नवरात्रि पर सुबह से मंदिरों में जुटी भक्तों की भीड़:माता रानी को नारियल, चुनरी और शृंगार का सामान चढ़ाकर लिया आशीर्वाद
शहर में नवरात्रि के अवसर पर मंदिरों में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ने लगा है। माता की चौकी, जगराता और गरबा जैसे आयोजन जहां भक्तों में उत्साह जगा रहे हैं, वहीं कानपुर के बारह देवी मंदिर इस पर्व का प्रमुख केंद्र बना हैं। हर साल की तरह इस बार भी इस ऐतिहासिक मंदिरों में विशेष सजावट और अखंड ज्योत प्रज्वलित की गई है। श्रद्धालु मानते हैं कि बारह मंदिरों का दर्शन करने से मां की कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है। सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा है मंदिर का इतिहास बारह देवी मंदिरों का इतिहास भी कानपुर की सांस्कृतिक धरोहर से गहराई से जुड़ा है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जब-जब शहर पर कोई संकट आया, देवी मंदिरों की आस्था ने लोगों को संबल दिया। यही वजह है कि नवरात्रि के दिनों में इन मंदिरों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। अंग्रेजों के जमाने का है मंदिर माना जाता है कि अंग्रेजी हुकूमत के दौर में और उससे पहले भी, इन देवी स्थलों पर भक्तों का अपार विश्वास रहा। नवरात्रि के दौरान इन बारह मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो जाती हैं। ढोल-नगाड़ों की गूंज और “जय माता दी” के जयकारे पूरे वातावरण को भक्ति से सराबोर कर देते हैं। महिलाओं ने पूरे श्रद्धा भाव के साथ अपने घर पर कलश की स्थापना की। पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के किए कड़े इंतजाम शहर प्रशासन ने भी मंदिरों के आसपास सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को लेकर विशेष इंतजाम किए हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए जगह-जगह पुलिस बल की तैनाती की गई है। कानपुर का यह नवरात्रि पर्व केवल धार्मिक आस्था का ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक बन चुका है। बारह देवी मंदिरों का इतिहास और परंपरा शहरवासियों की पीढ़ी-दर-पीढ़ी आस्था को जीवित रखे हुए है।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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