फर्जी एससी/एसटी केस में महिला दोषी:लखनऊ कोर्ट ने सुनाई सजा; ग्राम प्रधान और अन्य पर लगाया था झूठा आरोप, विवेचना में निकला मनगढ़ंत मुकदमा

लखनऊ की विशेष एससी/एसटी एक्ट की अदालत ने ग्राम बसंतपुर निवासी महिला गुड्डी को फर्जी केस दर्ज कराने के मामले में दोषी ठहराया है। गुड्डी ने ग्राम प्रधान ममता कनौजिया के पति मथुरा प्रसाद, विनोद अवस्थी और अनूप अवस्थी पर जातिसूचक गालियां देने और मारपीट का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। विवेचना के दौरान न केवल आरोप निराधार पाए गए, बल्कि सीसीटीवी और मोबाइल लोकेशन से भी साबित हुआ कि घटना के समय आरोपित घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। अदालत ने इसे दुर्भावनापूर्ण मुकदमा करार देते हुए महिला को दोषी मानते हुए न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया। सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन ने खोली पोल विवेचक डीएसपी स्तर के अधिकारी ने वैज्ञानिक तरीके से जांच करते हुए मोबाइल सीडीआर और सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया। इससे स्पष्ट हुआ कि आरोपित अनूप अवस्थी की लोकेशन घटना के समय फैजुल्लागंज, लखनऊ में थी। मथुरा प्रसाद और विनोद अवस्थी गांव में ही थे और गवाहों के बयान से भी उनकी मौजूदगी घटना स्थल से मेल नहीं खाती थी। डॉक्टर ने भी किया इलाज से इनकार गुड्डी ने दावा किया था कि घटना उस समय हुई जब वह देवर राजू रावत के साथ दवा लेकर लौट रही थी। विवेचना में संबंधित चिकित्सक डॉ. राकेश का बयान लिया गया, जिन्होंने साफ कहा कि उस तारीख को उन्होंने न तो गुड्डी और न ही राजू रावत का इलाज किया। इससे गुड्डी का बयान अविश्वसनीय हो गया। ग्राम पंचायत विवाद बना मुकदमे की वजह अदालत ने माना कि गुड्डी का देवर राजू रावत ग्राम प्रधान ममता कनौजिया के पति मथुरा प्रसाद से पंचायत विकास निधि को लेकर विवाद में था। इसी रंजिश में उसने अपनी भाभी गुड्डी के माध्यम से झूठा केस लिखवाया ताकि विपक्षियों पर दबाव बनाया जा सके। अदालत ने कहा- न्यायालय का दुरुपयोग विशेष न्यायाधीश ने आदेश में लिखा कि अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम का उद्देश्य पीड़ितों को न्याय दिलाना है, न कि व्यक्तिगत रंजिश निकालने का हथियार बनाना। गुड्डी का मुकदमा दुर्भावनापूर्ण पाया गया और उसे धारा 217, 248 बीएनएस के तहत दोषसिद्ध कर सजा सुनाने की प्रक्रिया शुरू की गई। सजा पर बहस, प्रोबेशन की मांग लंच के बाद हुई सुनवाई में विशेष लोक अभियोजक ने कठोर सजा की मांग की, जबकि बचाव पक्ष ने गुड्डी की गरीबी और पारिवारिक परिस्थितियों को देखते हुए प्रोबेशन पर छोड़ने की अपील की। अदालत सजा की मात्रा पर फैसला सुनाने के लिए अगली तारीख पर आदेश सुरक्षित रख सकती है।

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