज्यादातर गांवों में यही हालात हैं। दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर इन लोगों संग रात बिताई। महसूस किया कि लोग किस कदर दहशत में हैं। सीरीज की पहली रिपोर्ट में हमने पीड़ित परिवारों का दर्द बताया था। अब दूसरी रिपोर्ट में रात का माहौल पढ़िए… रात : 9 बजे गांव : बीरूवाला घर छोड़ गांव की मेन सड़क पर पहरेदारी
मेरठ-पौड़ी नेशनल हाईवे पर बिजनौर में नजीबाबाद क्षेत्र का गांव है बढ़िया। यहां से करीब ढाई किमी अंदर चलने पर बीरू वाला गांव पड़ता है। रात 9 बजे हम यहां पहुंचे। गांव के मुख्य मार्ग पर सरकारी स्कूल के पास ही करीब 20 से ज्यादा लड़के हाथ में लाठी-डंडे और टॉर्च लेकर पहरा दे रहे थे। यहां पहुंचने से पहले भी हमें रास्ते में कई जगह लोग टॉर्च लेकर खड़े मिले। सुनसान रास्तों से जब हम कार लेकर गुजरे तो वो टॉर्च की रोशनी में हमें देखना चाह रहे थे कि रात में कौन गुजर रहा है। खैर, ऊंचे-नीचे रास्तों से गुजरते हुए हम बीरू वाला गांव पहुंच गए। दहशत का आलम देखिए, युवाओं संग महिलाएं-बच्चे भी सड़क पर ग्रुप में इकट्ठा होकर घूम रहे थे। लोग बोले- पहरा देने की वजह से पूरी रात नहीं सो पा रहे सादवान शेख कहते हैं कि अकेले बीरूवाला नहीं, पूरे नजीबाबाद क्षेत्र में 15-20 दिनों से तेंदुए ने आतंक मचाया हुआ है। 15 दिन में तेंदुए ने 3 बच्चों और एक महिला को मार डाला। सरकार इस चीज पर जोर दे कि तेंदुए इतनी बड़ी संख्या में कहां से आ रहे हैं। भूपेंद्र के एक हाथ में टॉर्च और दूसरे हाथ में मोटा डंडा दिखा। वो कहते हैं- गुलदार के लिए पूरी रात पहरा दे रहे। हम पूरी रात घूमते रहते हैं। खेतों की तरफ टॉर्च मारकर देखते रहते हैं। इस वजह से सोना नहीं हो पाता। पूरी रात ऐसे ही गुजर जाती है। दीपक बताते हैं, अभी तीन दिन पहले स्कूल की दीवार पर हमने दो तेंदुए देखे थे। तेंदुआ देखे जाने का कोई वक्त नहीं है। वो किसी भी वक्त दिख जाते हैं। रात में गांव के सभी लड़के पहरा दे रहे हैं। तेंदुए की दहशत की वजह से बीच में स्कूल में बच्चों की मौजूदगी एकदम कम हो गई थी। पहरा देने वालों के साथ खड़े भीम आर्मी के जिला कोषाध्यक्ष सुमित कुमार का कहना है कि इस समय की स्थिति इतनी खराब कि क्या ही कहें। प्रशासन तेंदुओं को पकड़ने में फेल दिख रहा है। 15 दिन में चार घटनाएं हुईं, लेकिन तेंदुआ सिर्फ एक जगह पकड़ा गया। बीरूवाला गांव में वन विभाग से कोई पूछने तक नहीं आया। शिवम कश्यप बताते हैं- तेंदुए के खौफ से किसान अकेले खेतों पर नहीं जा पा रहे। वो समूह में कम से कम तीन-चार किसानों की टोली बनाकर खेतों पर काम करने जाते हैं। पशुओं के चारे की व्यवस्था करने के लिए रोजाना खेतों पर जाना जरूरी है। इसलिए हम इकट्ठा होकर चारा काटने जाते हैं। दो लोग चारा काटते हैं और दो लोग आसपास नजर बनाए रखते हैं। गांव : रामदास वाली बच्चे की जान जाने के बाद प्रधान ने लाइटें लगवाईं रात के 10 बजे हैं। लोग घरों के अंदर सो नहीं रहे। कोई घर के गेट पर बैठा है, कोई चबूतरे पर। सब समूह में इकट्ठा होकर बातचीत कर रहे हैं। चर्चा का एक ही टॉपिक है…तेंदुआ। यहां एक सितंबर को आठ वर्षीय कनिष्क को तेंदुआ उठाकर ले गया और मार डाला। गांव के एग्जिट पॉइंट पर घर और खेत आपस में मिले हुए हैं। इन्हीं खेतों में कई साल से तेंदुआ दिखता रहा है, लेकिन डर इसलिए नहीं था, क्योंकि उसने कभी इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचाया। ये पहली बार है, जब तेंदुए ने इंसानी बच्चे का शिकार किया है। इस हादसे के बाद ग्राम प्रधान ने गांव में जगह-जगह खंभों पर लाइटें लगवाई हैं। इस वजह से अब अंधेरे जैसी स्थिति तो नहीं है। वन विभाग का एक कर्मचारी परमानेंट इस गांव में कैंप कर रहा है, जबकि बाकी कर्मचारी बीच-बीच में दौरा करते रहते हैं। अंधेरा होते ही गांव के लोग पहरा देने के लिए मुस्तैद हो जाते हैं। वो पूरी-पूरी रात जागकर अपने गांव की सुरक्षा कर रहे हैं। चार जगह मौतें, तेंदुआ सिर्फ एक पकड़ा
बिजनौर में एक से 14 सितंबर के बीच तेंदुए ने 3 बच्चों और एक महिला की जान ली। इन चारों घटनाओं में से सिर्फ एक घटना जो इस्सेपुर गांव में हुई, उसमें तेंदुआ पकड़ा गया। बाकी तीन घटनाओं में कोई तेंदुआ हाथ नहीं आया। चारों गांवों की दूरी करीब 35 से 40 किलोमीटर है। यानी चारों घटनाओं में तेंदुए अलग-अलग भी हो सकते हैं। ग्रामीण मान रहे हैं कि वन विभाग तेंदुओं को एक क्षेत्र से पकड़कर दूसरे क्षेत्र में छोड़ दे रहा है। इस वजह से आबादी वाले क्षेत्रों में तेंदुओं की संख्या बढ़ गई है। गांव : इस्सेपुर स्कूल बंद, समाधि पर पढ़ रहे बच्चे तेंदुए से प्रभावित गांव इस्सेपुर के जोगेंद्र सिंह कहते हैं, गांव में दहशत से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। गांव से 500 मीटर दूर सरकारी स्कूल हैं। टीचर कह रहे हैं कि यदि ऐसा ही माहौल रहा तो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होना तय है। गांव के अंदर अमर शहीद फौजी की समाधि के पास बच्चों को इकट्ठा करके पढ़ाया जा रहा। फिलहाल स्कूल बंद चल रहा है। गांव के दूसरी तरफ भी दहशत के हालात हैं। रात में लोग इकट्ठा होकर चल रहे हैं। घास काटने के लिए भी महिलाएं इकट्ठा होकर खेतों पर जा रही हैं। पीलीभीत-कानपुर से आए एक्सपर्ट
तेंदुए के खौफ के बीच पीलीभीत टाइगर रिजर्व के एक्सपर्ट दक्ष गंगवार और कानपुर चिड़ियाघर के एक्सपर्ट नासिर बिजनौर आए हुए हैं। वो पिछले कई दिन से नजीबाबाद क्षेत्र के कौड़िया वन्य रेंज में कैंप कर रहे हैं। वो यहां रहकर वन विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों का ऑब्जर्वेशन कर रहे हैं। उनका मकसद यह देखना है कि तेंदुआ पकड़ने में कहीं कोई चूक तो नहीं हो रही। इनपुट सहयोगी : जहीर अहमद, सुहैल ……………. ये खबर भी पढ़ें… बिजनौर में तेंदुए ने 14 दिन में 4 को मारा:उत्तराखंड बॉर्डर से सटे 50 गांवों में खौफ, बच्चों का अकेले घर से निकलना बंद-पार्ट 1 यूपी के बिजनौर में तेंदुओं का खौफ है। 14 दिन के भीतर 3 बच्चों समेत 4 लोगों को मौत की नींद सुला चुका है। दर्जनों लोगों पर हमला हो चुका है। नजीबाबाद क्षेत्र के करीब 40 किलोमीटर के दायरे में 50 से ज्यादा गांवों के लोग दहशत के साये में जी रहे हैं। कई गांव में तेंदुए देखे जा रहे हैं। हमने उत्तराखंड के 2 बॉर्डर कोटद्वार और भागुवाला से सटे इलाकों में प्रभावित गांवों का दौरा किया। जिन्होंने अपनों को खोया, उनका दर्द जाना। पढ़िए पूरी खबर…

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर