जालौन में बच्चों ने कराया झिझिया-टेसू का विवाह:ग्राम रूरा में हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ अनूठा आयोजन, ढोलक की थाप, लोकगीत गूंजे

जालौन के ग्राम रूरा में मंगलवार रात झिझिया-टेसू विवाह कार्यक्रम पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। दशहरे के बाद शरद पूर्णिमा पर आयोजित होने वाले इस लोक अनुष्ठान में बच्चों और ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे सदियों पुरानी इस परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का संदेश दिया गया। कार्यक्रम में गाँव के बच्चों और बच्चियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। गाँव की गलियों में जब “झिझिया और टेसू का ब्याह” का जुलूस निकला, तो ढोलक की थाप और लोकगीतों से माहौल जीवंत हो उठा। मुस्कान, निक्की, बुलबुल, गुल्लों, नैना, रौनक, दृष्टि, गुन्नों, आनंदी, अनुष्का, अयाना, मयंक भंडारी, शिवा, प्रिंस, आदर्श, चीता सिंह, कारिया गुल्ला, राघव, आरिब, आदर्श गणेश और क्षितिज सहित कई बच्चों ने इसमें अभिनय किया। ग्रामीणों के अनुसार, झिझिया-टेसू विवाह कार्यक्रम दशहरा के बाद पीढ़ियों से गाँव में मनाया जाता रहा है। इसमें ‘झिझिया’ (मिट्टी या बांस से बनी आकृति) को दुल्हन और ‘टेसू’ (खिलौना या मिट्टी का पुतला) को दूल्हा मानकर विवाह की रस्में निभाई जाती हैं। बच्चे गीत गाते हुए बारात निकालते हैं, फेरों का आयोजन करते हैं और पारंपरिक भोज भी कराते हैं। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को भारतीय लोकसंस्कृति और सामूहिकता की भावना से जोड़ना है। कार्यक्रम का संचालन पंडित लल्लू महाराज ने किया। इस अवसर पर सिशांत अवस्थी (छोटू महाराज), प्रवेंद्र प्रजापति, शिवनरेश प्रजापति, भीकम, भाजपा नेता प्रशांत अवस्थी, रवि तोमर, नरेंद्र सिंह, गोपाल सिंह, गुड्डन तिवारी, राहुल सक्सेना और अतुल अवस्थी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। ग्रामीणों ने बताया कि ऐसे आयोजन बच्चों में लोक परंपरा के प्रति रुचि जगाने के साथ-साथ गाँवों में सामाजिक एकता और पारिवारिक मेलजोल को भी मजबूत करते हैं। झिझिया-टेसू विवाह जैसी प्राचीन परंपराएँ आधुनिकता के दौर में भी भारतीय लोकजीवन की मजबूत जड़ों का प्रमाण हैं।

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