धर्म स्वतंत्रता कानून के समर्थन में सनातनियों का प्रदर्शन:मेरठ में वाल्मीकि महासमा और संतों ने समर्थन किया

मेरठ में वाल्मीकि महासमा और संतों के नेतृत्व में धर्म स्वतंत्रता कानून के समर्थन में एक विशाल प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोगों ने भाग लिया और सरकार द्वारा लागू किए गए इस कानून का समर्थन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि धर्म स्वतंत्रता कानून न केवल हिंदू समाज बल्कि पूरे भारत का रक्षक है। उनका मानना था कि यह कानून विविधता की रक्षा करता है और सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति अपने धर्म के अनुसार जीने के लिए स्वतंत्र है। सभा में बताया गया कि धर्म स्वतंत्रता का अर्थ है कि व्यक्ति अपने धर्म में सुरक्षित रह सके। यह कानून जबरदस्ती, छल या प्रलोभन देकर होने वाले धर्म परिवर्तन को रोकता है। यह उन लोगों की रक्षा करता है जो स्वेच्छा से अपने धर्म का पालन करना चाहते हैं और उन्हें किसी भी प्रकार के धार्मिक उत्पीड़न से बचाता है। वाल्मीकि महासभा के मेरठ महानगर अध्यक्ष राजकुमार वाल्मीकि ने कहा कि धर्म स्वतंत्रता कानून सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है और यह सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति अपने धर्म के अनुसार जीवन जीने के लिए स्वतंत्र है। इस कानून की संवैधानिक वैधता को विभिन्न पक्षों ने चुनौती दी है, यह तर्क देते हुए कि यह धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि व्यक्ति को अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करने का अधिकार है, लेकिन जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाए जा सकते हैं। यह कानून जबरन धर्मांतरण को रोकने के उद्देश्य से ही बनाया गया है। याचिकाकर्ताओं ने विभिन्न राज्यों में बने ऐसे कानूनों को भी चुनौती दी है। प्रत्येक राज्य की जनसांख्यिकी, सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश अलग-अलग हैं, जिसके कारण उनकी चुनौतियाँ भी भिन्न हैं। इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखकर राज्यों ने अपने-अपने कानून बनाए हैं।

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