प्रयागराज में संगम तट पर अजन्मी बेटियों के लिए पिंडदान:समाजसेवियों ने श्रद्धालुओं को भ्रूण हत्या न करने का दिलाया संकल्प

प्रयागराज के नैनी स्थित अरैल संगम तट पर रविवार को एक अनूठा श्राद्ध तर्पण आयोजन किया गया। यह आयोजन उन अजन्मी बच्चियों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए किया गया जिन्हें समाज की कुरीतियों और भ्रांतिपूर्ण सोच के कारण मां की कोख में ही मार दिया गया। पितृपक्ष के मौके पर जहां लोग अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान कर रहे थे, वहीं समाजसेवी सरदार पतविंदर सिंह ने अपने साथियों संजय श्रीवास्तव, बाबूजी यादव, रविंद्र सिंह राजपाल, चंद्रभान यादव, हरमनजी सिंह और दलजीत कौर के साथ मिलकर उन बेटियों के लिए पिंडदान किया, जिन्हें कभी जन्म लेने का अवसर नहीं मिला। पतविंदर सिंह ने कहा, “समाज अपने पितरों का तर्पण तो करता है, लेकिन कन्या भ्रूण हत्या की शिकार मासूम बच्चियों को भूल जाता है। वे भी हमारे ही हिस्से थीं। उन्हें स्मरण करना और उनके लिए तर्पण करना हमारी जिम्मेदारी है।” उन्होंने घाट पर मौजूद श्रद्धालुओं से संकल्प भी दिलवाया कि वे भ्रूण हत्या जैसी घातक कुप्रथा से दूर रहेंगे और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकेंगे। इस आयोजन ने न केवल धार्मिक आस्था को व्यक्त किया, बल्कि कन्या भ्रूण हत्या जैसी गंभीर सामाजिक समस्या पर भी गहरी चोट की। समाजसेवकों का मानना है कि ऐसी पहलें बेटियों को बचाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में अहम कदम हैं। भारत में कन्या भ्रूण हत्या लंबे समय से चिंता का विषय रही है। तकनीक के दुरुपयोग से गर्भ में ही बच्चियों की हत्या की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। सरकार और समाज दोनों स्तर पर प्रयास कर रहे हैं, लेकिन तब तक वास्तविक बदलाव संभव नहीं जब तक हर व्यक्ति जागरूक न हो। अरैल संगम तट पर आयोजित यह श्राद्ध तर्पण केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि एक गहन सामाजिक संदेश भी था कि बेटी बोझ नहीं, आशीर्वाद है। बेटियों को जन्म से पहले मारना केवल अपराध नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों के खिलाफ सबसे बड़ा पाप है।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर