तौकीर रज़ा ने अवाम को बुलाकर जुल्म और ज्यादती की:IMC छोड़ चुके AIMIM के प्रदेश महासचिव नदीम कुरैशी का बड़ा बयान, तौकीर पर जमकर बरसे

तौकीर रज़ा ने 2010 में भी बरेली में दंगा करवाया था। वो उस वक्त भी जेल गए थे और एक बार फिर तौकीर ने बरेली का माहौल खराब किया और बरेली में हिंसा करवाई। अब दोबारा से वो जेल गए है। पुरानी कहावत है जैसी करनी वैसी भरनी। ये कहना है तौकीर रज़ा की पार्टी छोड़ चुके और AIMIM के प्रदेश महासचिव नदीम कुरैशी का। एक साल पहले छोड़ी पार्टी एआईएमआईएम के प्रदेश महासचिव और पूर्व IMC नेता नदीम कुरैशी ने कहा कि तौकीर रज़ा की पार्टी को मैने एक साल पहले ही छोड़ दिया था। पार्टी की गलत कार्यगुजरियों की वजह से मैने पार्टी को छोड़ दिया था। मेरे साथ में पार्टी के जो पदाधिकारी थे उन्होंने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। बरेली की हिंसा के जिम्मेदार तौकीर रजा उन्होंने कहा कि बरेली में जो हिंसा हुई है। मैं जिस पार्टी से हूँ वो पार्टी पूरे हिंदुस्तान में है और एक बड़ी पार्टी है। जिसके चीफ हैं वेरिस्टर असदुदीन उवैसी है। तो हमारा एक संदेश अवाम में हमेशा जाता है कि हम लोग वाइलेंस के खिलाफ हैं, हम लोग हिंसा के खिलाफ हैं, हम लोग हिंसा नहीं चाहते। हमारा कहना सिर्फ इतना है कि अगर आप कोई भी आयोजन करें चाहे वो मौलाना तौकीर रज़ा हो या अन्य और लोग भी हो, आप कोई भी आयोजन जब करें तो पहले पुलिस प्रशासन से उसकी परमिशन लेनी चाहिए थी, बिना परमिशन के आयोजन करने का मतलब यह है कि आप अवाम को बुला कर उनके उपर जो जुल्म और ज्यादती जो भी कुछ हुआ उसके जिम्मेदार तौकीर रज़ा है। जैसी करनी वैसी भरनी उन्होंने कहा एक बड़ी कहावत है जैसी करनी वैसी भरनी। बरेली की अवाम के साथ जो जुल्म और ज्यादती हुई है, उसका जिम्मेदार बरेली की अवाम जानती है कौन है और मैं फिर वही कहूँगा कि जब बरेली के अंदर धारा 163 लागू थी, बरेली के अंदर पुलिस प्रशासन ने सख्ती से मना कर दिया था कि कोई भी धार्मिक, राजनैतिक किसी भी तरह का कोई आयोजन नहीं होगा, तो आयोजन स्थगित करना चाहिए था। कोई और डेट तय करनी चाहिए थी, लेकिन मौलाना जेल चले गए, मौलाना के साथ साथ बहुत से ऐसे लोग हैं, जो इसमें दोशी नहीं हैं, वो भी जेल चले गए। वे लोग तौकीर रज़ा के आवाहन पर गए, लेकिन उनको ये नहीं पता था कि इसका अंजाम क्या होगा। काफी लोग इसमें, जो लोग बेगुनाह लोग जेल गए हैं। मैं बरेली के प्रशासन से भी यही अपील करूँगा, कि जो दोशी हैं, उन पर कारवाई हो, हम आपका समर्थन करते हैं, लेकिन जो लोग निर्दोष हैं, उनको इससे दूर रखा जाए। जो दोशी होगा उसको सजा मिलनी है। 2010 में भी तौकीर रजा जेल गए थे। बरेली के अंदर जो हिंसा भड़की, मैं इसका शब्दों में अफसोस जाहिर नहीं कर सकता। ये बहुत अफसोस की बात है कि हमारा बरेली समय समय पर जो इस तरह की आग भड़क जाती है। बरेली के अंदर, ये सरसर गलत है। बरेली के जनता को भी सोचना चाहिए कि हम अफवाहों पर ध्यान ना दें और ऐसे ही किसी के भी ऐलान करने से घरों से बाहर ना निकलें।

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