नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा:प्रयागराज के दूसरे शक्तिपीठ ललिता देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़, सुबह से लगी कतारें

शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। संगम नगरी प्रयागराज में भी नवरात्रि का खासा महत्व है। यहां स्थित प्रमुख शक्तिपीठ मां ललिता देवी मंदिर में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा हुआ है। सुबह से ही हजारों भक्त कतारों में खड़े होकर माता के दर्शन व पूजन कर रहे हैं। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और धार्मिक मान्यता है कि लाक्षा गृह की घटना के समय पांडवों ने भी यहां मां के दर्शन-पूजन किए थे। देवी कूष्मांडा को सृष्टि की आदि जननी माना जाता नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना की जाती है। चौथे दिन मां कूष्मांडा के स्वरूप की पूजा होती है। देवी कूष्मांडा को सृष्टि की आदि जननी माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी अद्भुत, सूक्ष्म और दिव्य मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रह्मांड की रचना की थी। भक्तजन इस दिन विशेष रूप से मां के ध्यान और पूजन के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती पाठ, चंडी पाठ और अन्य वैदिक अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं। मां कूष्मांडा की पूजा से आयु, आरोग्य और अपार संपदा की प्राप्ति होती है, साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और उन्नति के द्वार खुलते हैं। भव्य आरती का आयोजन प्रयागराज के ललिता देवी मंदिर में नवरात्रि के दौरान विशेष सजावट और भव्य आरती का आयोजन होता है। मंदिर परिसर में प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ और भजन-कीर्तन गूंजते हैं, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि मां ललिता देवी और मां कूष्मांडा की आराधना करने से हर मनोकामना पूरी होती है। आस्था भक्तों को यहां खींच लाती नवरात्र के इन पावन दिनों में मंदिर परिसर में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी मां की झलक पाने और पूजन करने के लिए घंटों इंतजार करते हैं। मां के दरबार में सच्चे हृदय से की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती, यही आस्था भक्तों को यहां खींच लाती है। नवरात्र के इस अवसर पर पूरे प्रयागराज में धार्मिक वातावरण व्याप्त रहता है और जगह-जगह भजन-कीर्तन, दुर्गा पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर