धूमधाम से मना भगवान वाल्मीकि प्राकट्य उत्सव:सेवा भारती मेरठ महानगर के तत्वावधान में आयोजित हुआ कार्यक्रम, युवाओं का हुआ सम्मान
सेवा भारती मेरठ महानगर के तत्वावधान में रविवार को भगवान वाल्मीकि प्राकट्य उत्सव धूमधाम के साथ मना। विद्यार्थी परिषद सभागार में आयोजित कार्यक्रम में शहर के समाजसेवी, शिक्षाविद्, छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। वक्ताओं ने भगवान वाल्मीकि के विचारों को अपनाने पर जोर दिया। अध्यक्षता आचार्य राजकुमार तन्हा ने की। शिक्षा और संस्कार से करें भाग्य का निर्माण
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि विवेक रस्तोगी, अध्यक्ष, भाग-पश्चिम मेरठ महानगर और मुख्य वक्ता हरीश क्षेत्र सह–संपर्क प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ की। मुख्य वक्ता ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने समाज को समानता, कर्मशीलता और आत्मबल का जो संदेश दिया, उसी की आज सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने सिखाया कि शिक्षा और संस्कार से हर व्यक्ति अपने भाग्य को स्वयं लिख सकता है। वक्ताओं ने भी डाला जीवन पर प्रकाश
मुख्य मेहमान विवेक रस्तोगी ने कहा कि समाज के हर वर्ग को आगे बढ़ाने के लिए महर्षि वाल्मीकि की शिक्षाएं मार्गदर्शक हैं। उन्हें सभी को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए। उन्होंने सेवा भारती द्वारा चलाई जा रही शिक्षा और सेवा की मुहिम की सराहना की।
आरएसएस के विभाग सह संचालक विनीत भारती ने कहा कि समाज की एकता ही राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति है। इसलिए यह जरूरी है कि सभी मिलकर रहें और एक दूसरे को बढ़ने में सहयोग करें। लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के उप प्राचार्य एवं एमएस-आर्थो डा. ज्ञानेश्वर टांक ने युवाओं का आह्वान किया कि वह महर्षि वाल्मीकि के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने कार्यों से समाज का मार्ग प्रकाशित करें।
पीएफ कमिश्नर विकास सौदाई ने समाज की प्रगति में समरसता और शिक्षा को महत्वपूर्ण बताया। सेवा भारती मेरठ प्रांत के प्रांत संगठन मंत्री जितेंद्र ने कहा कि सेवा भारती के कार्य समाज में नई चेतना का संचार कर रहे हैं और महर्षि वाल्मीकि के विचारों को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। महर्षि वाल्मीकि के जीवन पर दी प्रस्तुति
कार्यक्रम में सेवा भारती द्वारा संचालित 80 से अधिक सेवा और शिक्षा केन्द्रों के बच्चों ने भाग लिया। बच्चों ने भजन, नृत्य, कविता पाठ, नाटक और देशभक्ति गीतों के माध्यम से महर्षि वाल्मीकि के जीवन और आदर्शों को प्रस्तुत किया। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी किया गया। आदर्शों को जीवन में अपनाने का संकल्प
कार्यक्रम का समापन सेवा ही धर्म है और समानता ही समाज की आत्मा है के उद्घोष के साथ हुआ। उपस्थित समूह ने संकल्प लिया कि वह महर्षि वाल्मीकि के आदर्शों को जीवन में अपनाकर समाज में समरसता, शिक्षा और संस्कार की ज्योति जलाएंगे।
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