तीन जिलों के एडेड कॉलेजों में फर्जी पैनल से नियुक्ति:माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पूर्व उपसचिव, तीन डीआईओएस समेत 48 पर केस
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज की विज्ञप्ति संख्या 01/2013 में प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सतर्कता अधिष्ठान यानी विजिलेंस की जांच में खुलासा हुआ कि कई अभ्यर्थियों ने फर्जी समायोजन पैनल के जरिये नियुक्ति पा ली। इस खेल में जिला विद्यालय निरीक्षकों, पटल सहायकों, प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों के अलावा बोर्ड के पूर्व उपसचिव पर भी मिलीभगत का आरोप लगा है। विजिलेंस प्रयागराज सेक्टर ने इस मामले में पूर्व उपसचिव, तीन तत्कालीन डीआईओएस समेत 48 के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। बलरामपुर, संभल और मुजफ्फर नगर में खेल एफआईआर के मुताबिक, यह फर्जीवाड़ा तीन जिलों संभल, बलरामपुर और मुजफ्फर नगर में हुआ। आरोप है कि यहां कुछ अभ्यर्थियों ने चयन बोर्ड के अधिकृत पैनल के बजाय फर्जी पैनल बनाकर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालयों में दाखिल किया और धोखाधड़ी के जरिये तैनाती पा ली। अफसरों, पटल सहायकों ने कराया सत्यापन आरोप यह भी है कि संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षक, उनके पटल सहायकों और संबंधित विद्यालयों के प्रबंधक व प्रधानाचार्य ने बिना सत्यापन के इन फर्जी पैनलों को मान्यता देते हुए नियुक्तियां कर दीं। कई मामलों में नोटरी से जाली प्रमाणपत्र तैयार कर नियुक्ति आदेश भी जारी करा लिए गए। हाईकोर्ट के आदेश पर हुई विजिलेंस जांच 2023 में इस मामले की शिकायत लेकर कई अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए जिस पर विजिलेंस जांच का आदेश दिया गया था। शासन के आदेश पर हुई विजिलेंस की जांच में पाया गया कि कुल 30 अभ्यर्थियों को तीन जिला विद्यालय निरीक्षकों व उनके पटल सहायकों ने नियमानुसार बिना सत्यापन कराए ही कार्यभार ग्रहण कराने के लिए संसूचना पत्र प्रेषित कर दिया। प्रधानाचार्य व प्रबंधकों ने भी किया खेल जांच में यह भी पाया गया कि संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्य व प्रबंधकों ने अभ्यर्थियों से सांठगांठ कर उन्हें कार्यभार ग्रहण कराया जबकि इनके कॉलेजों में संबंधित विषयों में प्रशिक्षित स्नातक का कोई पद रिक्त नहीं था। पूर्व उप सचिव पर पदीय दायित्वों का निर्वहन न करने का आरोप एफआईआर दर्ज कराने वाले विजिलेंस इंस्पेक्टर हवलदार सिंह की ओर से तहरीर में यह भी बताया गया है कि खुली जांच में बोर्ड के तत्कालीन उप सचिव को भी षडयंत्र में शामिल होने का आरोपी पाया गया है। कहा गया है कि वह उप्र मा०शि० से०च० बो० में 21.01.2008 से 06.05.2013 तक, 26.12.2016 से 02.07.2022 तक और 15.11.2022 से जांच पूरी होने तक नियुक्त रहे। ज्यादातर समायोजन पैनल उप सचिव के द्वारा ही हस्ताक्षरित है। इससे यह स्पष्ट है कि उप सचिव द्वारा फर्जी समायोजन पैनल के माध्यम से नियुक्ति प्राप्त दीपिका सिंह, अमित कुमार श्रीवास्तव, संजय कुमार दुबे, मृत्युंजय यादव को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ दिया गया है। यदि इनके द्वारा दिसम्बर 2021 में ही जिला विद्यालय निरीक्षक सम्भल को यह अवगत करा दिया गया होता कि इनका समायोजन पैनल फर्जी है तो 36,43,144 रुपयों की धनराशि की राजकीय क्षति नहीं होती। इस प्रकार उप सचिव नवल किशोर द्वारा अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन नहीं किया गया एवं पूर्व पत्रांकों (जो फर्जी थे) के माध्यम से आपराधिक षड्यंत्र करके असम्यक लाभ की प्रत्याशा में पूर्व पत्रांकों के संबंध में सत्यापन आख्या नहीं प्रेषित की गई। ऐसे में वह आपराधिक षडयंत्र व भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत आरोपी हैं।
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