डॉ. अनीस बेग ने किया साहित्यिक एकता का प्रदर्शन:बरेली में देशभर के कवियों ने बांधा समां, सांस्कृतिक सौहार्द को बढ़ावा
बरेली के सिविल लाइंस स्थित आईएमए हॉल में “एक शाम एकता के नाम” मुशायरे का आयोजन किया गया। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. अनीस बेग के संयोजन में हुए इस कार्यक्रम में देशभर से आए कवियों और शायरों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इसका मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देना और युवाओं को साहित्य से जोड़ना था। कार्यक्रम के दौरान मंच पर जैसे-जैसे शायरों ने अपने अशआर और कविताएं प्रस्तुत कीं, श्रोताओं की तालियों और वाह-वाह की गूंज से पूरा हॉल गूंज उठा। यह आयोजन कला, संस्कृति और सामाजिक सौहार्द का संगम बना। इस अवसर पर समाजवादी पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इनमें शमीम खां सुलतानी, शुभलेश यादव, प्रमोद बिष्ट, अशोक यादव, एडवोकेट हुरिया रहमान, हरिओम प्रजापति सहित माणिका दुबे, मध्यम सक्सेना, उन्नति राधा शर्मा, शरीक कैफ़ी, वसीम नाजिर, सलीम सिद्दीकी, मोहन मुंतज़िर, अनुज कपूर, मुंतजिर फिरोजाबादी, सलमान सईद, अली शरीक और कमल शर्मा जैसे कई गणमान्य नाम शामिल थे। अपने संबोधन में डॉ. अनीस बेग ने कहा कि कला और संस्कृति किसी भी समाज की आत्मा होती है। उन्होंने जोर दिया कि समाजवादी पार्टी हमेशा से साहित्य, कविता और शायरी को बढ़ावा देती रही है और ऐसे आयोजन समाज में एकता, भाईचारा तथा आपसी समझ को मजबूत करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पीडीए सम्मेलनों और पंचायतों के माध्यम से लगातार लोगों की रचनात्मकता को मंच देने का प्रयास किया जा रहा है। मुशायरे में शायरों और कवियों ने अपनी जिंदादिल प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि आरिश रईस की पंक्तियों – “जिंदगी कट नहीं सकती अदाकारी में, बहुत लोग बिछड़ जाते हैं मक्कारी में” ने श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया। वहीं, शाश्वत की लाइनें- “उस लड़की ने ऐसे आशिक बदले हैं, जैसे कोई तितली फूल बदलती है” पर खूब तालियाँ बजीं। कार्यक्रम के अंत में डॉ. अनीस बेग ने उपस्थित सभी कवियों और शायरों का फूलमाला और शॉल भेंट कर सम्मान किया।
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