बरेली में बच्चों को आगे कर किया बवाल:आसपास 390 मस्जिदें, 40 हजार लोग जुटाकर दंगे का था प्लान; बाहर से आए बवाली

यूपी के बरेली में ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पर 26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद बवाल हुआ। 4 जगह पुलिस पर पत्थरबाजी-गोलीबारी हुई। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। आंसू गैस के गोले छोड़े। पुलिस का दावा है कि घटनास्थल से तमंचा, कारतूस, पेट्रोल बोतलें, लाठी-डंडे, ईंट-पत्थर मिले हैं। पुलिस इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि बवाल में ज्यादातर नौजवान लड़के शामिल थे। सोशल मीडिया के जरिए भीड़ इकट्ठा की गई। इसमें प्रमुख नाम तौकीर रजा के प्रतिनिधि नदीम का सामने आया है। बरेली के अलावा कई शहरों से बवाली आए। बरेली में बवाल की शुरुआत कैसे हुई? माहौल भड़काने में किसकी क्या भूमिका रही? ऐन वक्त पर भीड़ क्यों बेकाबू होती गई? दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर ये सब समझा। पढ़िए ये रिपोर्ट… DIG बोले- दूसरे शहरों से भी बरेली में आए बवाल करने वाले
बरेली रेंज के DIG अजय साहनी ने फोन पर बताया- कानपुर की घटना को लेकर हमारे पास बरेली में 7 दिन से बवाल का इनपुट था। इसलिए हम मौलाना तौकीर रजा के संपर्क में थे। हमने उनसे कहा कि हम घर के गेट पर आकर या मस्जिद के गेट पर ज्ञापन ले लेंगे। लेकिन, उन लोगों का मकसद ज्ञापन देना नहीं, बवाल कराना था। जिस इलाके में बवाल हुआ, वहां कुल 5 थाना क्षेत्रों में तकरीबन 390 मस्जिदें हैं। प्लान था कि अगर एक मस्जिद से 100-100 लोग आएं, तो इस्लामिया ग्राउंड पर करीब 40 हजार लोग इकट्ठा हो जाएंगे। उसके बाद उस भीड़ से दंगा जैसा कुछ भी करा पाएंगे। इससे पहले ही हमने इस्लामिया ग्राउंड समेत सभी स्थानों पर पर्याप्त पुलिस फोर्स तैनात कर दिया था। बवाल भड़काने के लिए सोशल मीडिया का सहारा
DIG ने बताया- इस बवाल को भड़काने में सोशल मीडिया का प्रयोग किया गया। पुलिस ने एक वॉट्सऐप ग्रुप और दो फेसबुक पेज चिह्नित किए हैं। इन पर कानपुर की घटना को लेकर लगातार भड़काऊ सामग्री डाली जा रही थी। मौलाना तौकीर रजा का प्रतिनिधि नदीम खान बवाल के वक्त और पहले लगातार वॉट्सऐप कॉल करके भीड़ जुटा रहा था। हमने नदीम को बुक किया है, उसकी तलाश में पुलिस की दबिश दी जा रही है। DIG ने ये भी माना है कि बरेली के बवाल में दूसरे शहरों से भीड़ बुलाई गई। रामपुर, मुरादाबाद, पीलीभीत तक से लड़के आए। ऐसा इनपुट पुलिस के पास है। पुलिस वीडियो फुटेज के आधार पर इन्हें चिह्नित कर रही है। पुलिस नहीं रोक पाई बयानबाजी, IMC नेताओं के 8 दिन में 5 बयान
‘आई लव मोहम्मद’ प्रकरण की शुरुआत कानपुर से हुई। इसके बाद यूपी के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन होने लगे। सरकार से साफ निर्देश थे कि सोशल मीडिया पर नजर रखी जाए। मुस्लिम नेताओं और अन्य धर्मगुरुओं से बातचीत की जाए। जिससे वो इस पर कोई बयानबाजी न करें। इसके बावजूद बरेली में 19 से 26 सितंबर तक यहां के प्रमुख मुस्लिम संगठन IMC के नेताओं ने 5 बयान जारी किए। इन बयानों के वीडियो सोशल मीडिया में सर्कुलेट हुए और इससे माहौल गरमाता चला गया। 1- तौकीर रजा का पहला बयान- हिंदुत्ववादी संगठन माहौल खराब कर रहे
बरेली में इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा ने 19 सितंबर को अपने घर पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। इसमें उन्होंने कहा- शाहजहांपुर में पैगंबर साहब की शान में गुस्ताखी हुई। मुसलमानों पर हमलों पर न तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई, न कोई संज्ञान लिया। यह सब हिंदुत्ववादी संगठनों की साजिश है, जो देश में माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। हम भारत को श्रीलंका और नेपाल नहीं बनने देंगे। नफरती माहौल फैलाने वाले संगठनों पर अगर एक हफ्ते में एक्शन नहीं लिया गया तो हम सड़कों पर उतरेंगे। 2- IMC महासचिव ने इंस्पेक्टर से कहा- हाथ काट लूंगा
बरेली के एक मोहल्ले का नाम जखीरा है। 21 सितंबर को यहां ‘आई लव मोहम्मद’ के पोस्टर चिपके थे। पुलिस को सूचना मिली। किला थाने के इंस्पेक्टर सुभाष कुमार जब मौके पर पहुंचे, तो वहां कुछ लोग इकट्ठा थे। उन्होंने भीड़ से अपने-अपने घर चले जाने को कहा। इस दौरान वहां IMC के महासचिव डॉ. नफीस खान आ गए। एक वायरल वीडियो में वो कहते हैं- मैंने अभी इंस्पेक्टर को गालियां दे दीं। मैंने कहा कि हाथ काट लूंगा। वीडियो वायरल हुआ, तो 22 सितंबर को पुलिस ने नफीस खान पर FIR दर्ज कर ली। धीरे-धीरे ये वीडियो बरेली के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सर्कुलेट हो गया। 3- पुलिस ने प्रदर्शन रद का लेटर वायरल किया, उसे IMC ने बताया फर्जी
IMC अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा 19 सितंबर को ही ‘आई लव मोहम्मद’ मसले पर ऐलान कर चुके थे कि 26 सितंबर को बरेली के इस्लामिया ग्राउंड में बड़ा प्रदर्शन होगा। इस बीच तारीख 25 सितंबर आ गई। रात करीब 12 बजे वॉट्सऐप पर IMC का एक लेटर पुलिस की तरफ से मीडियाकर्मियों को भेजा गया। इसमें कहा गया कि सिर्फ तौकीर रजा एक मेमोरेंडम देने जाएंगे। बाकी लोग अपनी-अपनी मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ें और घर चले जाएं। इसके 2 घंटे बाद उसी रात पूर्व जिलाध्यक्ष नदीम खान ने IMC के वॉट्सऐप ग्रुप पर मैसेज करके बताया कि जो लेटर वायरल हुआ है, वो फर्जी है। यानी पुलिस ने जो लेटर मीडियाकर्मियों को भेजा, IMC ने साफतौर पर उसे झूठा बता दिया। 4- बवाल से एक दिन पहले तौकीर बोले- मेरा कार्यक्रम स्थगित नहीं
ऐसा करते-करते 26 सितंबर की सुबह हो गई। मौलाना तौकीर रजा का घर इस्लामिया मस्जिद के पास है। वो सुबह 11 बजे ही इस घर से निकलकर अपने दोस्त फरहत के घर पहुंच गए। फरहत का घर वहां से करीब साढ़े 4 किलोमीटर दूर फाइक एन्क्लेव फेज-2 में है। यहां आते ही मौलाना ने अपना वीडियो बयान जारी किया। कहा कि मेरा कार्यक्रम स्थगित नहीं हुआ है। मैं 19 सितंबर के अपने ऐलान पर कायम हूं। 5- पुलिस हिरासत में दिया बयान- मैं जान देने को तैयार हूं
26 सितंबर को वीडियो वायरल होते ही पुलिस हरकत में आ गई। पुलिस जब तौकीर रजा को हाउस अरेस्ट करने पहुंची, तो वो अपने घर पर मौजूद नहीं थे। किसी तरह पुलिस को उनके नए ठिकाने का पता चल गया। 50 से ज्यादा पुलिसवालों ने तौकीर रजा के दोस्त फरहत के घर पर डेरा डाल दिया। पूरे दिन तौकीर रजा को घर से नहीं निकलने दिया। धीरे-धीरे ये बात भी बरेली शहर के वॉट्सऐप ग्रुपों में सर्कुलेट हो गई कि तौकीर रजा हाउस अरेस्ट हैं। पुलिस ने उन्हें नजरबंद किया हुआ है। इधर, 26 सितंबर की दोपहर बवाल के बाद मौलाना तौकीर रजा अपना पक्ष रखना चाहते थे। कुछ करीबियों ने ये बात मीडियाकर्मियों तक पहुंचाई। शुक्रवार रात 10 बजे जब मीडियाकर्मी उनके हाउस अरेस्ट वाले ठिकाने पर पहुंचे तो पुलिस ने मिलाने से साफ इनकार कर दिया। इसके कुछ देर बाद ही तौकीर रजा ने पुलिस हिरासत के बीच फिर से नया वीडियो बयान जारी कर दिया। इसमें उन्होंने कहा- डीएम-एसपी ने मुझे बाहर नहीं निकलने दिया। वह चाहते हैं कि मुसलमान अल्लाह का नाम न लें। मुझे भी अतीक-अशरफ की तरह गोली मार दी जाए। मैं रसूल के नाम पर जान देने को तैयार हूं। DM बोले- हम पहले से तौकीर रजा के टच में थे
IMC नेताओं की बयानबाजी क्यों नहीं रुक पाई? इस पर बरेली के DM अविनाश सिंह ने बताया- 6-7 दिन पहले ये मालूम हुआ था कि मौलाना तौकीर रजा कुछ मुद्दों पर इस्लामिया ग्राउंड पर एकत्र होकर वहां से कलेक्ट्रेट जाएंगे और ज्ञापन देंगे। तुरंत ही हम मौलाना के संपर्क में आ गए। हमने उन्हें बताया कि जिले में धारा-163 लागू है। इसलिए बिना अनुमति कोई कार्यक्रम न किया जाए। तौकीर रजा के 2 प्रतिनिधि नदीम और नफीस हैं। हम इन दोनों के टच में थे। 3 दिन पहले नदीम हमारे कैंप ऑफिस में आए। उन्हें सारी स्थिति बताई गई और वो संतुष्ट होकर गए। इसके ठीक एक दिन बाद मेरे कैंप ऑफिस में शाम के वक्त तौकीर रजा आए। वहां एसएसपी की मौजूदगी में बात हुई। हमने उन्हें सारी स्थिति बताई। कहा कि बिना अनुमति कार्यक्रम न किया जाए। उन्हें कार्यक्रम करने की स्थिति में बिगड़ने वाले माहौल के बारे में बताया गया। तौकीर रजा ने कहा कि मैं घर जाकर आपको जवाब दूंगा। अगले दिन तौकीर रजा ने फिर कहा कि आपको पॉजिटिव जवाब मिलेगा। रात को उनके प्रतिनिधि नदीम और नफीस के हस्ताक्षर से हमें एक कागज मिला। इस पर लिखा था कि अब हम जुमे की नमाज के बाद कोई कार्यक्रम नहीं करेंगे। हम मानकर चल रहे थे कि अब कुछ नहीं होगा। लेकिन, कुछ देर बाद ही IMC नेताओं ने इसका खंडन कर दिया। हमने कॉल करके पूछा तो IMC नेताओं ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। आपको हमने जो लेटर पहले दिया है, वही ठीक है। इसके बावजूद 26 सितंबर की सुबह साढ़े 10 बजे तौकीर रजा ने वीडियो बयान जारी करके कहा कि हम कार्यक्रम करेंगे। कुल मिलाकर हम तौकीर रजा और उनकी टीम के लगातार संपर्क में थे। पढ़िए प्रदर्शन में शामिल लोगों की बात ‘हमें नहीं पता माहौल किसने भड़काया’
बरेली पुलिस ने बताया कि इस बवाल में अब तक 8 लोगों को जेल भेजा गया है। करीब 39 लोग कस्टडी में हैं। जिन लड़कों को हिरासत में लिया है, बड़ी संख्या में उनके परिजन बरेली के कोतवाली पुलिस स्टेशन पहुंच रहे। आरोप लगा रहे कि पुलिस ने गलत तरीके से उनके बच्चों को हिरासत में लिया है। हालांकि SSP अनुराग आर्य ने साफ किया है कि एक भी निर्दोष व्यक्ति जेल नहीं जाएगा। हमने ऐसे कई लोगों से बात करके उनका पक्ष जाना। गजल नामक शख्स ने कहा- हमें पता ही नहीं चला कि माहौल कैसे भड़का या किसने भड़काया? एकदम से हल्ला मचा और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। पुलिस ने बच्चों के सिर पर लाठियां बरसाईं। जुमे की नमाज के बाद कुल तीन जगहों पर पब्लिक इकट्ठा थी। हमसे इंस्पेक्टर ने कहा कि शांतिपूर्वक खड़े रहोगे, तो कुछ नहीं होगा। हम शांति से खड़े रहे। हम गली के अंदर खड़े थे। हमने नारेबाजी भी नहीं की। वहां सारे पुलिस अधिकारी भी आए। उन्होंने देखा कि हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे। हम सिर्फ ये कह रहे थे- आई लव मोहम्मद। ‘पुलिस ने लोगों को बुरी तरह मारा’
राहिल ने कहा- अगर कोई धर्म पर ठेस पहुंचाएगा, तो उस धर्म के लोगों को बुरा ही लगेगा। न्याय मांगने के लिए हमें सड़कों पर आना पड़ा। जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन कर रहे लोगों को पुलिस ने बुरी तरह मारा। दीनानाथ चौराहे से लेकर आजमनगर तक पीटा गया। उम्रदराज लोगों को भी नहीं बख्शा गया। बच्चे-बूढ़ों को पुलिस ने गला पकड़-पकड़कर जीप में डाल दिया। मैं दुकान के लिए पॉलिथीन लेने के लिए गया था। रास्ते में मैंने देखा तो पुलिस पब्लिक पर लाठियां बरसा रही थी। मैं मानता हूं कि छोटे बच्चों को प्रदर्शन में आना ही नहीं चाहिए था। लेकिन, मामला धर्म से जुड़ा था। ———————— ये खबर भी पढ़ें… क्या गानों से भी हटेंगे ठाकुर-ब्राह्मण और यादव, यूपी में कितना खतरनाक है जाति का जहर यूपी सरकार ने जातीय भेदभाव रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब पुलिस रिकॉर्ड, नोटिस बोर्ड और गिरफ्तारी मेमो में आरोपी की जाति नहीं लिखी जाएगी, बल्कि पिता के साथ मां का नाम दर्ज होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर जारी इस फैसले के तहत वाहनों पर जाति लिखने, स्टिकर-नारे लगाने और जाति आधारित रैलियों पर भी रोक रहेगी। ऐसे में सवाल ये है कि क्या नए आदेश के तहत जाति आधारित गानों और नारों पर भी रोक लगेगी? पुलिस रिकॉर्ड, गिरफ्तारी मेमो और नोटिस बोर्ड से जाति हटाने का क्या मतलब है? क्या इससे जातीय पहचान के आधार पर होने वाले भेदभाव में कमी आएगी? पुलिस और प्रशासन पर क्या असर होगा? पढ़िए पूरी खबर…

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