गोरखपुर विश्वविद्यालय में ‘सेवा पखवाड़ा’ के अंतर्गत स्पेशल प्रोग्राम:जिला जेल के कैदियों से मिले स्टूडेंट्स, उनकी दिनचर्या को समझा

गोरखपुर के दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से 17 सितंबर से शुरू सेवा पखवाड़ा के तहत सोमवार को स्टूडेंट्स के लिए एक स्पेशल प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को जेल अधीक्षक डी के पांडेय और जेलर अरुण कुमार कुशवाहा के गाइडेंस में गोरखपुर जिला जेल घुमाया गया और वहां के काम-काज और विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी गई। कैदियों के लिए जेल में होती विभिन्न गतिविधियां
जिला जेल के भ्रमण के दौरान स्टूडेंट्स ने जाना कि जेल में कैदियों के हित में क्या-क्या किया जाता है। स्टूडेंट्स को बताया गया, बंदियों को साक्षर बनाने और उच्च शिक्षा से जोड़ने के लिए रेगुलर क्लास चलाई जाती है। कैदियों को सिलाई-कढ़ाई, बढ़ईगिरी, बुनाई, पेंटिंग और कंप्यूटर शिक्षा की ट्रेनिंग के बारे में जानकारी दी गई। ताकि रिहाई के बाद वे आत्मनिर्भर बन सकें। जेल के अंदर कैदियों के लिए नियमित रूप से योग, ध्यान और स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाता है। कैदियों के मनोरंजन के लिए कविता-पाठ, भजन-कीर्तन, रंगमंच और उत्सव आधारित गतिविधियां भी कारवाई जाती हैं। इन सब गतिविधियों के अलावा कैदियों द्वारा तैयार कपड़े-बिस्तर, हस्तशिल्प खास कर टेराकोटा की मूर्तियां और खाद्य सामग्री तैयार करा कर स्थानीय बाजार और सरकारी संस्थानों में सप्लाई करवाया जाता है। सिलाई विभाग में रोज़ाना सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक ट्रेनिंग दिया जाता है। उन्हें थोक ऑर्डर पर काम दिया जाता है और उसके बदले मेहनताना भी प्रदान किया जाता है। होती है वर्चुअल सुनवाई
इसके अलावा छात्रों को यह भी बताया गया कि कारागार में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम की सुविधा उपलब्ध है, जिसके माध्यम से दूर-दराज़ के कैदी अदालत की सुनवाई में वर्चुअल रूप से सम्मिलित हो सकें। कैदियों के बच्चों के लिए स्पेशल सेंटर उसी दौरान छात्रों ने महिला बैरक कैदियों और उनके बच्चों से बातचीत किया और जाना कि छह साल के बच्चे अपनी माताओं के साथ जेल में रह सकते हैं और उन्हें पढ़ने के लिए स्पेशल सेंटर भेजा जाता है। लाइब्रेरी और क्लिनिक की भी सुविधा
स्टूडेंट्स को बताया गया कि कारागार में लाइब्रेरी भी उपलब्ध है, जिससे कैदी डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं। साथ ही, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जेल परिसर में छोटा क्लिनिक भी चलता है, जहां हर हफ्ते डॉक्टर विज़िट करते हैं। जेल की गतिविधियों से जीवन को मिल रहा नया मार्ग छात्र-छात्राओं ने कैदियों से सीधे संवाद के दौरान कैदियों ने बताया कि एजुकेशन और ट्रेनिंग उनके जीवन को नए मार्ग पर ले जा रहे हैं। कई बंदियों ने इसे अपने जीवन सुधार और समाज में फिर सम्मानजनक पहचान का जरिया बताया। यह प्रोग्राम राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल की प्रेरणा और कुलपति प्रो. पूनम टंडन के कुशल नेतृत्व में सम्पन्न हुआ। इस दौरान विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षक गार्गी पाण्डेय, कार्यक्रम की संयोजक प्रो. दिव्या रानी सिंह के साथ एम.एससी. फूड टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स भी मौजूद रहें।

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Source: उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर