दुधवा में गैंडों की संख्या बढ़ी:1984 में लाया गया था एक सींग वाला गैंडा, मंत्री बोले यूपी में बढ़ रहा वाइल्ड लाइफ टूरिज्म

उत्तर प्रदेश के दुधवा नेशनल पार्क में गैंडों की संख्या 51 पहुंच गई है। 41 साल पहले गैंडे पुनर्वासित कर लाए गए थे। इसमें 4 गैंडे और 1 बच्चा है। यह पार्क वाइल्डलाइफ प्रेमियों और ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहा है। प्रथम गैंडा पुनर्वास केंद्र में 41 गैंडे हैं, जबकि द्वितीय केंद्र में 5 गैंडे मौजूद हैं। कुल 5 गैंडों से हुई वंशवृद्धि के लिए घास के मैदान और पानी की व्यवस्था की गई है। 1984 में लाया गया था एक गैंडा 1984 में असम के काजीरंगा से लाए गए एक सींग वाले गैंडे न केवल पर्यटकों के लिए रोमांचकारी हैं। पर्यटन को नया आयामईको-टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड शारदा बैराज और चंदन चौकी को वेलनेस और एकोमोडेशन हब के रूप में विकसित कर रहा है। यहां रिसॉर्ट्स, वेलनेस सेंटर और अन्य पर्यटन गतिविधियां शुरू होंगी, जिससे पर्यटक सीधे दुधवा का भ्रमण कर सकेंगे। प्रशिक्षित नेचर गाइड्स गैंडों की कहानियों को रोचक अंदाज में पेश करते हैं, जबकि थारू जनजाति की संस्कृति और खानपान को पर्यटकों तक पहुंचाने की योजना है। स्थानीय लोगों को होमस्टे के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि उन्हें आर्थिक लाभ के साथ-साथ पर्यटकों को ग्रामीण जीवन का अनुभव मिले। 10 गैंडे करेंगे स्वच्छंद भ्रमण दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ. एच. राजा मोहन ने बताया कि सरकार की मंशा के अनुरूप 10 गैंडों को स्वच्छंद भ्रमण के लिए छोड़ा जाएगा। इनमें से 4 को पहले ही छोड़ा जा चुका है और मार्च तक 6 और गैंडों को छोड़ा जाएगा। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, “वाइल्डलाइफ टूरिज्म में रुचि रखने वालों के लिए उत्तर प्रदेश एक महत्वपूर्ण गंतव्य है। दुधवा का बढ़ता गैंडा कुनबा राज्य को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान दिलाएगा।” इको टूरिज्म विकास बोर्ड के अपर निदेशक प्रखर मिश्रा ने बताया कि देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि उन्हें अविस्मरणीय अनुभव मिले। दुधवा नेशनल पार्क का यह अनूठा प्रयास न केवल वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि उत्तर प्रदेश को वाइल्डलाइफ और ईको-टूरिज्म का एक प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में भी अग्रसर है।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर