जमानत पर आए कैदी ने 52.85 लाख की ठगी:आजमगढ़ जेल की DIG ने की जांच, जेलमंत्री ने आरोपी की तारीफ की थी
आजमगढ़ में जेल से जमानत पर रिहा हुए कैदी रामजीत यादव ने सरकारी खजाने से 52 लाख 85 हजार रुपए की धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है। डीआईजी जेल शैलेंद्र कुमार मैत्रेय खुद मामले की जांच के लिए आजमगढ़ पहुंचे और लगभग 8 घंटे तक मामले के हर पहलू की जांच की। डीआईजी जेल के अनुसार, आरोपी रामजीत यादव ने जेल अधीक्षक का बैंक अकाउंट खाली कर दिया। जांच में यह भी पता चला कि आरोपी ने केनरा बैंक की चेकबुक चुराकर फर्जी साइन के माध्यम से कई बार पैसे निकाल लिए। आरोपी बैंक से बैंक पैसे का लेनदेन करता रहा। इस पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी, जिसके आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
18 महीनों तक निकालता रहा पैसा
रामजीत यादव अपनी पत्नी की हत्या के मामले में जेल में था, लेकिन 24 मई 2024 को उसे जमानत मिल गई। रिहा होने से पहले उसने चेकबुक चोरी की और 18 महीनों तक पैसे निकालता रहा। मामला तब उजागर हुआ जब 22 सितंबर को उसने खाते से 2.60 लाख रुपए निकाले। जैसे ही जेल अधीक्षक के फोन पर पैसे निकाले जाने का मैसेज आया, उन्होंने अकाउंटेंट से पूछा। रिकॉर्ड नहीं मिलने पर बैंक स्टेटमेंट निकालने पर पूरी धोखाधड़ी सामने आई। इसके बाद जेल अधीक्षक ने कोतवाली में चार लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया।
जेल में मंत्री की तारीफ का मामला
26 नवंबर 2023 को तत्कालीन जेल राज्य मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने जेल दौरे के दौरान रामजीत यादव की प्रशंसा की थी। मंत्री ने कहा था कि कई कैदी निर्दोष हैं और साजिश का शिकार हुए हैं। इस दौरान रामजीत यादव भावुक हो गया था और मंत्री ने उसे गले लगाकर नजीर के तौर पर पेश किया था।
पकड़े जाने से पहले की योजना
डीआईजी की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि आरोपी दीपावली के बाद गुजरात जाने की तैयारी कर रहा था और इसकी चर्चा चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय से करता रहता था। हालांकि, जेल प्रशासन और बैंक अधिकारियों के सहयोग से उसे समय रहते गिरफ्तार कर लिया गया। 52 लाख 85 हजार की धोखाधड़ी
डीआईजी जेल की जांच में यह बात सामने आई की आरोपी ने पहले उनकी चेकबुक चुराई। फिर फर्जी साइन कर कई बार में उससे 52 लाख 85 हजार रुपये निकाल इए। मामला जब सामने आया तो सभी का सिर चकरा गया। 18 महीनों तक पैसे निकालता रहा
आरोपी अपनी पत्नी की हत्या के मामले में जेल में था। 24 मई 2024 को उसे जमानत मिली। रिहा होने से पहले उसने चेकबुक चुराई। इसके बाद आरोपी 18 महीनों तक पैसे निकालता रहा। घटना का खुलासा 22 सितंबर को उस वक्त उजागर हुआ, जब कैदी ने खाते से 2.60 लाख रुपए निकाले। जैसे ही जेल अधीक्षक के फोन पर पैसे निकालने का मैसेज आया तो उन्होंने अकाउंटेंट से पूछा। लेकिन, उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं था। बैंक स्टेटमेंट निकलवाने पर पूरा धोखाधड़ी का मामला सामने आया। खुलासे के बाद जेल अधीक्षक ने कोतवाली में चार लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया है। घटना की जानकारी मिलते ही लखनऊ के उच्च अधिकारियों ने आजमगढ़ के जेल अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। सिलसिलेवार तरीके से जानिए पूरा मामला…
साल 2011 में हत्या के मामले में गया था जेल कैदी की पहचान रामजीत यादव (40) के रूप में हुई है। वह जमुआ शाहगढ़ थाना बिलरियागंज का रहने वाला है। साल 2011 में वह अपनी पत्नी अनीता की हत्या के मामले में जेल गया था। साल 2017 में उसे पहली बार जमानत मिली। जेल से रिहा होने के बाद रामजीत ने नीतू नाम की महिला से दूसरी शादी कर ली। 24 फरवरी 2023 को कोर्ट ने उसे पत्नी की हत्या का दोषी करार देते हुए सजा सुनाई, जिसके बाद उसे दोबारा जेल भेजा गया। रामजीत यादव को जेल के अंदर कामकाज की जिम्मेदारी मिली। इसी दौरान उसने जेल प्रशासन के कामकाज और बैंक चेक पर दस्तखत करने का तरीका समझ लिया। 20 मई 2024 को जब वह जमानत पर जेल से रिहा हुआ, तो उसने अकाउंटेंट के कमरे से केनरा बैंक की चेकबुक चुरा ली। इसके साथ ही आरोपी का खाता यूनियन बैंक में चल रहा था। आरोपी ने यूनियन बैंक का खाता बंद करके केनरा बैंक में अपना खाता भी खुलवा लिया। जेल खाते से लगातार निकालता रहा पैसा
रामजीत यादव ने जेल से रिहा होने के अगले दिन यानी 21 मई 2024 को खाते से 10 हजार रुपए निकाले। 22 मई को 50 हजार रुपए और कुछ दिन बाद 1.40 लाख रुपए खाते से निकाले। इस दौरान जेल प्रशासन को न ही इस चोरी की और न ही चेकबुक चोरी की शिकायत दर्ज कराई गई। आरोपी ने लगभग 18 महीनों तक पैसे निकालते रहा। 22 सितंबर 2025 को जब खाते से 2.60 लाख रुपए निकाले गए, तब जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह का ध्यान इस पर गया। दरअसल, उनके फोन पर पैसे निकाले जाने का मैसेज आया। जब उन्होंने जेल अकाउंटेंट मुशीर अहमद से जानकारी ली, तो उनके पास कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं था। फर्जी हस्ताक्षर से बैंक के खाते से निकाल रहा था पैसे
इसके बाद के जेल खाते का स्टेटमेंट निकाला गया, तब पूरे मामला सामने आया। जांच में पता चला कि आरोपी खुद को जेल का ठेकेदार बताकर अधीक्षक के फर्जी दस्तखत से बैंक खाते से पैसे निकाल रहा है। मामले के खुलासे के बाद जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह ने कोतवाली आजमगढ़ में 4 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया। इस धोखाधड़ी में रामजीत यादव उर्फ संजय (मुख्य आरोपी), शिवशंकर उर्फ गोरख (पूर्व कैदी), वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद (लेखाधिकारी) और चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय का नाम शामिल है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिवशंकर आरोपी का सबसे करीबी है। पुलिस को शक है कि फर्जीवाड़े में भी उसकी भूमिका हो सकती है। बैंक से पता चला कि चौकीदार आरोपी के साथ कई बार बैंक जा चुका था, इसलिए उसकी भूमिका भी भी जांच हो रही है। वहीं, रिकॉर्ड पुख्ता न रखने के लिए लेखाधिकारी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। मां-पत्नी और अपने खाते में ट्रांसफर किए पैसे जांच में सामने आया कि रामजीत यादव ने नीतू यादव के खाते में 2.40 लाख रुपए, मां सेटॉमी देवी के खाते में लगभग 3 लाख रुपए और अपने खाते में 30 लाख रुपए जमा कराए। सूत्रों के अनुसार इस खेल में बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है। जेल अधीक्षक के नाम से चलता है सरकारी खाता
आजमगढ़ जेल का सरकारी खाता जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह के नाम से संचालित होता है। इस खाते में सरकार का भेजा पैसा जमा होता है और जेल में काम करने वाले कैदियों का भुगतान इसी खाते से किया जाता है। कभी-कभी कैदी अपने परिजनों को भी चेक के माध्यम से भुगतान कर देते हैं। जेल के अकाउंटेंट इस पूरे काम में कभी-कभी कैदियों की मदद भी ले लेते हैं। इसी तरीके को रामजीत यादव ने भुनाया। जेल अकाउंटेंट के भरोसे रहते हुए उसने सिस्टम में सेंधमारी कर 52 लाख 85 हजार रुपए से अधिक की धोखाधड़ी की गई।
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