ताजमहल में दो और महीने चलेगा मुख्य गुंबद का संरक्षण:पानी के रिसाव को ठीक करने के बाद गैपिंग भरने का काम शुरू

आगरा में ताजमहल में ASI मुख्य गुंबद की मरम्मत करा रहा है। इसमें पानी के रिसाव की वजह को ठीक करने के बाद अब पत्थरों के बीच आई गैपिंग को ठीक किया जा रहा है। मसाला भरा जा रहा है। अगले दो महीने अभी काम और चलेगा। पिछले साल 10 से 13 सितंबर तक आगरा में रिकॉर्ड बारिश हुई। 12 सितंबर को ताजमहल के मुख्य मकबरे में स्थित शाहजहां और मुमताज की कब्रों के पास पानी टपकने लगा था। कैंपस में भी पानी भर गया था। ताजमहल के मुख्य गुंबद में पानी टपकने को लेकर सियासत भी हुई। ताजमहल के रख-रखाव को लेकर अखिलेश यादव ने सवाल उठाए। BJP पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने मुख्य गुंबद पर उगे पौधे, कलश पर जंग लगने की तस्वीर भी पोस्ट की थी। उन्होंने रख-रखाव पर के लिए जारी होने वाले करोड़ों रुपए का हिसाब भी मांगा था।
अखिलेश ने 19 सितंबर 2024 को एक्स पर लिखा था- विश्व भर के पर्यटकों को आकर्षित करने वाले अजूबे ताजमहल के रख-रखाव को लेकर भाजपा सरकार पूरी तरह से नाकाम है। सरकार एक जीता-जागता उदाहरण होना चाहिए, कोई स्मारक भर नहीं।
अखिलेश यादव ने X पर लिखा – इन सब कारणों से दुनियाभर से आने वाले पर्यटकों के बीच देश की छवि वैश्विक स्तर पर धूमिल होती है। पर्यटक ताजमहल को निहारें या समस्याओं से निपटें। सवाल उठाया कि ताजमहल के रख-रखाव के लिए जो करोड़ों रुपए का फंड
आता है, वो कहां जाता है। ASI ने कराई थी जांच
ताजमहल में पानी के रिसाव को जानने के लिए ASI ने थर्मल स्कैनिंग कराई। थर्मल स्कैनिंग में 73 मीटर की ऊंचाई पर पानी का रिसाव मिला।
ASI की लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग जांच में 3 पॉइंट सामने आए। पहला- ताजमहल के मुख्य गुंबद पर जो पत्थर लगे हैं, उनकी टीप का मसाला खराब हो गया है। दूसरा- गुंबद की छत का दरवाजा और फर्श खराब हो गई है। तीसरा- गुंबद पर लगा कलश (पिनेकल) जिस लोहे की रॉड पर टिका है, उसमें जंग लग गई है, आसपास का मसाला फूल गया है। इसलिए पानी रिसा था। पाड़ बांध कर शुरू की गई मरम्मत
जुलाई महीने में पाड़ बांध कर मरम्मत शुरू की गई थी। सबसे पहले जिन वजहों से पानी रिसा था, उसे ठीक किया गया। लेकिन अब तक पाड़ बंधी हुई है क्योंकि अब गुंबद पर पत्थरों के बीच में आए गैप को भरा जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में दो और महीने का समय लगेगा।
कितनी ऊंचाई पर है मुख्य गुंबद का कलश
गुंबद पर लगे कलश 73 मीटर यानी 239.50 फीट ऊंचाई पर है। संरक्षण के दौरान 76 लाख रुपए खर्च होंगे। इसमें मेटेरियल पर 19.82 लाख रुपए और मजदूरों की लेबर पर करीब 56.93 लाख रुपए खर्च होने का एस्टीमेट बना है।

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