गोरखपुर में सड़े, कीड़े पड़े सीरे से बना रहे मिठाई:गर्म कर बच्चों की टॉफी व बर्फी तैयार हो रही थी; ग्रामीण क्षेत्रों में बेचते थे
गोरखपुर की खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने शनिवार की शाम को छापा मारकर हानिकारक मिठाइयां बनाने की फैक्ट्री पकड़ी है। दो भाई मिलकर यहां सड़े हुए, कीड़े पड़े हुए सीरे से बच्चों की टॉफी और बर्फी तैयार कर रहे थे। इसे शहर से बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में बेचा जाता था। मिठाई देखने में आकर्षक लगती है। इसे 15 रुपये पैकेट के हिसाब से बेचा जाता है। ऐसी और भी फैक्ट्रियां आसपास होने की संभावना है। विभाग उनकी तलाश में जुटा है।
तिवारीपुर थाना क्षेत्र में निजामपुर गोड़ियान टोला में एक एलआईजी श्रेणी के 3 मंजिल मकान के ऊपरी तल पर यह फैक्ट्री संचालित हो रही थी। बाहर से इसे देखकर कोई घर समझेगा। भूतल पर परिवार रहता भी है। सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा को इस बात की जानकारी मिली थी कि इस क्षेत्र में खराब सीरे से मिठाई बनाई जा रही है। बड़ी दुकानों पर खराब हो चुका सीरा 200 रुपये में खरीदकर लाते थे मिठाई की बड़ी दुकानों पर सीरे के उपयोग के बाद ऊपरी हिस्से को अलग कर स्टोर कर लिया जाता है। 3 से 4 दिनों में एक टिन खराब सीरा तैयार हो जाता है। इसमें मिठाइयों के कुछ अंश भी होते हैं। उसके बाद उसे 200 रुपये प्रति टिन के हिसाब से ऐसे लोगों को बेच देते थे। इस सीरे से दुर्गंध उठती है लेकिन सस्ती मिठाई बनाने के चक्कर में कुछ लोग इसे खरीदकर लाते हैं। फैक्ट्री में ही भट्ठी बनाई गई है। कोयले की तेज आंच पर सीरे को गर्म करके उसमें थोड़ी चीनी, मैदा व पाउडर मिलाकर मिठाई तैयार की जाती थी। फैक्ट्री में खड़ा होना मुश्किल था
फैक्ट्री में 6 टिन सड़ा हुआ सीरा पकड़ा गया है। उसकी वजह से वहां काफी दुर्गंध थी। दुर्गंध इस कदर थी कि वहां खड़ा होना मुश्किल था। सीरे में कीड़े मरे पड़े थे। इसे छान करके गर्म कर लिया जाता था। उसमें मैदा, चीनी व अन्य पाडर मिलाकर मिठाई बनाई जाती थी। इसे बनाने वाले झारखंड के रहने वाले हैं। तैयार मिठाई की पैकिंग सुंदर करते हैं जो मिठाई तैयार करते हैं, उसकी पैकिंग काफी सुंदर होती है। आगरा मिठाई और तुलसी पेड़ा के नाम से इसे तैयार किया जाता है। इसे गोरखपुर के बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में भेजते हैं। वहां अच्छी पैकिंग होने के कारण यह आसानी से खप जाती है। गोरखपुर में यह मिठाई बनाई जाती है और आगरा के नाम से बेची जाती है। छोटे-छोटे आकार की 30 मिठाइयां एक डिब्बे में पैक की जाती हैं। बाजार में 1 रुपये में एक मिठाई मिलती है तैयार मिठाई एक रुपये में एक पीस मिलती है। इसे खासकर बच्चों के लिए बनाया जाता है। आमतौर पर इसे पैकेट में बेचने की बजाय दुकानदार जार मे रखकर बेचते हैं। जिससे बच्चे इसे आसानी से देख सकते हैं और गांव की छोटी-छोटी दुकानों में इसकी खूब बिक्री होती है। लाइसेंस होगा निलंबित, सैंपल जांच के लिए भेजा गया
सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डा. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि बड़ी दुकानों पर खराब हो चुके सीरे को खरीदकर यहां लाते थे। उसमें कीड़े भी पड़े नजर आ रहे हैं। इसे गर्म करके इसमें चीनी व पाउडर मिलाकर बच्चों की मिठाई व बर्फी तैयार करते हैं। इसका लाइसेंस परसादी बर्फी उद्योग के नाम से है। परसादी सॉ इसके मालिक हैं। दो भाई राजेश व छोटे मिलकर मिठाई तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि लाइसेंस निलंबित कर दिया जाएगा। यहां से सीरे, मिठाई आदि का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जा रहा है। और भी हैं इस तरह की फैक्ट्रियां
यह फैक्ट्री छुपकर संचालित की जा रही थी। सूचना मिलने के बाद लगभग 3 घंटे पैदल चलकर टीम ने इसे खोजने में कामयाबी पायी। सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा ने बताया कि इस तरह की और फैक्ट्रियां होने का अनुमान है। यहां खोज की गई है। उनका पता भी ढूंढकर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। 6 क्विंटल मिठाई नष्ट कराई गई
टीम ने यहां से लगभग 6 क्विंटल तैयार मिठाई जब्त कर ली है। त्योहारों में इसे खपाने की तैयारी थी। खाद्य सुरक्षा विभाग ने सारी मिठाई नष्ट करा दी है। यहां 6 टिन खराब सीरा भी मिला है। उसे भी नष्ट करा दिया गया है।
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