बरेली बवाल के आरोपी मौलाना तौकीर का विवादों से नाता:इन्हीं के बुलावे पर भीड़ ने पथराव किया, दंगे का भी केस; पुलिस ने अरेस्ट किया
बरेली में 26 सितंबर को मौलाना तौकीर रजा के बुलावे पर पहुंची भीड़ ने बवाल किया। भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया। बवाल के मुख्य आरोपी मौलाना तौकीर रजा को शनिवार को बरेली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सात अन्य लोग भी अरेस्ट हुए हैं। वहीं, 39 लोगों को हिरासत में लिया है। इसके अलावा, 2000 अज्ञात लोगों पर 5 थानों में मुकदमे दर्ज किए हैं। वहीं 10 मुकदमों में 7 में तौकीर रजा का नाम है। इससे पहले मौलाना तौकीर पर 2010 में बरेली में दंगे करवाने का आरोप भी है, जिसका मामला अभी कोर्ट में चल रहा है। इस बार उनका प्रदर्शन का ऐलान और विवादित बयान शहर में तनाव का कारण बन गया। आखिर मौलाना तौकीर रजा कौन हैं? विवादों से उनका क्या नाता है? आगे जानते हैं- हाल में मौलाना तौकीर से जुड़े 2 विवाद 1.) जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन का ऐलान किया
‘I Love मोहम्मद’ पोस्टर विवाद के बीच मौलाना तौकीर रजा ने बरेली में जुमे की नमाज के बाद धरना-प्रदर्शन का ऐलान किया। कहा कि हर हाल में धरना होगा। इसके बाद 26 सितंबर की दोपहर 2 बजे शुरू प्रदर्शन शुरू हुआ। शाम 6 बजे तक बवाल चला। 4 घंटे तक पुलिस एक तरफ स्थिति संभालती, तो दूसरी तरफ से पथराव हुए। 2.) मौलाना बोले- मुसलमानों को मजबूर न कीजिए
19 सितंबर को बरेली में मौलाना तौकीर रजा ने बरेली में कहा- अगर मुसलमानों के साथ हो रहे अन्याय नहीं रुके तो मुसलमान सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे। हमारी खामोशी को हमारी कमजोरी या बुजदिली न समझा जाए। जिस दिन मुसलमान हमारे नियंत्रण से बाहर हो गए, हालात गंभीर हो जाएंगे। जिस दिन लोग सड़कों पर आ गए सरकार संभाल नहीं पाएगी। इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा? दरगाह आला हजरत परिवार से हैं तौकीर रजा
सुन्नी मुसलमानों के बरेलवी मसलक से ताल्लुक रखने वाले मौलाना तौकीर रजा खां आला हजरत खानदान से हैं। वह आला हजरत दरगाह के प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खां उर्फ सुब्हानी मियां के सगे भाई हैं, इनके भतीजे मुफ्ती अहसन रजा खां दरगाह के सज्जादानशीन हैं। तौकीर राजनीति में भी आ चुके हैं। इनके पिता हजरत रेहान खां कांग्रेस से MLC रहे हैं। IMC की स्थापना से दर्जा प्राप्त मंत्री तक का सफर
मौलाना तौकीर ने साल 2000 में राजनीतिक दल इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल की स्थापना की थी। शुरुआत में नगर निगम चुनाव में पूरे जिले में प्रत्याशी उतारे और 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। 2009 में मौलाना कांग्रेस में चले गए। 2010 में बरेली में हुए दंगों में पुलिस ने तौकीर रजा को आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें 169 की कार्रवाई में रिहा करना। 2012 में तौकीर रजा सपा में चले गए, वहीं इनकी पार्टी के टिकट पर 2012 में शहजिल इस्लाम ने बरेली की भोजीपुरा विधानसभा सीट पर चुनाव जीता। सपा ने मौलाना तौकीर रजा को दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री भी बनाया था, लेकिन कुछ महीने बाद मुजफ्फरनगर दंगे हो गए और उनका राज्यमंत्री का पद वापस ले लिया गया। इसके बाद उन्होंने सपा से इस्तीफा दे दिया। वह कई बार दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से भी मिले। उसके बाद बसपा में जाने की चर्चाएं भी रहीं। 2015 में उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (जदीद) का गठन किया। 2 मार्च 2010 के दंगे में मास्टरमाइंड
बरेली में 2 मार्च 2010 को जुलूस-ए-मोहम्मदी के दौरान बवाल हुआ था, जिसके बाद आगजनी शुरू हुई। दंगाइयों ने दुकानों के साथ कोहाड़ापीर पुलिस चौकी के हवाले कर दिया था।हिंसा में तत्कालीन CO आंवला पीएस पांडेय, SO भमोरा राजेश तिवारी, कॉन्स्टेबल राहुल और ब्रजेश समेत कई लोग घायल हुए थे। इसमें पुलिस की तरफ से IMC के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा समेत 300 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। बरेली में 27 दिन तक कर्फ्यू लगा था। इन्हीं दंगों पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और 5 मार्च 2024 को तौकीर रजा को दंगों का मास्टरमाइंड माना। साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी कि तत्कालीन SSP, DIG, IG, कमिश्नर और DM ने विधिक रूप से कार्य न करके सत्ता के इशारे पर कार्य किया। अधिकारियों ने 2010 के दंगे के आरोपी और मुख्य मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर रजा खां का सहयोग किया। कोर्ट ने इसको आधार मानते हुए मौलाना तौकीर को समन जारी किया। हाईकोर्ट में पेश नहीं होने पर सालभर पहले उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था। तौकीर रजा के 5 बड़े बयान
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