पत्नियों से पीड़ित पतियों की इलाहाबाद हाईकोर्ट से गुहार:कोर्ट में याचिका, कहा- पति अब प्रताड़ित किए जा रहे तो कानून बने; याचिका खारिज

इलाहबााद हाईकोर्ट में एक अजीबोगरीब याचिका दाखिल की गई। कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया कि अब पत्नियां पतियों को प्रताड़ित कर रही हैं। उन्हें झूठे केसों में फंसा रही हैं। ऐसे में सरकार कोई कानून बनाए। हालांकि हाईकोर्ट ने मुद्दे को विचारणीय न मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पतियों के उत्पीड़न और उन्हें झूठे केसों में फंसाने पर अंकुश लगाने की मांग को लेकर कानून बनाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी। याचिका में पत्नियों से पतियों को सुरक्षित रखने की मांग की गई थी तथा कहा गया था कि बड़ी संख्या में पति अपने पत्नियों द्वारा प्रताड़ित किए जा रहे हैं। याचिका में इसे लेकर पतियों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की सरकार को कोर्ट से आदेश जारी करने की मांग की गई थी। यह आदेश चीफ जस्टिस अरूण भंसाली एवं जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने सीताराम नाम प्रचार – प्रसार संस्था, चंदौली की तरफ से चंद्रमा विश्वकर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया। याचिका में पुरुषों की महिलाओं से सुरक्षा तथा उनके अन्य प्रकार के उत्पीड़न से बचाव के लिए कानून बनाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि अपनी मांग को लेकर देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, लोक सभा अध्यक्ष, राज्य सभा अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर भेजा गया है परन्तु उनके स्तर से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। याचिका में कहा गया था कि औरतों के पक्ष में बने कानून ने उन्हें निष्ठुर बना दिया है। वे पतियों के प्रति अपराध कर रही हैं। दहेज हत्या के 90 प्रतिशत केस झूठे हो रहें हैं जिस कारण पति और उसका परिवार परेशान हो रहा है। कहा गया था कि औरतें रेप के फर्जी केस करा रही हैं। कहा गया था कि हिंदुओं में तलाक का आदेश कोर्ट से लेना बहुत कठिन है। हाईकोर्ट ने याचिका में उठाए गए मुद्दे को विचारणीय न मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

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