ग्रामीण बैंकों के 50 वर्ष पूरे होने पर सेमिनार:प्रोफेसर डॉ. राधेश्याम बोले-गांवों से शहरों की ओर तेजी से पलायन, युवा खेती से हो रहे विमुख

सुल्तानपुर में ग्रामीण बैंकों की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रोफेसर डॉ. राधेश्याम सिंह ने भारत के कृषि क्षेत्र की मौजूदा चुनौतियों पर प्रकाश डाला और ग्रामीण बैंकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। यह कार्यक्रम अरेबिया परिवार द्वारा आयोजित किया गया था। डॉ. सिंह ने कहा कि गांवों से शहरों की ओर तेजी से पलायन हो रहा है, जिससे युवा खेती से विमुख हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांवों में अब केवल वृद्ध, बेरोजगार और बीमार लोग ही मजबूरीवश रह रहे हैं। मशीनों के बढ़ते उपयोग ने मानव श्रम को कम कर दिया है, जिससे पारंपरिक खेती अब घाटे का सौदा बन गई है। उन्होंने ग्रामीण कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने पर जोर दिया, ताकि भारत आत्मनिर्भर बन सके। डॉ. सिंह ने अंग्रेजों द्वारा ग्रामीण कुटीर उद्योगों को नष्ट करने के ऐतिहासिक संदर्भ का भी उल्लेख किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक एम.के. झा ने बैंक की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। 3 तस्वीरें देखें… इसी क्रम में, सुल्तानपुर में ग्रामीण बैंक के अधिकारी-कर्मचारी संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में ग्रामीण बैंकों की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती समारोह भी मनाया गया। इस दौरान मनोराम पांडे और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता करतार केशव यादव को उनकी सराहनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। ग्रामीण बैंक की सेवा से सेवानिवृत्त हुए अधिकारियों और कर्मचारियों का भी शॉल व प्रतीक चिन्ह देकर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गोरखपुर से आए केंद्रीय पदाधिकारी पी.के. श्रीवास्तव ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि ग्रामीण बैंक देश के गरीबों और किसानों की ईमानदारी से सेवा कर रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत सरकार को प्रदेश स्तर पर स्थापित ग्रामीण बैंकों को किसी राष्ट्रीय संस्थान के नियंत्रण में लाकर एक राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना करनी चाहिए। गोष्ठी को ग्रामीण बैंक के सेवानिवृत्त क्षेत्रीय प्रबंधक जय शंकर राय, लाल चंद त्रिपाठी, विमल शुक्ला, विक्रम श्रीवास्तव, वी.पी. उपाध्याय, ऋषि यादव, सुरेंद्र पांडे और गंगा यादव सहित कई अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। यह जानकारी शिव करन द्विवेदी ने दी।

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