झोपड़ी तोड़े जाने से परेशान व्यक्ति ने लगाई फांसी:एटा में विधायक बोले- सिस्टम की मौत, परिजन ने कहा-धमकी मिलती थी
एटा के सकतपुर गांव में सोमवार सुबह दर्दनाक घटना सामने आई। 40 वर्षीय मजदूर हरि सिंह ने वन विभाग की संपत्ति में लगे पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह झोपड़ी तोड़े जाने और लगातार जमीन खाली करने के दबाव से परेशान था। सुबह करीब 8 बजे ग्रामीणों ने शव लटकता देखा तो हड़कंप मच गया। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन परिजन शव उतारने नहीं दे रहे थे। लगभग तीन घंटे की मशक्कत और विधायक विपिन वर्मा उर्फ डेविड के समझाने पर परिजन मानें। इसके बाद पंचनामा भरकर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। 1990 से विवाद, पक्का मकान दिलाने का हुआ था वादा मृतक भूमिहीन था और दो कमरों का पक्का मकान बनाकर अपने परिवार के साथ गुजर-बसर करता था। जमीन बंजर थी, लेकिन एक साल पहले उसे वन विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, एनआईसी सभागार में विधायक, जिलाधिकारी, एसडीएम और प्रधान की बैठक में तय हुआ था कि हरि सिंह और उसके भाई को नया मकान दिलाया जाएगा, तभी पुराना मकान खाली कराया जाएगा। लेकिन तहसील प्रशासन ने न तो मकान दिया, बल्कि टीनशेड को गड्ढे में फेंकवा दिया। आंधी-बारिश में वह भी उड़ गया। परिजनों का आरोप, दबाव और धमकियों से टूटा हौसला मृतक की पत्नी रीता देवी ने पुलिस को दिए शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि राजस्व और वन विभाग के अधिकारी लगातार दबाव बना रहे थे। एफआईआर कराने की धमकी दी जा रही थी। इसी से आहत होकर हरि सिंह ने पेड़ पर फांसी लगा ली।
चाचा बृजेश सिंह ने कहा,“25 साल से मकान बना था। वादा किया गया था कि दूसरा मकान दिलाएंगे, लेकिन उल्टा धमकियां दी गईं। मजबूर होकर उसने जान दे दी।”
भाई रविंद्र ने भी यही दोहराया,“नौ इंच की दीवार पर टीन डलवाया गया था, लेकिन वह भी उड़ गया। मानसिक दबाव के कारण ही मौत हुई।” विधायक बोले, सिस्टम की वजह से गई जान मौके पर पहुंचे विधायक विपिन वर्मा उर्फ डेविड ने कहा,“यह हरि सिंह की नहीं, सिस्टम की मौत है। अधिकारियों को पहले ही अवगत कराया गया था। अगर समय रहते समाधान होता तो एक गरीब की जान न जाती।” उन्होंने आश्वासन दिया कि पीड़ित परिवार को मकान और नौकरी दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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