‘फल की रेहड़ी लगा बच्चे को बनाया था आईआईटीयन’:बीटेक स्टूडेंट की सुसाइड पर बोले परिजन- रहस्यमयी ढंग से हुई मौत

वह बहुत रिजर्व नेचर का बच्चा था, ज्यादा किसी से बात नहीं करता था। दो दिन बाद आईआईटी प्रबंधन ने फोन कर बच्चे के सुसाइड करने की जानकारी दी, तो हमारा तो शरीर ही टूट गया, मानों एक गाज आकर गिर पड़ी हो। किसी तरह से हम कानपुर आए हैं…. यह जानकारी आईआईटी से बीटेक कर रहे हरियाणा के रहने वाले धीरज सैनी के ताऊ सत्येंद्र ने कही। उन्होंने बताया कि तीन दिन पहले चाचा संदीप ने धीरज को फोन किया था, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। धीरज के चाचा संदीप सुबह चार बजे से फल की रेहड़ी लगाकर बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाते थे। फीस न होने पर स्कूल ने नहीं दी थी हाईस्कूल की मार्कशीट मेधावी धीरज के कांवेंट स्कूल से आईआईटी तक के सफर की जानकारी देते हुए सत्येंद्र ने बताया कि धीरज ने 6वीं से हाईस्कूल तक उसने हरियाणा के हैप्पी स्कूल से स्टडी की। वहां उसकी 3 लाख फीस जमा न होने पर स्कूल प्रबंधन ने उसकी हाईस्कूल की सर्टिफिकेट रोक ली। जिसके बाद उसके चाचा संदीप ने लोगों से उधार लेकर 1.50 लाख रुपए स्कूल में जमा किए थे। तब उसकी सर्टिफिकेट स्कूल प्रबंधन ने दी थी। उन्होंने धीरज के संघर्ष का जिक्र करते हुए बताया कि धीरज शुरू से ही मेधावी था, सोचा था कि यह परिवार की गरीबी को दूर करेगा। मैनेजमेंट हर 24 घंटे में हॉस्टल में रह रहे बच्चों की ले जानकारी इंटर करने के बाद मैं उसे राजस्थान, सीकर लेकर गया। मैने उससे कहा था तैयारी कर हुनर दिखाओ, एक साल कोचिंग दिलाने के बाद आईआईटी कानपुर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर में एडमिशन हुआ था। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था, लेकिन समझ नहीं आया कि उसने ऐसा कदम क्यो उठा लिया। कल फोन आया तो पता चला कि दो दिन से डेडबॉडी उसके कमरे में लटकी हुई थी। उन्होंने कहा कि मेरा बच्चा तो चला गया, लेकिन आईआईटी प्रबंधन को हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के रूम में 24 घंटे के भीतर एक बार जाकर देखना चाहिए कि बच्चा ठीक है कि नहीं। मां को नहीं दी मौत की जानकारी, वह दम तोड़ देती हम उससे कहते थे कि एनआईटी में एडमिशन लेने को कहते थे, तो वह कहता था कि नहीं मुझे तो सिर्फ आईआईटी में ही जाना है, इसके बाद मैं उसे सीकर ले गया था। इसके बाद उसने हमारा सपना पूरा किया, लेकिन सुसाइड कर उसने हमारा सपना तोड़ लिया। उन्होंने बताया कि धीरज की मौत की खबर अब तक उसकी मां को नहीं दी गई है, वरना वो दम तोड़ देती। रात में बॉडी ले जाने के बाद ही उनको खबर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि चाचा संदीप धीरज की पढ़ाई के लिए सुबह 4 बजे सब्जी मंडी जाते थे और रात 11 बजे तक फल की रेहड़ी लगाकर उसका खर्च उठाते थे। हमने उस पर कोई दबाव नहीं बनाया था, हम सिर्फ उससे यह कहते थे कि बेटा तू पढ़ाई कर ये मत सोच की आगे प्लेसमेंट मिलेगा कि नहीं। IIT क्रिकेट टीम में वाइस कैप्टन था धीरज आखिरी बार वह मई में घर आया था, बहुत रिजर्व नेचर का था, ज्यादा किसी से बात नहीं करता था। वह बहुत ही अच्छा एथलीट था, पढ़ाई के अलावा उसे क्रिकेट का शौक था। वह आईआईटी क्रिकेट टीम का वाइस कैप्टन भी था। धीरज के कानपुर में रहने वाले रिश्तेदार एसएन सैनी ने बताया कि आईआईटी में उसकी बहुत ही रहस्यमयी ढंग से मौत हुई है, इसकी जांच होनी चाहिए। इंस्टीट्यूट अपनी छवि धूमिल होने से बचाने के लिए सुसाइड पर ज्यादा ध्यान नहीं देंगे। IIT में धूल फांक रही बच्चों के सुसाइड की फाइलें उन्होंने कहा कि जैसे बाकी बच्चों की मौत की फाइलें धूल खा रही हैं, उसी तरह से धीरज के सुसाइड की फाइल भी धूल खाती रहेगी। अगला फिर कोई न कोई नया केस बन जाएगा। धीरज का आज पोस्टमार्टम कराया गया, इस दौरान उसके साथी छात्र, फैकल्टी व परिजन पोस्टमार्टम हाउस में मौजूद रहे। उसका शव लेने के लिए ताऊ सत्येंद्र, भाई नीरज व चाचा संदीप कानपुर आए थे।

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