देवरिया में 40 घंटे से बिजली गुल:आंधी-बारिश से कई खंभे टूटे, 20 लाख से अधिक आबादी बेहाल

देवरिया में शुक्रवार रात से शुरू हुई तेज बारिश और आंधी ने पूरे बिजली तंत्र को अस्त-व्यस्त कर दिया है। 40 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बावजूद देवरिया शहर और ग्रामीण इलाकों के अधिकांश हिस्सों में बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप है। इस कारण 20 लाख से अधिक की आबादी अंधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर है। वहीं, पानी की किल्लत, मोबाइल चार्जिंग और इनवर्टर बंद होने जैसी समस्याओं ने आम जनजीवन को और कठिन बना दिया है। जिले के बिजली तंत्र में गहरी चूक देवरिया जिले में कुल 43 विद्युत उपकेंद्रों (फीडरों) से लगभग 30 लाख की आबादी को बिजली दी जाती है। लेकिन पिछले दो दिनों की भारी बारिश और आंधी ने इस व्यवस्था को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। जिले के 300 से अधिक स्थानों पर बिजली के पोल टूटने और तार गिरने से बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। शहर में जहां देर रात कुछ चुनिंदा मोहल्लों में आंशिक रूप से बिजली बहाल की गई, वहीं अधिकांश इलाकों में 40 घंटे बाद भी अंधेरा पसरा हुआ है। शहर और गांवों में बिजली न होने से हालात बदतर देवरिया शहर के रुद्रपुर मोड़, कतरारी, रामनाथ देवरिया बाईपास, रामपुर कारखाना रोड, गोरखपुर रोड, स्टेशन रोड जैसे प्रमुख इलाकों में शनिवार की रात तक बिजली नहीं आई थी। इसी तरह भाटपाररानी, सलेमपुर, भलुअनी, बनकटा, गौरीबाजार, बरहज, लार समेत ग्रामीण इलाकों में भी आपूर्ति ठप रही। बिजली न होने से इन्वर्टर काम करना बंद हो गए, पानी की मोटरें ठप पड़ गईं और मोबाइल चार्जिंग तक की समस्या खड़ी हो गई। लोग पानी की तलाश में बाल्टी और बोतल लेकर इधर-उधर भटकते नजर आए। कई जगहों पर मोबाइल चार्ज कराने के लिए लोग जनरेटर वाले दुकानदारों के पास लंबी कतारों में खड़े थे। नागरिकों में नाराजगी राघव नगर निवासी अनिल वर्मा ने कहा, “शुक्रवार रात से बिजली नहीं है। घर में पानी खत्म हो गया। बच्चे परेशान हैं और मोबाइल डिस्चार्ज होने के कारण रिश्तेदारों से संपर्क नहीं हो पा रहा। ऐसा लग रहा है जैसे हम दो दिन से प्राचीन युग में लौट आए हों।” विद्युत विभाग के अधिकारियों ने माना कि बारिश और आंधी ने तंत्र को गहरा नुकसान पहुंचाया है। कई जगह पेड़ तारों पर गिर गए, ट्रांसफार्मर जल गए और पोल टूट गए। कार्यकारी अभियंता ने बताया, “लगभग 300 से अधिक स्थानों पर आपूर्ति प्रभावित हुई। विभाग की सभी टीमों को बहाली में लगाया गया है। कुछ स्थानों पर मरम्मत कार्य जारी है। जल्द आपूर्ति बहाल की जाएगी।” हालांकि उपभोक्ताओं का कहना है कि विभाग के दावे सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। शहर के कई उपकेंद्रों पर उपभोक्ताओं की भीड़ उमड़ गई। लोग लाइनमैन और अधिकारियों से बिजली बहाल करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन अधिकांश जगहों पर उन्हें “शासन से निर्देश की प्रतीक्षा” कहकर टरका दिया गया। जनरेटर और इनवर्टर की मांग बढ़ी शहर में बिजली न रहने से जनरेटर वाले दुकानदारों की मांग अचानक बढ़ गई। कई दुकानदारों ने मोबाइल चार्जिंग के लिए 20-30 रुपये प्रति चार्ज तक वसूले। पानी के डिब्बों की भी मांग बढ़ गई। कुछ मोहल्लों में लोग मिलकर जनरेटर किराए पर लेकर मोटर चलाकर पानी भरवाने लगे। महिला गृहिणियों पर संकट का सबसे बड़ा असर पड़ा। खाना पकाने, बच्चों को तैयार करने और रोजमर्रा के कामकाज में बाधा आई। दूध और सब्जी जैसी चीजों के खराब होने से आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा। ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भयावह ग्रामीण इलाकों में हालात और गंभीर हैं। कई गांवों में बिजली पोल सड़कों पर गिरे पड़े हैं, जिससे आवाजाही भी खतरे में है। खेतों में गिरे तारों के कारण किसानों में भी चिंता है कि कहीं करंट का हादसा न हो। देवरिया ब्लॉक के किसान रामनरेश यादव ने कहा, “खेत में पानी भर गया है, ऊपर से बिजली नहीं है। सिंचाई रुक गई, मोटर बंद है। ये बारिश राहत नहीं, आफत बन गई है।” प्रशासन मौन, लोग आक्रोशित अभी तक प्रशासन की ओर से किसी ठोस राहत की घोषणा नहीं की गई। लोग जिलाधिकारी कार्यालय और विद्युत विभाग के उपकेंद्रों पर जाकर शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। कुछ जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए और मांग की गई कि विभाग बिजली आपूर्ति को प्राथमिकता के आधार पर बहाल करे। मनोज कुशवाहा ने कहा, “देवरिया जैसे जिले में 40 घंटे तक बिजली ठप रहना बड़ी लापरवाही है। यह केवल मौसम की वजह नहीं, बल्कि तंत्र की कमजोरी का परिणाम है।” विभाग की पोल खोल गई बारिश आंधी और बारिश ने बिजली विभाग की तैयारियों की सच्चाई उजागर कर दी। पोल और ट्रांसफॉर्मर गिरने से यह पता चला कि कई स्थानों पर मरम्मत महीनों से नहीं हुई थी। विभाग के पास न पर्याप्त स्टाफ है, न जरूरी उपकरण। अधिकारियों ने पेड़ की डालियां हटाईं, वहीं लोग बिजली के लिए कार्यालय के चक्कर काटते रहे।

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